द्वारा लिखित :   जैक पूनन
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नहेम्याह की पुस्तक हमें उस जबरदस्त नव-जागृति को दिखाती है जिसे परमेश्वर ने दो धर्मी पुरुषों - एज्रा और नहेम्याह के प्रभाव के माध्यम से यहूदियों के बीच लाया।

नहेम्याह अध्याय 8 में हम यह पढ़ते हैं कि परमेश्वर ने एज्रा द्वारा क्या किया। एज्रा ने परमेश्वर के वचन लेकर इस्राएल के सभी पुरुषों, स्त्रियों व बच्चों को, जो समझने लायक थे, इकट्ठा किया। और उन्हें एक 6 घण्टे का बाइबल अध्ययन कराया। और यह लिखा है कि "सब लोग व्यवस्था की पुस्तक पर कान लगाए रहे" (नहेम्याह 8:3)। उन्होंने अपनी सभा का आरम्भ स्तुति करते हुए किया (नहेम्याह 8: 4)। और तब एज्रा ने लोगों को वचन में से पढ़ी गई हर बात का अर्थ समझाने के लिए कष्ट सहा (नहेम्याह 8: 8)। यह स्पष्ट है कि एज्रा ने पवित्र शास्त्र का अध्ययन करने में सालों-साल बिताए होंगे, क्योंकि तभी वह लोगों को उसे स्पष्ट रूप से समझाने के लिए सक्षम बन सका था। परमेश्वर ने उसे गुप्त में इसके लिए तैयार किया था।

तब उनके बीच नवजागृति आई और लोग अपने पापों के लिए फूट-फूट कर रोने लगे (नहेम्याह 8: 9)। फिर उन्हें इस बात के लिए प्रोत्साहित किया गया कि जो भली वस्तुएं परमेश्वर ने उन्हें दी थीं, वे उन्हें दूसरों के साथ भी बाँटें। ऐसा करते हुए “परमेश्वर का आनन्द उनकी सामर्थ्य बन जाएगा" (नहेम्याह 8:10)। लोगों ने जाकर उस उपदेश का पालन किया। अगले दिन एज्रा ने सभी अगुवों को पवित्र शास्त्र के अध्ययन के लिए इकट्ठा किया (नहेम्याह 8:13)। जब उन्होंने यह देखा कि पवित्र शास्त्र में सभी इस्राएलियों के लिए यह आज्ञा है कि वे प्रतिवर्ष सातवें महीने में "झोपड़ियों का पर्व" मनाएं, तो उन्होंने तुरन्त उस आज्ञा का पालन किया। यह पर्व 900 सालों में पहली बार मनाया जा रहा था, क्योंकि इस आज्ञा का यहोशू के समय से पालन नहीं हुआ था (नहेम्याह 8:14-17)। दाऊद ने भी, जो परमेश्वर के मन के अनुसार व्यक्ति था, इस्राएलियों से इस आज्ञा का पालन नहीं करवाया था। एज्रा अगले सात दिन तक लोगों के लिए पवित्र शास्त्र अध्ययन सभाए करता रहा (नहेम्याह 8:18)

नहेम्याह अध्याय 9 में, हम यह पढ़ते हैं कि परमेश्वर ने नहेम्याह के द्वारा क्या किया था। इस अध्याय का आरम्भ इस्राएलियों के उपवास, अपने पापों के अंगीकार, और मूर्तिपूजकों से अपने आपको अलग करने से होता है (नहेम्याह 9:1,2)। फिर उन्होंने तीन घण्टे का समय परमेश्वर के वचन के अध्ययन में लगाया और तीन घण्टे प्रभु की स्तुति और अपने पापों के अंगीकार में लगाए। वहाँ फिर से नवजागृति आई थी (नहेम्याह 9:3)। फिर लेवीयों ने खड़े होकर ऊँची आवाज़ से परमेश्वर को पुकारा (नहेम्याह 9:4)नहेम्याह 9:6-31 में हम बाइबल में दर्ज सबसे लम्बी प्रार्थना पाते हैं। फिर लेवीयों ने अब्राहम के समय से इस्राएलियों के इतिहास का अवलोकन किया, और 40 साल तक जंगल में फिरने के समय की, और न्यायियों और राजाओं के समय की अपनी निष्फलताओं को याद किया। उन्होंने यह अंगीकार किया कि परमेश्वर ने जो भी न्याय किया, वह सही और सच्चा था। तब उन्होंने मन फिराया और परमेश्वर के सम्मुख एक दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर किए, जिसमें सबसे पहला हस्ताक्षर नहेम्याह ने किया (नहेम्याह 10:1)

ये सब कुछ परमेश्वर का भय मानने वाले इन दो पुरुषों, एज्रा व नहेम्याह के प्रभाव द्वारा हुआ। उनकी साथ मिलकर की गई सेवकाई बिलकुल ऐसी थी मानो नई वाचा की कलीसिया के दो प्राचीनों की मिलकर की गई सेवकाई हो। यह हमारे अनुसरण के लिए कितना उत्तम उदाहरण है।