द्वारा लिखित :   जैक पूनन
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इब्रानियों 4:12 में हम पढ़ते है, “परमेश्वर का वचन जीवित, प्रबल और किसी भी दोधारी तलवार से तेज़ है। वह जीव और आत्मा, जोड़ों और गूदों दोनों को आरपार बेधता है और मन के विचारों तथा भावनाओं को परखता है”

परमेश्वर का वचन हमारे हृदयों में एक तलवार की तरह उतरता है और हमारे विचारों और इरादों को परखता है। नई वाचा में (जिस पर इब्रानियों ज़ोर देती है) "हृदय के विचार और इरादे" सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण है, जबकि पुरानी वाचा में दुष्टता के विचारों और बुरे इरादों को इतना गंभीर नहीं माना जाता था क्योंकि इस्राएलियों के अंदर पवित्र आत्मा का वास नहीं था। व्यवस्था एक मनुष्य के दुष्टता के विचारों और उद्देश्यों को न जान सकती थी और न उनके लिए उसे दंड दे सकती थी। एक व्यक्ति अगर बाहरी तौर पर सब कुछ ठीक करता रहे, तो व्यवस्था उसे सराहती थी। लेकिन नई वाचा में ऐसा नहीं है। जब मनुष्य व्यवस्था के अधीन था, तब परमेश्वर का वचन उसे सिर्फ़ बाहरी तौर पर परखता था, जैसे एक डॉक्टर किसी मरीज़ की ऊपरी तौर पर जाँच करता है। लेकिन नई वाचा में, परमेश्वर का वचन एक स्कैन या एक्स-रे की तरह है – जो हृदय के अंदर तक प्रवेश करता है।

परमेश्वर अब हमारे विचारों, मनोभावों, लक्ष्य और इरादों में ज़्यादा दिलचस्पी रखता है। कई बार, जब बाहरी तौर पर सब सही नज़र आ रहा होता है, लेकिन अंदर बड़ी दुष्टता हो सकती है, बिलकुल वैसे ही जैसे बाहर से स्वस्थ नज़र आने वाले व्यक्ति के अंदर कैंसर जैसा गंभीर रोग हो सकता हैं। इसलिए अगर आज आप परमेश्वर का वचन पढ़ते हुए सिर्फ़ अपने जीवन के बाहरी पापों के लिए ही दोषी ठहरते हैं, तो यह इस बात का संकेत होगा कि आपने वह सब कुछ नहीं सुना जो परमेश्वर चाहता था कि आप सुने। इसलिए अपने आपको हमेशा इस सवाल द्वारा परखते रहे, “क्या परमेश्वर के वचन ने मेरे हृदय के विचारों और इरादों को मुझ पर प्रकट किया?” ध्यान दें कि यहाँ सिर (मस्तिष्क) पर नहीं बल्कि हृदय पर ज़ोर दिया गया है। परमेश्वर के वचन के सभी अभिषिक्त प्रचारों में, परमेश्वर का वचन आपके मन में से होता हुआ आपके हृदय में प्रवेश करेगा और आपके भीतरी विचारों और इरादों को प्रकट करेगा।

1 कुरिन्थियों 14:25 में, हम अभिषिक्त प्रचार के परिणाम को देखते हैं। लोगों के हृदयों के भीतरी विचार प्रकट हो जाते हैं और वे भूमि पर गिरकर यह स्वीकार करते हैं कि उस सभा में परमेश्वर मौजूद है। ऐसा तब भी हो सकता है जब आप किसी ईश्वरीय व्यक्ति से बातचीत करते हैं और वह आपसे नबूवत का एक अभिषिक्त शब्द बोलता है। एक अभिषिक्त वचन हमेशा हृदय के विचारों और इरादों को प्रगट करेगा क्योंकि परमेश्वर का वचन एक दोधारी तलवार की तरह है। अगर आप परमेश्वर की सेवा करना चाहते हैं तो यह सुनिश्चित करें कि उसकी धार आपके मुख और हृदय में तेज बनी रहे। रंग चढ़े हुए शब्दों द्वारा तलवार की धार को कुण्ठित न करें और परमेश्वर के वचन को मनुष्यों के लिए ज़्यादा स्वीकार्य बनाने के लिए उसे एक व्यवहार-कुशल रूप में कोमल न बना दे। इससे लोगों को कुछ लाभ न होगा क्योंकि उसे बेध कर जहाँ पहुँचना है वह वहाँ नहीं पहुँच पाएगा। क्या आपने कभी एक बोथरी (बिना धार की) छुरी से माँस काटने की कोशिश की है? आप कोशिश कर ले, लेकिन माँस नहीं कटेगा। एक प्रचारक जो परमेश्वर के वचन की धार से समझौता करता है, वह अपने संदेश के अंत में पाएगा कि किसी ने परमेश्वर को नहीं सुना।

परमेश्वर का वचन दोधारी तलवार है। सबसे पहले प्रचारक को ही वचन को उसके हृदय को काटकर उसके विचारों और इरादों को प्रकट करने की अनुमति देना चाहिए! उसके बाद ही वह उसे दूसरे के हृदयों को काटने के लिए इस्तेमाल कर सकता है। अगर परमेश्वर के वचन ने पहले आपके हृदय को नहीं बेधा है, तो उसका प्रचार न करें! ज़्यादातर प्रचारक परमेश्वर के वचन से कभी अपना न्याय नहीं करते। वे सिर्फ़ दूसरों का ही न्याय करते हैं। परमेश्वर का वचन हमारे इरादों को भी परखता है। अगर हम परमेश्वर के वचन में से आने वाली पवित्र आत्मा की आवाज़ सुनने के लिए अपने आप को लगातार खोलते रहेंगे, तो अंततः हमारा हृदय पूरी तरह शुद्ध हो जाएगा क्योंकि हमारे हृदय के विचार और इरादे लगातार हम पर प्रकट होते रहेंगे और हम अपने आप को शुद्ध कर सकेंगे। हरेक विश्वासी को प्रतिदिन इस तरह ही जीना चाहिए। जंगल में जैसे इस्राएली प्रतिदिन मन्ना पाते थे, वैसे ही हमें भी परमेश्वर से प्रतिदिन उसका अभिषिक्त वचन प्राप्त करना चाहिए।