यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला, इस्राएल राष्ट्र का अंतिम भविष्यद्वक्ता था। मत्ती 3:2 में वर्णित उसका मुख्य संदेश था, "मनफिराओ, क्योंकि स्वर्ग का राज्य निकट है।" वह एक बहुत ही महत्वपूर्ण कारण से, इस संदेश के साथ, इन लोगों के पास आया था।
मनफिराव का अर्थ है ‘मुड़ना’। “मुड़ने के बारे में” जो सबसे अच्छा उदाहरण मैं सोच सकता हूँ, वह है सेना में दिया जाने वाला आदेश । जब कोई सैनिक आगे की ओर मुँह करके खड़ा होता है और परेड ग्राउंड पर सार्जेंट मेजर कहता है, "पीछे मुड़ो," तो सैनिक तुरंत अपनी पीठ उस दिशा की ओर करके मुड़ जाता है, जिस दिशा में वह पहले था और उस दिशा की ओर देखता है, जहाँ उसकी पीठ पहले थी। इससे हमें मनफिराव शब्द की स्पष्ट तस्वीर मिलती है – ‘मुड़ना’। हमें अपने मन को मोड़ना है। अंग्रेजी और अधिकांश भाषाओं में, मनफिराव शब्द का बहुत स्पष्ट अनुवाद नहीं किया गया है, लेकिन तमिल भाषा में यह बहुत स्पष्ट है। तमिल में, मनफिराव का अनुवाद "मनम थिरुम्बुधल" के रूप में किया जाता है, जिसका अर्थ है मन का मुड़ना। मन का मुड़ना ठीक वही है जो यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले ने इज़राइल राष्ट्र को उपदेश दिया था।
इज़राइल राष्ट्र को बहुत सारी सांसारिक वस्तुओं को देने का वादा किया गया था। सम्पूर्ण पुराने नियम में, ऐसा कोई वादा नहीं है कि वे परमेश्वर के पवित्र स्वभाव का हिस्सा बन सकते हैं, या स्वर्ग में खजाना पा सकते हैं, या पृथ्वी पर स्वर्गीय जीवन आदि पा सकते हैं। इसमें सब सांसारिक था।
व्यवस्थाविवरण 28 में, हम स्पष्ट रूप से देखते हैं कि उन्हें भौतिक धन व समृद्धि, शारीरिक स्वास्थ्य, कई बच्चे और उनके व्यवसायों, फसलों और मवेशियों पर आशीष का वादा किया गया था। उन्हें वादा किया गया था कि वे बहुत समृद्ध होंगे, वे कभी कर्ज में नहीं रहेंगे, उनके सांसारिक दुश्मन सभी नष्ट हो जाएंगे, वे एक महान राष्ट्र होंगे, और उनके पास एक भूमि होगी, कनान की भूमि, जिसे इज़राइल कहा जाता था।
इस समय तक इज़राइल को दी जाने वाली सभी आशीषें सांसारिक थी, उनका मुख हर समय और पूरी तरह से पृथ्वी की वस्तुओं की ओर ही रहता था। लेकिन जब यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला आया और बोला, "मन फिराओ, इन बातों से दूर हो जाओ। पृथ्वी की वस्तुओं पर मन न लगाओ और मन फिराओ क्योंकि अब एक नया राज्य आ रहा है। वह स्वर्ग का राज्य है, जहाँ सांसारिक ज़रूरतें दूसरे स्थान पर आ जाती हैं, यहाँ तक कि शारीरिक स्वास्थ्य भी गौण हो जाता है। भौतिक समृद्धि महत्वहीन हो जाती है क्योंकि परमेश्वर हमें हमारी भौतिक ज़रूरतें प्रदान करता है। मनफिराओ, क्योंकि अब परमेश्वर तुम्हें आत्मिक धन, यानी स्वर्गीय धन देने जा रहा है। परमेश्वर तुम्हे जरुरत के अनुसार शारीरिक बच्चे नहीं बल्कि आध्यात्मिक बच्चे देने जा रहा है। आपके पास मुख्य रूप से सांसारिक भूमि नहीं, बल्कि आध्यात्मिक, स्वर्गीय भूमि होगी।” वह (यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला) उन्हें मनफिराने के लिए कह रहा था क्योंकि स्वर्ग का राज्य अभी तक नहीं आया था, और वह निकट था। यह पिन्तेकुस्त के दिन आने वाला था।
यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला यीशु मसीह के पहले आया, जो एक नई वाचा का मार्ग खोलने जा रहा था, वह मार्ग जिसे परमेश्वर, मनुष्य के साथ बना रहा था और जो सभी राष्ट्र के लोगों को परमेश्वर के साथ एक पिता के रिश्ते के रूप में लाएगा। हम मत्ती 4:12-13 में पढ़ते हैं कि यूहन्ना को हेरोदेस ने बंदी बना लिया था। जब यीशु ने यह सुना, तो वह गलील से चला गया और नासरत को छोड़ दिया, जहाँ वह बड़ा हुआ था और तीस साल तक रहा था, और कफरनहूम में एक घर में आकर रहने लगा, जो समुद्र