द्वारा लिखित :   जैक पूनन
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अगर एक विश्वासी परमेश्वर के सम्मुख नहीं जीता, तो वह बहुत आसानी से अपनी वास्तविक आत्मिक दशा से अनजान हो जाएगा। यह बात उस ताड़ना से स्पष्ट हो जाती है जो प्रकाशितवाक्य में प्रभु ने सात कलीसियाओं के दूतों को दी थी। लौदीकिया की कलीसिया के दूत (प्राचीन) से उसने कहा, “तू नहीं जानता कि तू कितना अभागा, तुच्छ, दरिद्र, अंधा और नंगा है (प्रकाशितवाक्य 3:17)

परमेश्वर हमारे जीवनो में ऐसे बहुत से अलग-अलग हालात पैदा होने की अनुमति देता है जो हमारे हृदय में छुपी बातों को उजागर कर देते है। बीते कई सालों में विभिन्न लोगों के साथ हुए हमारे अनेक बुरे अनुभवों की वजह से हमने अपने हृदय में अनेक अप्रिय यादें जमा कर ली है। वे हमारे हृदय की गहराई में रहती है, लेकिन हम यह कल्पना कर लेते हैं कि हमारे हृदय शुद्ध है। फिर परमेश्वर किसी ऐसी ही मामूली बात के होने की अनुमति देता है जिससे हमारे अंदर भरी हुई सड़ाहट ऊपर आकर हमारे मन में भर जाती है। हमारे लिए अपने आप को शुद्ध करने का यही समय होता है कि हम उस बात से जुड़े लोगों को क्षमा करें और उनसे प्रेम करने का फ़ैसला करें। अगर हम ऐसे मौकों को अपने हृदयों को शुद्ध करने के लिए इस्तेमाल नहीं करेंगे, तो वे हलचल के उन समयों के गुज़र जाने के बाद फिर से हमारे हृदयों की गहराई में चली जाएगी। और तब हम ऐसी कल्पना कर सकते हैं कि सब ठीक है। लेकिन सब ठीक नहीं होता है। फिर से कोई मामूली घटना सारी बुराई को हमारे मन में ले आती है। इसलिए जैसे ही कोई बुराई बाहर आती है, तब हमें हर बार अपने आपको उससे शुद्ध कर लेना चाहिए।

उड़ाऊ पुत्र के दृष्टांत में हम देखते हैं कि कैसे बड़े भाई के मन में अपने छोटे भाई के प्रति एक ग़लत मनोभाव था। लेकिन वह तभी प्रकट हुआ जब उसका भाई लौटकर आया और उसके लिए एक भोज आयोजित किया गया। तब हम यह देखते हैं कि कैसे उसने अपने भाई पर ऐसे अनेक काल्पनिक दोष लगाए जिनकी उसने कोई पुष्टि भी नहीं की थी (जैसे कि उसके भाई ने “उसका धन वेश्याओं के पीछे उड़ा दिया - लूका 15:30”)। जब हमारा किसी के साथ एक अच्छा रिश्ता नहीं होता, तब हम उनके बारे में सबसे बुरी बातों की कल्पना करते हैं।

उसके पिता ने अपने बड़े पुत्र से कहा “जो कुछ मेरा है, वह सब तेरा है” (लूका 15:31)। जो कुछ उसके पिता ने उसे दिया था, उस पर ध्यान देने की बजाए बड़े भाई का ध्यान स्वयं उसकी अपनी उपलब्धियों पर ही लगा हुआ था: “मैंने कभी तेरी आज्ञा का उल्लंघन नहीं किया है। मैंने इस बीते सालों में तेरी सेवा की है” । उसका ध्यान अपने भाई की कमियों पर ही लगा हुआ था। “तेरे पुत्र ने तेरी सारी संपत्ति को बर्बाद किया है” (लूका 15:29-32)। उस पिता की तरह परमेश्वर हम से कहता है,” जो कुछ मेरा है, वह तेरा है”। जो कुछ यीशु में है, वह हमारा है – उसकी सारी शुद्धता, अच्छाई, धीरज और उसकी सारी नम्रता आदि।

इस कहानी से जो पाठ हमारे सीखने के लिए हैं, वह बस यही है: अपना ध्यान हमेशा परमेश्वर के अनुग्रह के धन पर लगाए रहे – अपनी उपलब्धियों या अपने साथी-विश्वासियों की निष्फलताओं पर नहीं।

हमारा उद्देश्य हमारे उद्धारकर्ता प्रभु यीशु मसीह के अनुग्रह और ज्ञान में बढ़ते जाना होना चाहिए (2 पतरस 3:18)2 कुरिन्थियों 8:9 में अनुग्रह की यह एक और व्याख्या है: “तुम हमारे प्रभु यीशु मसीह का अनुग्रह जानते हो, कि वह धनी होकर भी तुम्हारे लिये कंगाल बन गया ताकि उसके कंगाल हो जाने से तुम धनी हो जाओ”। अनुग्रह हमारे जीवनों में भी यही करता है। अगर हम छोटे, गुमनाम, दूसरों के द्वारा तुच्छ समझे जाने और उनकी नज़रों में ग़रीब होने के लिए तैयार होंगे तभी हम एक जरूरतमंद जगत के लिए आशीष बन सकेंगे। यीशु भलाई करता हुआ फिरा क्योंकि उसने अपने पिता से अनुग्रह पाया था (प्रेरितों के काम 10:38)। अनुग्रह आपके लिए भी यही कर सकता है- आपको दूसरों के लिए एक आशीष बना सकता है।

जब यीशु एक मुश्किल हालात का सामना कर रहा था, तो उसने यह प्रार्थना नहीं की, “हे पिता, मुझे इस घड़ी से बचा”, बल्कि यह प्रार्थना की, “हे पिता, अपने नाम की महिमा कर” (यूहन्ना 12:27,28)। मुश्किल हालातों में आपको भी यही प्रार्थना करनी चाहिए। आपको एक आराम के जीवन की नहीं बल्कि एक ऐसे जीवन की खोज में रहना चाहिए जिससे परमेश्वर की महिमा हो - फिर चाहे उसकी कोई भी क़ीमत क्यों न चुकानी पड़े। जिन मुश्किल लोगों और हालातों के बीच में परमेश्वर ने आपको रखा है, परमेश्वर से उन्हें बदलने के लिए न कहें। उससे कहें कि वह उन हालातों में आपको बदले। जो इस तरह प्रार्थना करते रहते हैं, वे अनुग्रह में बढ़ते जाएंगे और वे अपनी पिछली सारी असफलताओं के बावजूद असली संत बन जाएंगे। इस प्रतिज्ञा के बारे में विचार करें, “मेरा अनुग्रह तेरे लिए काफ़ी है” (2 कुरिन्थियों 12:9)। परमेश्वर का अनुग्रह हर एक कार्य के लिए पर्याप्त है जो आपको करना है और यह हर परीक्षण और समस्या के लिए पर्याप्त है जिनका आपको कभी भी सामना करना पड़ सकता है।