द्वारा लिखित :   जैक पूनन श्रेणियाँ :   चेले
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मत्ती 4: 1-11, में हम यीशु के प्रलोभन के बारे में पढ़ते है। बाइबिल इब्रानियों 4:15 में कहती हैं कि, “वह सब बातों में हमारी नाईं परखा तो गया, तौ भी निष्पाप निकला”। कुछ "चतुर" मसीही इसपर विश्लेषण करना चाहते है और यह सवाल पूछते है कि " क्या यीशु पाप कर सकते थे या उनका पाप करना क्या असंभव था?" कुछ लोग यह कहते हैं, "वे पाप करने में सक्षम नहीं थे", जबकि दूसरों यह कहते है कि, "वे पाप नहीं कर सकते थे"। लेकिन हमें इन सभी के विचार-विमर्श में भाग लेने की आवश्यकता नहीं है। एक साधारण पुरुष के मनोविज्ञान का विश्लेषण करना हमें कठिन लगता है। तब हम यीशु के मनोविज्ञान का विश्लेषण कैसे कर सकते हैं? हमारे लिए यह जानना पर्याप्त है कि उनकी परीक्षा हमारे जैसे हुई लेकिन उन्होंने पाप नहीं किया। और इस कारण से, वे हमारे लिए एक उदाहरण है। हम जानते हैं कि वे परमेश्वर थे और हम साथ ही यह भी जानते हैं कि उन्होंने परमेश्वर के क्षमताओं का उपयोग नहीं किया था जब वे एक मनुष्य के रूप में पृथ्वी पर आए थे। परमेश्वर की परीक्षा नहीं किया जा सकता है, लेकिन यीशु की परीक्षा हुई थी। बाइबिल जो कहती है उसे मैं वास्तविक रूप में मानता हूं कि उनकी परीक्षा बिल्कुल वैसा ही हुआ था जैसे हमारी होती हैं, और उन्होंने पाप नहीं किया। यह मुझे विश्वास दिलाता है कि मैं भी जय पा सकता हूँ जैसा उन्होंने पाया था (प्रकाशित 3:21)।

यीशु की परीक्षा शैतान द्वारा 40 दिनों के लिए हुई थी (लूका 4:2)। उन्होंने उन सभी 40 दिनों के लिए शैतान का विरोध किया। हम यहाँ जो पढ़ते है वह केवल अंतिम तीन परीक्षाएं है। यीशु ने प्रत्येक प्रलोभन पर जय इस आत्मा के तलवार के साथ किया कि - "यह लिखा है"। जब शैतान ने देखा कि यीशु ने वचन का उद्धरण किया, उसने भी एक पवित्र शास्त्र के वचन को उद्धृत किया और कहा, “क्योंकि लिखा है, कि वह तेरे विषय में अपने स्वर्गदूतों को आज्ञा देगा; और वे तुझे हाथों हाथ उठा लेंगे; ….. तो अपने आप को नीचे गिरा दे;” ( मत्ती 4:6)। इसपर यीशु ने उत्तर दिया, यह भी लिखा है, कि तू प्रभु अपने परमेश्वर की परीक्षा न कर( मत्ती 4:7)। पूरी सच्चाई अकेले पवित्र शास्त्र के एक ही पद में नहीं लेकिन पूरे शास्त्र में पाया जाता है - एक पद का दूसरे पद से संतुलन करना। यदि शैतान पदों का उद्धरण करके यीशु को पाप में गिराने का प्रयास और नेतृत्व कर सकता था तो आप निश्चित हो सकते है कि वह पदों का उद्धरण करके आपको भी भटकाने का नेतृत्व करेगा। और यदि आप शास्त्रों को अच्छी तरह से नहीं जानते है, आप भटक ही जाएंगा। यीशु के पास, शैतान के द्वारा लाए गए प्रत्येक परीक्षाओं का विरोध करने के लिए पवित्र शास्त्र के पद थे। यीशु के द्वारा सामने किए गए परीक्षाओं में जो निहित था, उनको देखना हमारे लिए अच्छा है, क्योंकि शैतान भी उसी प्रकार से हमारी परीक्षा करता है।

1. स्वार्थ (मत्ती 4:1-4)। अपनी भूख को संतुष्ट करने के लिए पत्थरों को रोटी में बदलना।

