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एक अच्छा विवेक और निष्ठापूर्ण विश्वास दो ऐसे प्लव हैं जो उस सुरक्षित मार्ग के दो किनारों के प्रतीक हैं जिनमें से आपके जीवन की नाव सुरक्षित रूप में गुज़रती है जो इनमें से एक भी प्लव को अनदेखा करते हैं, वे अपने जीवन के तूफानों में नाश हो जाते हैं (1 तीमु, 1:19.20)

इसलिए, हर समय अपने विवेक की संवेदना को बनाए रखने पर ध्यान दें। जब आपके विवेक में हलचल होती है, तब आप यकीन के साथ यह जान सकते हैं कि आप अपने सुरक्षित मार्ग में से भटक कर ख़तरों में आ गए हैं। और अगर आप उसी रास्ते में आगे बढ़ते रहेंगे, और अपने विवेक में बज रही खतरे की घण्टियों को अनसुना करते रहेंगे, तो आप अपने जीवन को उन तूफानी रास्तों में बर्बाद कर लेने के बड़े ख़तरे में पड़ जाएंगे। इसलिए इस मामले में बहुत सचेत रहें।

विश्वास दूसरा ऐसा प्लव है जो एक सुरक्षित मार्ग दिखाता है। विश्वास हमारे पूरे व्यक्तिव का परमेश्वर के कभी-न-बदलने वाले प्रेम, उसकी शक्ति की सर्वसत्ता, और उसकी सिद्ध बुद्धि पर पूरी तरह निर्भर होना होता है।

परमेश्वर का कभी-न-बदलने वाला प्रेम ऐसी हरेक बात को तय करता है जिसे परमेश्वर हमारे जीवन में होने की अनुमति देता है। जिन प्रार्थना निवेदनों को अस्वीकार कर दिया जाता है, वे भी इसी सिद्ध ईश्वरीय प्रेम द्वारा ही अस्वीकृत की जाती हैं।

परमेश्वर की सर्वसत्ता की शक्ति ऐसी हरेक परीक्षा को हमारे पास आने से रोके रहेगी जो हमारे सहने से बाहर होगी (1 कुरिन्थियों 10:13); और वह हमारी तरफ आने वाली हरेक परीक्षा पर जय पाने में हमारी मदद करेगी (इब्रानियों 4:16); और जो कुछ भी हमारी तरफ आता है, वह उसे हमारी भलाई करने वाला बना देगी (रोमियों 8:28)

परमेश्वर की सिद्ध बुद्धि कभी ऐसी किसी बात में कोई गलती नहीं करेगी जिसे वह हमारे जीवनों में होने की अनुमति देता है और सिर्फ वही यह जानता है कि हमारे लिए एक अनन्त रूप में क्या भला है।

परमेश्वर के इन तीनों गुणों में कभी अपना पूरा भरोसा न खोना। विश्वास से जीने का यही अर्थ होता है। लेकिन यह एक दुःखद बात है कि “विश्वास से जीने" के इस वाक्यांश को पूर्णकालिक सेवा कर रहे सेवकों ने, इसके अर्थ का अनर्थ करते हुए, इसे परमेश्वर द्वारा उनकी ज़रूरतें पूरा करने के लिए धन उपलब्ध कराने में बदल दिया है। लेकिन यह इस शब्द का गलत इस्तेमाल है। बाइबल कहती है कि "धर्मीजन विश्वास से जीवित रहेगा" (रोमियों 1:17 )। हमें बाइबल के शब्दों को हमेशा उसी तरह इस्तेमाल करना चाहिए जिस तरह उन्हें बाइबल इस्तेमाल करती है।

अगर हम विश्वास और अच्छे विवेक के मामलों में लापरवाह होंगे, तो हममें धीरे-धीरे एक दुष्ट हृदय (एक बुरा विवेक) और एक अविश्वासी हृदय तैयार हो जाएगा (जिसने विश्वास खो दिया है)। यह हमें परमेश्वर से दूर कर सकता है (इब्रानियों 3:12)

इस तरह विश्वास से भटकने से हमें बचाए रखने के लिए, हमें प्रतिदिन एक-दूसरे को उत्साहित करने के लिए प्रबोधित किया गया है (अगला पद इब्रानियों 3:13 देखें)। इसलिए आपके लिए पवित्र शास्त्रों में से प्रतिदिन अपने लिए किसी-न-किसी उपदेश को सुन लेना अच्छा है; यह आप पवित्र शास्त्रों को पढ़ने और उन पर मनन करने, या अच्छी मसीही पुस्तकें पढ़ने, या कलीसियाई सभाओं या टेप में संदेश सुनने द्वारा कर सकते हैं।