द्वारा लिखित :   जैक पूनन श्रेणियाँ :   कलीसिया
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दानिय्येल अपनी पीढ़ी में एक ऐसा व्यक्ति हुआ जिसे परमेश्वर इस्तेमाल कर सका था। जब वह 17 वर्ष का युवक था, तभी उसने अपने हृदय में यह निश्चय किया था कि “वह अपने आप को अशुद्ध नहीं करेगा” (दानिय्येल 1:8)। और जब हनन्याह, मिशाएल और अजर्याह ने दानिय्येल को प्रभु के लिए दृढ़ता से खड़े रहते देखा, तो उनमें भी प्रभु के लिए खड़े होने का साहस पैदा हुआ (दानिय्येल 1:11)। उनमें अपने आप खड़े रहने का साहस न था। लेकिन जब उन्होंने दानिय्येल को खड़े होते हुए देखा तो उनमें साहस पैदा हुआ। आज ऐसे बहुत लोग है जिनमें अपने आप से प्रभु के लिए खड़े रहने का साहस नहीं है, वे किसी दानिय्येल के दृढ़ होकर खड़े होने का इंतज़ार करते हैं। फिर वे उसके साथ जुड़ जाते हैं। क्या आप एक ऐसे दानिय्येल बनेंगे? जो कह सके, “मैं अपने आप को अशुद्ध नहीं करूँगा। मैं राजा को, सेनापति को, पीछे भटके हुए किसी प्राचीन को, या किसी को भी प्रसन्न करने की कोशिश नहीं करूँगा। मैं 100% उन बातों के लिए खड़ा होऊँगा जो परमेश्वर का वचन कहता है”। आज हमारे देश में दानिय्येल सेवकाई की बहुत ज़रूरत है – ऐसे स्त्री व पुरुषों की ज़रूरत जो “दूसरे बहुत से लोगों को धार्मिकता की ओर ले आएँगे” (दानिय्येल 12:3)। यह पद उन प्रचारकों के बारे में नहीं है जो धार्मिकता का प्रचार करते हैं, बल्कि उनके लिए है जो अपने वचन और उदाहरण द्वारा लोगों को धार्मिकता की ओर अगुवाई करेंगे।

हम पवित्र शास्त्र में एक और सेवकाई के बारे में पढ़ते हैं- और यह सेवकाई इस “दानिय्येल सेवकाई” से बिलकुल विपरीत है - एक “लूसीफ़र सेवकाई”। प्रकाशितवाक्य 12:4 में, हम पढ़ते हैं कि परमेश्वर के ख़िलाफ़ किए गए उसके विद्रोह में लूसीफ़र ने लाखों दूतों को अपने साथ मिला लिया था। परमेश्वर ने लूसीफ़र को यह अनुमति क्यों दी कि वह इतने सारे स्वर्गदूतों को भरमा कर उसके साथ मिला सके? इसलिए कि सारे असंतुष्ट और विद्रोही दूतों को स्वर्ग में से दूर किया जा सके। उनके दुष्ट ह्रदयों पर से तब तक पर्दा नहीं हटता, जब तक कि उनके बीच में एक लूसीफ़र आकर परमेश्वर से विद्रोह करने में उनकी अगुवाई नहीं करता।

इसलिए, आज भी परमेश्वर कलीसिया में भाइयों व बहनों को एक लूसीफ़र सेवकाई करने की अनुमति देता है। परमेश्वर उन्हें एक घर के बाद दूसरे घर में पीठ पीछे बुराई करते हुए, दोष लगाते हुए, झूठ बोलते हुए, और दुष्टता भरी बातें करते हुए घूमने देता है ताकि कलीसिया के असंतुष्ट, विद्रोही और सांसारिक विश्वासियों को पहचाना जा सके, उनका पर्दाफ़ाश हो सके और उन्हें इकट्ठा करके कलीसिया में से निकाला जा सके जिससे मसीह की देह को शुद्ध किया जा सके। परमेश्वर लूसीफ़र-सेवकाई में लगे लोगों को कलीसिया में घूमने-फिरने से ठीक उसी तरह नहीं रोकेगा जैसे लाखों साल पहले उसने मूल लूसीफ़र को स्वर्ग में नहीं रोका था। यह ईश्वरीय बुद्धि है।

हमें भी ऐसे भाइयों व बहनों से लड़ना नहीं है। परमेश्वर स्वयं कलीसिया को बनाए रखेग, और सही समय पर, वह उनका नाश करेगा जो कलीसिया को अशुद्ध करते हैं (1 कुरिन्थियों 3:17)। लेकिन परमेश्वर धीरज से सहनेवाला परमेश्वर है और न्याय करने से पहले वह बहुत सालों तक इंतज़ार करता है क्योंकि वह नहीं चाहता कि किसी एक का भी नाश हो बल्कि वह चाहता है कि सभी मन फिराए (2 पतरस 3:9)। नूह के समय उसने 120 साल तक इंतज़ार किया था। लेकिन परमेश्वर जब न्याय करता है, तब उसका न्याय बहुत कठोर होता है। इसलिए घमंड से यह बोलना मूर्खता की बात है कि एक कलीसिया में कभी कोई विभाजन नहीं हुआ है। आरम्भ में स्वयं स्वर्ग में ही स्वर्गदूतों के बीच में विभाजन हुआ था। “यह ज़रूरी है कि विभाजन हो, कि जो खरे है (जिन्हें परमेश्वर का समर्थन प्राप्त है) वे प्रकट हो सके” (1 कुरिन्थियों 11:19)। ज्योति को अंधकार से अलग किया जाना ज़रूरी होता है। यह विभाजन नहीं होता। यह शुद्धीकरण होता है। इसकें बिना पृथ्वी पर परमेश्वर की साक्षी भ्रष्ट हो जाएगी।

हममें से हरेक की या तो दानिय्येल सेवकाई हो सकती है – कलीसिया में एकता और संगति के निर्माण का काम – या एक लूसीफ़र सेवकाई हो सकती है – फ़ूट डालने का काम। हम निष्पक्ष नहीं रह सकते। यीशु ने कहा कि जो मेरे साथ नहीं बटोरता, वह लोगों को मुझसे दूर बिखेर रहा है। कलीसिया में सिर्फ़ दो तरह की सेवकाईयाँ है – इकट्ठा करने की ओर बिखेरने की (मत्ती 12:30)

ऐसा हो सके कि इन अंत के दिनों में हमें परमेश्वर की इच्छा अनुसार जीवन जीने का अनुग्रह प्राप्त हो ताकि परमेश्वर के नाम की महिमा के लिए हर एक जगह में कलीसिया का निर्माण एक शुद्ध साक्षी के रूप में हो सके।