क) अपनी आध्यात्मिक आवश्यकताओं के ऊपर अपनी शारीरिक जरूरतों को रखना। यीशु ने उत्तर दिया कि मनुष्य केवल रोटी ही से नहीं, परन्तु हर एक वचन से जो परमेश्वर के मुख से निकलता है जीवित रहेगा।

ख) परमेश्वर के सामर्थ का अपने स्वयं के व्यक्तिगत लाभ के लिए प्रयोग करना। यीशु ने ऐसा करने से इनकार कर दिया। उन्होनें इस सामर्थ का प्रयोग भविष्य में 5000 पुरुषों के लिए रोटियों को बढ़ाने के लिए किया था, लेकिन स्वयं के लिए कभी नहीं। कई प्रचारक इस प्रलोभन के शिकार हुए है कि परमेश्वर के द्वारा दिए गए सामर्थ और उपहारों का उपयोग वे स्वयं के लिए, पैसे बनाने के लिए करते है।

अनुमान (मत्ती 4: 5-7)। मंदिर के कंगूरे से कूदकर और संरक्षण के लिए परमेश्वर के वादों का दावा करना।

2. अनुमान (मत्ती 4: 5-7)। मंदिर के कंगूरे से कूदकर और संरक्षण के लिए परमेश्वर के वादों का दावा करना।

क) परमेश्वर द्वारा न बताए गए पद पर कदम रखना- और परमेश्वर के वादों पर दावा करना। यीशु ने उत्तर दिया कि हम संकटमय चींजों को करके परमेश्वर की परीक्षा न ले। कुछ मूर्ख मसीही जब बीमार होते हैं, दवाई नहीं लेते, लेकिन अपेक्षा करते है कि अलौकिक प्रकार से परमेश्वर उनको चंगा कर देंगे। यह विश्वास नहीं लेकिन अनुमान है। यह आत्महत्या है! दवाईयां परमेश्वर के निर्माण से बनाए गए हैं और हमें इनका प्रयोग करना चाहिए। यदि मंदिर के छत से नीचे आने के लिए सीढ़ियां उप्लब्ध है, तब हमें उसका उपयोग करना चाहिए और न कि नीचे कूदे!! यदि हम कूदे, परमेश्वर हमारी रक्षा नहीं करेंगे। यदि, हालांकि, हम एक जंगल में हैं जहां दवाईयां उपलब्ध नहीं हैं, तब हम दवाईयों के बिना चंगाई के लिए परमेश्वर से पूछ सकते हैं - लेकिन तब नहीं जब उन्होंने दवाईयां प्रदान की है।

ख) कुछ शानदार चीज़ करके दूसरों को यह दिखाने के लिए कि हम परमेश्वर के मनुष्य है। मनुष्य का सम्मान पाने के लिए एक प्रलोभन। यीशु ने मनुष्य के सम्मान के लिए, शानदार चीजों और चमत्कारों को करने से इनकार कर दिया।

3. समझौता (मत्ती 4:8-10)। शैतान के लिए झुकने से दुनिया के राज्यों को और उनकी महिमा को पाना।

क) एक सही चीज़ को एक गलत तरीके से प्राप्त करना - एक अन्यायी क्षुद्र रूप से ! एक अन्यायी कार्य करना शैतान के सामने झुकने के अनुकूल है। यीशु ने क्रूस के लंबे कठिन रास्ते को चुना और सभी कम कटौती को इनकार कर दिया था।

ख) इस दुनिया द्वारा प्रदान किए महिमा का पीछा करना - पैसा और सम्मान, स्थिति और शक्ति (दुनिया में या कलीसिया में)। यीशु ने कहा कि केवल परमेश्वर की आराधना की जानी चाहिए, न कि शैतान की या पैसों की या कुछ भी जो वह प्रदान करता हैं। कई प्रचारक एक व्यापक सेवकाई के तलाश में कुछ चीजों के बारे में चुप रहते है ( जो परमेश्वर चाहते है कि वे प्रचार करे) और इस तरह से वे हर किसी को भाते है। इस प्रकार वे एक व्यापक सेवकाई पा लेते है - लेकिन यह शैतान के सामने घुटने झुकाने के द्वारा होता है।

शैतान इन सभी तरीकों से हमारे पास भी आता है, जैसे वह यीशु के पास आया था। यीशु ने उसे परमेश्वर के एक वचन द्वारा दूर कर दिया था और हम भी परमेश्वर के एक वचन द्वारा उसे दूर भगा सकते है।