के किनारे है। फिर, उस क्षण से, यीशु ने ठीक उसी संदेश का प्रचार करना शुरू कर दिया जैसा कि यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले ने प्रचार किया था। "मनफिराओ, क्योंकि स्वर्ग का राज्य निकट है" (मत्ती 4:17)। यूहन्ना ने, मानो रिले दौड़ का पहला चरण दौड़ लिया था और यीशु को बैटन सौंप दिया था और उन्होंने (यीशु ने) वही संदेश लिया - "मनफिराव" जब यीशु स्वर्ग में चढ़े, तो हम पढ़ते हैं कि प्रेरित पतरस ने यीशु के हाथ से बैटन लिया और वही संदेश दिया - "मनफिराव" (प्रेरितों के काम 2:38)। उसने पिन्तेकुस्त के दिन लोगों को उपदेश दिया, "मन फिराओ और तुम पवित्र आत्मा का वरदान प्राप्त करोगे, जो हमारे भीतर परमेश्वर का राज्य है।" फिर, आखिरकार यह आ ही गया।
जब यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले ने और यीशु ने परमेश्वर के राज्य के बारे में बात की, तो उन्होंने कहा कि यह आने वाला है, या यह निकट है। यीशु ने एक बार कहा था कि परमेश्वर का राज्य तुम्हारे मध्य में है, इस तथ्य का जिक्र करते हुए कि, स्वयं मसीह में, परमेश्वर का राज्य पहले से ही मौजूद था। लेकिन यह उनके आस-पास के लोगों में मौजूद नहीं था। यह केवल पिन्तेकुस्त के दिन ही हुआ, जब वहाँ 120 शिष्य पवित्र आत्मा में बपतिस्मा के लिए प्रतीक्षा कर रहे थे। तब परमेश्वर की आत्मा ने उन्हें भर दिया और परमेश्वर का राज्य उनके भीतर वास करने लगा। यही वह राज्य है जिसकी उन्होंने (शिष्यों) घोषणा की - स्वर्ग का राज्य (या परमेश्वर का राज्य) - जहाँ पवित्र आत्मा हमारे भीतर वास करता है। यह शारीरिक चंगाई और भौतिक समृद्धि का बाहरी राज्य नहीं है, जैसा कि दुर्भाग्य से, आज बहुत से मसीही प्रचारकों द्वारा प्रचारित किया जा रहा है। सीधे शब्दों में कहें तो, यह एक धोखा है, और यह परमेश्वर का राज्य नहीं है।
लेकिन वास्तविकता क्या है? रोमियों 14:17 में कहा गया है, परमेश्वर का राज्य खाना-पीना नहीं है। यह समृद्धि या चंगाई जैसी सांसारिक चीज़ नहीं है - यह बिल्कुल सांसारिक आशीष भी नहीं है।
रोमियों 14:17 के अनुसार, परमेश्वर का राज्य पवित्र आत्मा में धार्मिकता, आनंद और शांति है:
• धार्मिकता: स्वयं परमेश्वर की धार्मिकता, सबसे पहले हम पर लागू होती है जब हम मसीह को अपने उद्धारकर्ता और प्रभु के रूप में स्वीकार करते हैं, और फिर पवित्र आत्मा द्वारा हमें यह (धार्मिकता) भीतर से प्रदान किया जाता है, जहाँ परमेश्वर की धार्मिकता हमारे जीवन में प्रकट होती है।
• आनंद: एक आंतरिक आनंद जो हमें पवित्र आत्मा में निराशा और अवसाद से पूरी तरह से मुक्त करता है।
• शांति: एक आंतरिक शांति, जो मुख्य रूप से पवित्र आत्मा द्वारा दी जाती है, चिंता, भय, तनाव, निराशा, उदासी, ख़राब दिमाग इत्यादि से मुक्ति और सभी मनुष्यों के साथ एक बाहरी शांति, जहाँ हम लोगों या किसी भी चीज़ से लड़ने से इनकार करते हैं।
तो यह परमेश्वर का राज्य है। यह एक आंतरिक चीज़ है। परमेश्वर का राज्य हमारे भीतर है। यह पवित्र आत्मा के माध्यम से, हमारे भीतर आने वाला मसीह का जीवन है। यह स्वर्ग का जीवन है, यहाँ इस धरती पर, हमारे हृदय के अंदर।
जैसे-जैसे हम आगे देखते हैं, आइए हम यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले के शब्दों पर ध्यान दें: "पृथ्वी की वस्तुओं पर मन लगाना बंद करो और मनफिराओ क्योंकि अब एक नया राज्य आ रहा है, जहाँ सांसारिक ज़रूरतें और यहाँ तक कि शारीरिक स्वास्थ्य भी गौण हो जाता है। भौतिक समृद्धि महत्वहीन हो जाती है क्योंकि स्वयं परमेश्वर हमें भौतिक ज़रूरतें प्रदान करता है। मनफिराओ - इस संसार का सामना करो और मनफिराओ - क्योंकि अब परमेश्वर तुम्हें आत्मिक धन देने जा रहा है।"
आइए हम स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करें।