द्वारा लिखित :   जैक पूनन
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अगर हमें एक प्रभावशाली आत्मिक युद्ध लड़ना है, तो हमें शैतान की युक्तियों से, चालों से और उसकी रणनीति से अनजान नहीं रहना चाहिए। शैतान ने जंगल में यीशु को जिस तरह से भोजन द्वारा प्रलोभित करने की कोशिश की थी, उससे हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि शैतान हमारे देह की वैधानिक (उचित) अभिलाषाओं द्वारा हमें परीक्षा में डालने की कोशिश करेगा। यीशु ने अपने शिष्यों को यह चेतावनी दी थी कि वे इस बात की ज़्यादा चिंता न करें कि वे क्या खाएँगे और क्या पहनेंगे। अगर हमारा मन भोजन और नए-नए फ़ैशन के कपड़ों में जकड़ा हुआ है, तो निश्चित रूप से शैतान की शक्ति हम पर प्रबल होगी क्योंकि तब हमारा राज्य इस संसार का होगा। हमें सावधान रहना होगा कि हम अपनी कलीसियाओं में जवान लड़कियों को इस तरह प्रशिक्षित न करें कि वे नए-नए फ़ैशन के कपड़ों की तरफ़ आकर्षित होने वाली बन जाए और फिर कहीं ऐसा न हो कि वे बड़े होकर शैतान के प्रलोभनों में फँस जाए।

लूसीफ़र तब शैतान बना जब उसने सभी स्वर्गदूतों के बीच में (प्रधान स्वर्गदूत होते हुए), अपने आपको उनसे ज़्यादा महत्वपूर्ण समझना शुरू कर दिया था (यहेजकेल 28: 11-18; यशायाह 14:12-15)। शैतान इसी तरह बहुत से विश्वासियों के ह्रदयों में प्रवेश करता है। जब भी एक भाई यह समझने लगता है कि वह कलीसिया में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति है, तब यह स्पष्ट है कि वह शैतान की आत्मा से संक्रमित हो गया है। फिर वह आत्मिक युद्ध के लिए प्रभावहीन हो जाएगा, भले ही उसके आस-पास मौजूद परखहीन विश्वासी उसके इस एहसास को पोषित करते हैं कि वह एक महत्वपूर्ण व्यक्ति है।

जब एक भाई सभा में उसकी आत्मिक अंतर्दृष्टि की मात्रा से ज़्यादा बोलता है, और कलीसिया में गरीब, निर्बल और धीरज से सहने वाले भाई-बहनों के ऊपर अपने बाइबल के ज्ञान की उल्टी करता है, तो यह इस बात का स्पष्ट संकेत करता है कि वह अपने आपको एक ऐसा महत्वपूर्ण व्यक्ति समझ रहा है जो दूसरों से श्रेष्ठ है। यह शैतान की आत्मा है। लेकिन, फिर भी हमने अक्सर यही पाया है कि ऐसा भाई बुरा मान जाने जैसी प्राथमिक बात पर भी जय नहीं पा सकता। सभा के बाद अगर उसे संक्षिप्त में बात करने के लिए सुधारा जाता है, तो वह बुरा मान जाता है। यह स्पष्ट है कि ऐसे भाई लगातार स्वयं अपना न्याय करते रहने वाला जीवन व्यतीत नहीं कर रहे हैं, क्योंकि अगर वे ऐसा कर रहे होते, तो उन्होंने यह महसूस किया होता कि पवित्र-आत्मा उनके घमंड और अहंकार के लिए उन्हें दोषी ठहरा रहा है।

जब यीशु ने अपने शिष्यों को चेतावनी देते हुए शीर्षको और पदों से बचे रहने के लिए कहा, तब वह उन्हें इसी शैतानी आत्मा के बारे में सचेत कर रहा था जो कलीसिया में अपने आपको औरों के ऊपर प्रतिष्ठित करती है। एक “रेवरैंड” साधारण भाई से महान होता है, और एक “पास्टर" भी एक साधारण भाई से महान होता है। लेकिन यीशु ने कहा कि हम सभी को साधारण भाई होना है। सभी शीर्षक व पद बेबीलोन वासियों के पास ही रहने दें। हम अपनी आत्मा में भी इससे बचें। कलीसिया में हमेशा अपनी आत्मा में सबसे छोटे भाई बने रहना चाहे, और तब न सिर्फ़ आप स्वयं सुरक्षित रहेंगे, बल्कि शैतान के ख़िलाफ़ आपके युद्ध में प्रभावी भी होंगे।

