द्वारा लिखित :   जैक पूनन
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यहां पर पांच भजन हैं जो हमें सिखाते हैं कि हम परमेश्वर की उपस्थिति में कैसे सुरक्षित रह सकते हैं। भजन 15 परमेश्वर की उपस्थिति में जीवन बिताने के लिए मनुष्य की योग्यता का वर्णन करता है। उसे अपने हृदय में सच बोलना है। उसे परमेश्वर का भय रखने वालों का आदर करना ह (परमेश्वर की कलीसिया में हम लोगों को आदर देते हैं, परंतु संसार के समान नहीं, क्योंकि वे धनी और विखयात हैं, परंतु इसलिए कि वे परमेश्वर का भय रखते है)। इस भजन को धीरे धीरे पढ़ें और उसके प्रकाश में अपने हृदय को जांचें, क्योंकि वह उन लोगों से जो इस तरह जीते हैं, कहता है, ''जो कोई ऐसी चाल चलता है वह कभी न डगमगाएगा'' (भजन 15:5)।

इस संसार में जल्द ही कई बातें हिलाई जाएंगी। परंतु यह मनुष्य कभी डगमगाएगा नहीं। भजन 16:8 में दाऊद कहता है, ''मैंने यहोवा को निरन्तर अपने सम्मुख रखा हैः इसलिये कि वह मेरे दाहिने हाथ रहता है मैं कभी न डगमगाऊंगा।'' पतरस ने प्रभु यीशु मसीह का संदर्भ देते हुए इस वचन को कहा (प्रे. काम 2:5)। हमें यीशु का उदाहरण अपनाना है और हर बात में प्रभु को अपने सामने रखना है जो हम कहते और करते हैं। तब वह हमारे दाहिने हाथ पर होगा और हमारी भी सहायता करेगा। परमेश्वर की उपस्थिति में, ''आनंद की भरपूरी है'', और उसके दाहिने हाथ में सुख सदा सर्वदा बना रहता है (भजन 16:11)। आनंद और सुख शुद्ध रूप से केवल परमेश्वर की उपस्थिति में पाए जाते हैं जहां पर वे सनातन हैं। संसारिक आनंद और सुख कुछ ही समय के हैं।

भजन 31:19 और 20 में हम पढ़ते हैं, '' आहा, तेरी भलाई क्या ही बडी है जो तू ने अपने डरवैयों के लिये रख छोडी है, और अपने शरणागतों के लिये मनुष्यों के सामने प्रगट भी की है! तू उन्हें दर्घन देने के गुप्तस्थान में मनुष्यों की बुरी गोष्ठी से गुप्त रखेगा; तू उनको अपने मण्डल में झगड़े-रगड़े से छिपा रखेगा।'' यह हमारे लिए छिपने का उत्तम स्थान है - उसकी उपस्थिति में - हमारे शत्रुओं की जीभ से।

हमारे लिए, गुप्त स्थान यीशु की घायल पसली है। ''सर्वशक्तिमान की छाया में'' रहने का मतलब है परमेश्वर हमारे आगे जाता है और हम उसके पीछे उसकी छाव में चलते हैं (पद 1)। समस्त संसार में सुरक्षित स्थान है परमेश्वर की सिद्ध इच्छा का केन्द्र। प्रभु ने हमसे प्रतिज्ञा की है कि वह हमें दोनों शत्रुओं से बचाएगा - शैतान (जाल बिछाने वाला) और पाप (घातक रोग) (पद 3)। वह हमें प्रगट पापों स (दिन के खतरों स) और सूक्ष्म, छलपूर्ण पापों स (रात के खतर) बचाएगा (पद 5,6)। भले ही हमारे चारों ओर के ग्यारह हज़ार विश्वासी विजयी जीवन में विश्वास न करते हो, परंतु वह हमें पाप में गिरने से बचाएगा (पद 7)। हमें कई क्लेशों का सामना करना पड़ेगा, परंतु उन सब में हम पर कोई विपत्ति नहीं आएगी (पद 10)। हमारी देखभाल के लिए उसने स्वर्गदूतों को तैनात किया है, जब तक हम उसकी इच्छा में चलते हैं। शैतान (सिंह और नाग) हमेशा हमारे पांव के नीचे कुचले जाएंग (पद 13)। परमेश्वर हमारी प्रार्थनाओं का उत्तर देगा और हमें ऊंचे पर बिठाएगा और हमें दीर्घायु देगा ताकि जब तक हम अपने नियुक्त काम को पूरा न करें, हमें मृत्यु नहीं आएगी (पद 15,16)।

भजन 139 इस सच्चाई का वर्णन करता है कि परमेश्वर हर तरफ है और सबकुछ जानता है। हम परमेश्वर की उपस्थिति में हैं, जहां कहीं हम जाएं (पद 7-12)। यही हमारे जीवन को सुरक्षित करता है। उसने अपने पूर्व ज्ञान के अनुसार, जिस दिन से हमारा जन्म हुआ, उस दिन से हमारे संसारिक जीवन के हर दिन की योजना बनाई है और उसे अपनी पुस्तक में लिखकर रखा है (पद 16)। परमेश्वर एक एक करके उस योजना को हम पर प्रगट करेगा। यदि हम उस योजना में जीते हैं, तो हमारे संसारिक जीवन का जब अंत होगा, तो हमें खेद नहीं होगा।