एक ऊँचे मानक स्तर की कलीसियाएँ बनाने के लिए, हमें ऐसे प्रचारको/अगुवों की ज़रूरत होगी जिनका मानक स्तर ऊँचा है।
यीशु ने कहा, "मेरे पीछे आओ” (लूका 9:23)।
और पौलुस ने कहा, “तुम मेरा अनुसरण करो, जैसे मैं मसीह का अनुसरण करता हूँ" (1 कुरिन्थियों 11:1; फिलिप्पियों 3:17)। प्रेरित पौलुस के इन शब्दों में, हम पवित्र आत्मा की उस अपेक्षा को देखते हैं जिसमें वह चाहता है कि हरेक ईश्वरीय प्रचारक उसकी कलीसिया में हरेक से यह कहने वाला हो सके।
अनेक प्रचारक कहते हैं, "मेरा नहीं, बल्कि मसीह का अनुसरण करो।" यह बात सुनने में बहुत नम्रता व दीनता-भरी लगती है। लेकिन यह उनके हारे हुए जीवन को ढाँपने के लिए सिर्फ एक बहाना है; और यह बात पूरी तरह पवित्र आत्मा की शिक्षा के ख़िलाफ है।
एकमात्र प्रचारक जिनका मैं सम्मान करता हूं और उनका अनुसरण करता हूं वे हैं जो कह सकते हैं, "मेरे पीछे आओ, जैसे मैं मसीह का अनुसरण करता हूं"। लेकिन यह कहते हुए दुख हो रहा है कि ऐसे प्रचारक/अगुवे हमारे समय में दुर्लभ हैं।
अपने हृदय परिवर्तन से पहले, पौलुस पूरी तरह से निष्फल व्यक्ति था। लेकिन परमेश्वर ने उसे बदल दिया, और हालांकि वह सिद्ध नहीं था, फिर भी प्रभु ने उसे एक ऐसा उदाहरण बना दिया जिसका दूसरे लोग अनुसरण कर सकते थे (फिलिप्पियों 3:12-14)। जगत का सबसे अच्छा मसीही भी सिद्ध नहीं है, लेकिन वह सिद्धता की तरफ बढ़ रहा है।
इसलिए, अगर बीते समय में आप अपने जीवन में चाहे बहुत नाकाम रहे हैं, तब भी परमेश्वर आपको एक ऐसा ईश्वरीय अगुवा बना सकता है जिसका दूसरे लोग अनुसरण कर सकें।
सात विशेषताएं हैं जिन्हें मैं मुख्य रूप से एक प्रचारक में देखता हूं, इससे पहले कि मैं उसका सम्मान कर सकूं और एक उदाहरण के रूप में उसका अनुसरण कर सकूं:
1. वह नम्र व दीन और आसानी से मिलने के लिए उपलब्ध व्यक्ति होना चाहिए: यीशु नम्र व मन में दीन और आसानी से पहुँच योग्य था (मत्ती 11:29)। उसके पास सभी लोग कभी भी और कहीं भी आ सकते थे। निकुदेमुस आधी रात को उसके घर में उससे मिलने आ सकता था; और कोई भी व्यक्ति किसी भी समय सार्वजनिक स्थानों पर यीशु से बात कर सकता था। यीशु की नम्रता ने उसे कंगालों को सुसमाचार सुनाने के लिए उत्सुक बना दिया था (जैसा कि हम लूका 4:18 में पढ़ते हैं)। पौलुस एक नम्र व दीन मनुष्य था जो अपनी गलतियों को स्वीकार करके तुरन्त क्षमा माँग लेता था (प्रेरितों के काम 23:1-5)। मैं केवल ऐसे प्रचारकों का अनुसरण करूंगा जो अमीर और गरीब के बीच कोई भेद/ पक्षपात नहीं करते हैं, जो दूसरों के सामने ऐसी छवि नहीं बनाते जिसमें “वे दूसरों से बेहतर नज़र आने लग जाएँ", जो अपनी गलतियों के लिए तुरंत माफी मांग लेते हैं, और जो हमेशा साधारण भाइयों की तरह बने रहते हैं।
2. वह एक ऐसा व्यक्ति हो जो कभी किसी से धन की माँग न करें: न तो स्वयं के लिए और न ही अपनी सेवकाई के लिए और उसकी जीवन-शैली बहुत साधारण सी हो। यदि उसे स्वेच्छा से कोई भेंट मिलता है (जैसे पौलुस को भी कभी-कभी मिलती थीं), तो वह उसे सिर्फ ऐसे लोगों से ही स्वीकार करेगा जो उससे ज़्यादा सम्पन्न/धनवान हो ; वह कभी किसी ऐसे व्यक्ति से कोई भेंट ग्रहण नहीं करेगा जो उससे ज़्यादा ग़रीब है । यीशु ने कभी किसी से धन की माँग नहीं की न तो अपने लिए और न ही अपनी सेवकाई के लिए। और उसने सिर्फ ऐसे लोगों से ही भेंट स्वीकार की जो उससे ज़्यादा धनवान थे (लूका 8:3)। यीशु और पौलुस की जीवन-शैली बहुत साधारण थी। मैं केवल उन्हीं प्रचारकों का अनुसरण करूँगा जिनका धन और भौतिक चीज़ों के प्रति वही दृष्टिकोण है जो यीशु और पौलुस का था।
