द्वारा लिखित :   जैक पूनन
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1 थिस्सलुनीकियों 4: 13-18 में, पौलुस बताता है कि मसीह के लौटने का समय कैसा होगा। “हम नहीं चाहते कि तुम उनके बारे में अनजान रहो जो प्रभु में सो गए हैं”। यह बात उनके लिए कही गई है जो मसीह में मर गए। यीशु मरा और फिर जी उठा। जब मसीह लौटेगा, तब जो मसीह में सोए हैं वे फिर जी उठेंगे। जब मसीह लौटेगा तब हम जो जीवित है, उनसे पहले नहीं उठा लिए जाएँगे जो हमसे पहले मसीह में मर चुके हैं। वे पहले कब्रों में से निकल आएंगे। वह पहला जी उठना होगा। और उनके साथ हम भी प्रभु से मिलने के लिए बादलों में उठा लिए जाएंगे। अविश्वासी अगले 1000 साल तक नहीं जागेंगे। वे दूसरी बार के पुनरुत्थान में जागेंगे।

उसके आगमन पर, हमारा प्रभु ऊँची आवाज़ की पुकार के साथ उतरेगा - प्रधान-स्वर्गदूत की ऊँची आवाज़ और परमेश्वर की तुरही के साथ। तब प्रभु के सभी संत उससे बादलों में मिलने के लिए उठा लिए जाएंगे। यीशु ने जब अपने शिष्यों से उसके लौटने के बारे में बात की, तब उसने भी इन्ही बातों के विषय में बताया था कि, “तो इसलिए, अगर कोई तुमसे कहे, ‘वह यहाँ है’ या ‘वह वहाँ है’ या ‘वह गुप्त रूप में आने वाला है’, तो उनका विश्वास न करना (मत्ती 24:26)। वह असल में कह रहा था कि उसका आना गुप्त रूप में नहीं होगा, जैसा कि आज बहुत से लोग विश्वास करते हैं। उसका आना बिजली की चमक की तरह होगा जो पूर्व से पश्चिम तक चमकती है। हर आँख उसे देख सकेगी।

मसीह का आना कब होगा? यीशु ने उसका भी उत्तर दिया : “महाक्लेश के तुरंत बाद” (मत्ती 24: 29,30)। बहुत लोगों का यह विश्वास है कि मसीह अपने संतों को महाक्लेश से पहले उठा लेगा। लेकिन बाइबल में कहीं भी ऐसा एक भी वचन नहीं है जो यह सिखाता हो; यह मनुष्यों का अपना धर्म-सिद्धांत है। स्वयं यीशु ने यह साफ़ कहा था कि उसका आना महाक्लेश के बाद होगा। जिन घटनाओं का यहाँ 1 थिस्सलुनीकियों 4:16,17 में उल्लेख किया गया है, वे बिलकुल वही है जिनका यीशु ने मत्ती 24: 30,31 में वर्णन किया: यीशु का तुरही की ऊँची आवाज़ के साथ स्वर्गदूतों के संग बादलों में प्रकट होना, और उसके संतों का उससे मिलने के लिए आकाश में उठाया जाना।

1 थिस्सलुनीकियों 5:2 में हम पढ़ते हैं, “जैसे रात में चोर आता है, वैसे ही प्रभु के दिन का आना होगा”। एक चोर अपने आने का ऐलान नहीं करता लेकिन एकाएक या अचानक से आता है। इसलिए जब प्रभु लौटेगा, तब हरेक अविश्वासी चकित रह जाएगा। लेकिन हम जो ज्योति की संतान है, प्रभु के आने की बाट जोह रहे हैं (1 थिस्सलुनीकियों 5:4)। हम अंधकार में नहीं रहते, इसलिए हमें आत्मिक रूप में सोए हुए नहीं बल्कि जागते रहना है (1 थिस्सलुनीकियों 5:6)

हम यह कैसे जान सकते हैं कि हम सोए हुए हैं या जाग रहे हैं। जब एक व्यक्ति सो रहा होता है, तो उसके कमरे में मौजूद सभी असली/वास्तविक वस्तुए अदृश्य हो जाती है, और जो वस्तुए असली नहीं होती वे (उसके सपनों में) असली लगने लगती है। इसी तरह जब एक विश्वासी आत्मिक रूप में सोया हुआ होता है, तब उसे अनंत की असली बातें वास्तविक नहीं लगती लेकिन संसार की नक़ली बातें (जो मिट जाने वाली है) असली लगने लगती है। स्वर्ग और अनंत की तुलना में, यह सारा संसार एक अवास्तविक सपने की ही तरह है। स्वर्ग की बातें वास्तव में अनंत बातें है। जो विश्वासी सोए हुए हैं उनके लिए प्रभु का आना वास्तव में रात में आने वाले एक चोर की तरह ही होगा। पौलुस कहता है कि हम उस दिन का और प्रभु के आने का उत्सुकता से इंतज़ार कर रहे हैं।

हमारे आस पास के लोग यह कल्पना कर रहे होंगे कि सब शांतिपूर्ण और सुरक्षित है (1 थिस्सलुनीकियों 5:3), लेकिन उन पर अचानक विनाश आ पड़ेगा। यहाँ यह लिखा है कि यह विनाश अचानक ऐसे ही आ पड़ेगा “जैसे एक गर्भवती स्त्री पर अचानक ही प्रसव पीड़ा आ पड़ती है (1 थिस्सलुनीकियों 5:3)। यीशु ने भी अंतिम दिनों के बारे में बात करते हुए इसी अभिव्यक्ति का उपयोग किया था (मत्ती 24:8)। हर एक स्त्री यह जानती है कि एक संतान को जन्म देने से पहले उसे कई घंटों की दर्दनाक प्रसव पीड़ा में से गुज़रना पड़ता है। (कुछ माताएँ कहती है कि वह पीड़ा उन्हें मृत्यु की पीड़ा जैसी महसूस हुई)। इसके बाद ही एक बच्चे का जन्म होता है। यह महाक्लेश के उस पीड़ादायक समय काल का चित्र है जो मसीह के आने से पहले होगा। इस प्रसव पीड़ा के बिना किसी बच्चे का जन्म नहीं होता। और प्रभु का आना इस पीड़ादायक महाक्लेश से पहले नहीं होगा। हम उस समय काल से भयभीत नहीं है। अगर उस समय में प्रभु हमें यहाँ उसकी साक्षी होने और सुसमाचार की ख़ातिर अपने जीवनों का बलिदान चढ़ाने की अनुमति देता है, तो वह हमारे लिए बड़े गौरव की बात होगी।