द्वारा लिखित :   जैक पूनन
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संसार में तीन प्रकार के विश्वासी लोग है :

(1) स्वयं पर भरोसा करने वाले विश्वासी लोग। ऐसे विश्वासी लोग कम प्रार्थना करते है या फिर प्रार्थना ही नहीं करते। वे उपवास तथा प्रार्थना नहीं करते। उनके प्रार्थना रहित जीवन द्वारा वे बताते है कि हर समस्या वे स्वयं सुलझा सकते है। ऐसे विश्वासी परमेश्वर का अनन्तकालिक कार्य नहीं कर सकते।

(2) जिनका स्वयं पर भरोसा नहीं होता उसी प्रकार परमेश्वर पर भी भरोसा नहीं होता। वे कबूल करते हैं कि उनमें कोई सामर्थ या ज्ञान नहीं हैं। परन्तु, उनका विश्वास भी नहीं होता कि परमेश्वर उनके लिये कार्य करेगा। ऐसे विश्वासी भी प्रार्थना रहित जीवन जीते हैं। वे प्रार्थना भी करते हैं तो उनके प्रार्थना में कोई विश्वास नहीं होता। ऐसे विश्वासी भी परमेश्वर का अनन्तकालिक कार्य नहीं कर सकते।

(3) विश्वासी जिनका सम्पूर्ण भरोसा परमेश्वर पर होता है किन्तु स्वयं पर नहीं होता। वे जानते हैं कि उनमें सामर्थ तथा ज्ञान की कमी हैं। परन्तु, उनका विश्वास होता है कि परमेश्वर बड़ी सामर्थ से उनमें कार्य करेगा तथा उनके द्वारा कार्य करेगा। केवल ऐसे ही विश्वासी सच्चे आत्मिक होते हैं और वें ही परमेश्वर का अनन्तकालिक कार्य कर सकते हैं।

दूसरे प्रकार के विश्वासी पहले प्रकार के विश्वासी के समान परमेश्वर के उपयोग में नहीं आते। यह जानना हमारे लिये महत्वपूर्ण हैं। दूसरे प्रकार के विश्वासी टूटे हुए दिखाई देंगे, परन्तु वे टूटे हुए नहीं होते हैं। क्योंकि अविश्वास में मसीह जैसी सच्ची नम्रता नहीं होती। विश्वास के बगैर परमेश्वर को सन्तुष्ट करना संभव नहीं, फिर हम कितने भी टूटे हुए क्यों ना दिखाई दें। केवल हमारी असामर्थ को कबूल करने से ही समस्याएं हल नहीं होंगी। हमें परमेश्वर पर भरोसा करना भी आवश्यक है।

हम कुछ काम के नहीं, बेकार है, मूर्ख हैं तथा शून्य हैं ऐसा कबूल करना नम्रता नहीं होती, परन्तु, अविश्वास होता है। हम ऐसा ही कबूल करते रहेंगे तो सदासर्वदा के लिये बेकार रहेंगे। इस प्रकार की झूठी नम्रता को कई संभ्रमीत विश्वासी सच्ची नम्रता समझ बैठते हैं!

परन्तु, यीशु ने कहा कि हम उससे नम्रता सिखे (मत्ती 11:29)। यीशु ने कभी भी ऐसा नहीं कहा कि वह बेकार तथा कुछ काम का नहीं। उसने ऐसा कभी भी नहीं कहा। सच्ची नम्रता परमेश्वर के सामने शून्यता का स्थान लेती है, ताकि परमेश्वर हमारे लिये सबकुछ हो। यीशु ने भी मनुष्य का स्थान स्वीकार किया। हमें भी ऐसा ही करना हैं। निचले स्थान पर हम परमेश्वर पर भरोसा कर सकते है कि वह हममें और हमारे द्वारा सर्वसामर्थी कार्य करेगा तथा हमारे पैरों के नीचे शैतान को कुचलेगा।