3. एक ईश्वरीय व्यक्ति के रूप में उसकी एक अच्छी साक्षी हो: वह एक ऐसे खरे व्यक्ति के रूप में जाना जाएँ जिसमें पवित्रता के लिए एक मनोवेग हो- जो किसी भी चीज़ में अपना हित नहीं खोजता, जो अपनी जीभ पर नियंत्रण रखता है (याकूब 1:26; इफि.4:26-31), वह उन लोगों के प्रति दयालु है जो असफल होते हैं और जो कभी अपनी प्रार्थना, अपने उपवास या अपने दान के बारे में घमंड नहीं करता (मत्ती 6:1-18) और अपने शत्रुओं से भी प्रेम कर सकता है (मत्ती 5:44)। उसके पास युवा और वृद्ध सभी महिलाओं के प्रति पूर्ण पवित्रता का प्रमाण भी होना चाहिए (1 तीमु.5:2)। मैं केवल उन्हीं प्रचारकों का अनुसरण करूंगा जिनके जीवन में भक्ति की ऐसी सुगंध है।
4. वे अपने बच्चों की परवरिश इस तरह करें कि वे प्रभु से प्रेम करने वाले हों: घर पर उसके बच्चे अपने पिता के समान उसके आज्ञाकारी हों। पवित्र आत्मा कहता है कि किसी को भी चर्च में प्राचीन/अगुवे के रूप में नियुक्त नहीं किया जाना चाहिए, यदि उसके बच्चे प्रभु से प्रेम नहीं करते हैं या यदि वे अवज्ञाकारी हैं (1 तीमु.3:4,5; तीमु.1:6)। हमारे बच्चे हमें दूसरों से बेहतर जानते हैं, क्योंकि वे हमें हर समय घर पर देखते हैं। और यदि वे हमें घर में भक्तिपूर्वक रहते हुए देखेंगे, तो वे भी परमेश्वर के पीछे हो लेंगे। मैं केवल उन्हीं प्रचारकों का अनुसरण करूंगा जिन्होंने अपने बच्चों को विनम्र और आज्ञाकारी तथा सभी लोगों का सम्मान करने वाला बनाया है।
5. वह ऐसा हो जो निर्भय होकर ईश्वर के सम्पूर्ण उपदेश/ परामर्श का प्रचार करे। उसे नए नियम में लिखी हर बात - हर आज्ञा और हर प्रतिज्ञा - का प्रचार करना चाहिए, किसी भी व्यक्ति को खुश करने की कोशिश किए बिना (प्रेरितों 20:27; गला.1:10)। यदि वह वास्तव में लगातार पवित्र आत्मा से अभिषिक्त है, तो, यीशु और पौलुस की तरह, उसके संदेश हमेशा चुनौतीपूर्ण और प्रोत्साहन भरे रहेंगे। मैं केवल ऐसे प्रचारकों का अनुसरण करूंगा - जिनके बोलने पर मुझे परमेश्वर के अभिषेक का एहसास होता है।
6. उसे मसीह के देह की अभिव्यक्ति के रूप में स्थानीय चर्च बनाने का जुनून होना चाहिए। यीशु पृथ्वी पर न केवल लोगों को सभी पापों से बचाने के लिए आया, बल्कि अपनी कलीसिया का निर्माण करने के लिए भी आया - एक ऐसी देह के रूप में जो उसके जीवन को प्रकट करे (मत्ती 16:18)। इसलिए पौलुस का जुनून हर जगह ऐसे स्थानीय चर्च को स्थापित करना था, जो मसीह के शरीर के रूप में कार्य करें (इफिसियों 4:15,16)। और उसने इस दिशा में कड़ी मेहनत की (कुलु 1:28,29)। मैं केवल उन प्रचारकों का अनुसरण करूंगा जो (चाहे वे प्रचारक हों या शिक्षक या नबी हों) अपने तालंत/उपहार का उपयोग केवल स्थानीय चर्चों के निर्माण के लिए करते हैं जो मसीह की देह के रूप में कार्य करते हैं।
7. उसे कम से कम कुछ ऐसे सहकर्मियों को खड़ा करना चाहिए जिनके पास उसकी दृष्टि और भावना हो। एक ईश्वरीय प्रचारक हमेशा अगली पीढ़ी में प्रभु की गवाही को शुद्धता में संरक्षित रखने के बारे में चिंतित रहेगा। यीशु ने 11 शिष्यों को खड़ा किया जिन्होंने उसकी आत्मा को आत्मसात किया और उसके कार्य को आगे बढ़ाने के लिए उसके मानकों के अनुसार जीवन व्यतीत किया। पौलुस ने तीमुथियुस और तीतुस को खड़ा किया, जो अपने काम को आगे बढ़ाने के लिए विनम्रता और निस्वार्थता की भावना से जीते थे (फिल.2:19-21; 2 कुरिं.7:13-15)। मैं केवल उन्हीं प्रचारकों का अनुसरण करूँगा जिन्होंने कम से कम कुछ ऐसे सहकर्मियों को तैयार किया है जिनमें ऊपर सूचीबद्ध गुण हैं।
यदि आपको ईश्वर ने प्रचारक/अगुवा बनने के लिए बुलाया है, तो आपको प्रार्थना करनी चाहिए कि वह लगातार अपनी पवित्र आत्मा से आपका अभिषेक करे और आपको ऊपर सूचीबद्ध सभी गुण रखने में सक्षम बनाएगा, ताकि आप दूसरों के अनुसरण के लिए एक उदाहरण बन सकें।
मसीही जगत में समझौते और सांसारिकता के इस दिन में, हमें कलीसिया में अपने जीवन और सेवकाई के स्तर को ऊंचा उठाने के लिए बुलाया गया है।