लूसीफ़र भी उन परिस्थितियों में संतुष्ट नहीं था जिनमें परमेश्वर ने उसे रखा था। उस वजह से ही वह शैतान बना था। शैतान अब इसी असंतोष को सारे संसार में लोगों के ह्रदयों में फैला रहा है। और यह संक्रामक रोग बहुत से विश्वासियों को भी लग चुका है। आपके पार्थिव व भौतिक हालातों को बेहतर बनाने में कोई बुराई नहीं है। लेकिन जब आप अपने से ज़्यादा अपने भाई के पास भौतिक सुख-सुविधाओं की वस्तुओं देखें, तो उससे ईर्ष्या न करें, और जो उसके पास है वह पाने की लालसा न करें, और उससे कोई भेंट प्राप्त करने की अपेक्षा न करें। जो कुछ परमेश्वर ने आपको दिया है, उसमें संतुष्ट रहे। “जो भेंट (घुस) से घृणा करता है, वह जीवित रहेगा” (नीतिवचन 15:27 के.जे.वी. अनुवाद)। शैतान की युक्तियों से अनजान न रहे। जिस पल आप अपने वेतन से, अपने घर से, अपनी त्वचा के रंग से, या ऐसी किसी भी बात से असंतुष्ट हो जाते हैं, तब आप उसी पल अपना हृदय शैतान के लिए खोल देते हैं।

शैतान ने मसीहियों के एक बड़े बहुमत को उसके ख़िलाफ़ होने वाले आत्मिक युद्ध में प्रभावहीन कर दिया है, क्योंकि उसने उन्हें उनके भाइयों व बहनों के ख़िलाफ़, उनके रिश्तेदारों और पड़ोसियों के ख़िलाफ़, उनके हालातों के ख़िलाफ़, और यहाँ तक परमेश्वर के ख़िलाफ़ भी कुड़कुड़ाने और शिकायत करने वाले बना दिया है। हम शैतान पर तभी जय पाते हैं, जब हम इस उपदेश का पालन करते हैं। १). “मसीह की शांति तुम्हारे ह्रदयों में राज्य करें जिसके लिए तुम वास्तव में एक देह होने के लिए बुलाए गए हो; और धन्यवादी बने रहो” (कुलस्सियों 3:15)। २). “सब मनुष्यों के लिए धन्यवाद अर्पित किया जाए” (१ तिमुथियुस 2:1)। ३). “सदैव सब बातों के लिए हमारे प्रभु यीशु मसीह के नाम में परमेश्वर पिता को धन्यवाद दो” (इफिसियों 5:20)

एक बार जब हम मसीह की देह में अपने भाइयों व बहनों के लिए धन्यवाद देने वाले हो जाएंगे, तो हम सब मनुष्यों और हमारे सारे हालातों के लिए भी धन्यवाद देने वाले हो जाएंगे। हम जानते हैं कि हमारा स्वर्गीय पिता सभी मनुष्यों व सभी हालातों पर नियंत्रण रखता है और उसकी उन पर पूरी प्रभु सत्ता है। अगर हमारा वास्तव में इस बात पर विश्वास होगा तो हम अवश्य ही हर समय परमेश्वर की स्तुति करेंगे और इस तरह हम यह साबित कर देंगे कि हमारा राज्य इस संसार का नहीं बल्कि स्वर्ग का है।तब शैतान हमारे ऊपर अपनी शक्ति खो देगा। सिर्फ़ तभी ऐसा होगा कि हम उसके ख़िलाफ़ एक प्रभावी युद्ध कर सकेंगे। प्रकाशितवाक्य 12:8 में एक अद्भुत वचन लिखा है कि शैतान और उसके दूतों को स्वर्ग में कोई स्थान नहीं मिला। हमारे जीवनों में - हमारे ह्रदयों में, हमारे घरों में, और हमारी कलीसियाओं में भी ऐसा ही होना चाहिए। शैतान और उसके दूतों को इन सभी स्थानों में कोई जगह नहीं मिलनी चाहिए।