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"स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार मुझे दिया गया है" (मत्ती 28:18)। यह विश्वास करना चाहिए कि अगर हमें बाहर निकलना है तो इस महान आज्ञा को पूरा करना है। अगर मुझे विश्वास नहीं है कि सारा अधिकार यीशु को दिया गया है, तो मैं थोड़े समय बाद हार मान लूँगा, क्योंकि मसीही काम बहुत निराशाजनक काम हो सकता है। आपको तुरंत परिणाम नहीं दिखाई देते। न तो प्रचारक, न ही भविष्यद्वक्ता और न ही प्रेरित तुरंत परिणाम देखते हैं। यह बिल्कुल वैसे ही है जैसे एक बच्चे को वयस्क होने तक देखना। मैं कलीसियाओं की स्थापना करने, विश्वासियों को स्थिर करने और उन्हें ईश्वरीयता की ओर ले जाने के अपने वर्षों के प्रयासों के माध्यम से इसे प्रमाणित कर सकता हूँ। हमारा तब तक निराश होना बहुत आसान है जब तक हम यह नहीं समझ लेते कि जो मुझे इस सेवकाई में भेज रहा है, उसी को स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार दिया गया है, वह मुझे उसी अधिकार के साथ सामर्थ्य देता है ।

इसलिए मैं महान आज्ञा के दूसरे भाग को इस प्रकार से देखता हूँ: दरअसल यह यीशु द्वारा दिए गए दो सबसे बेहतरीन कथनों के मध्य में वर्णित है। मत्ती 28 अध्याय का 18वाँ वचन, "स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार मुझे दिया गया है," और 20 वाँ वचन है, "देखो, मैं सदा सर्वदा तुम्हारे साथ हूँ, यहाँ तक कि युग के अंत तक।" अगर मुझे इन दोनों बातों में से किसी एक के बारे में भी संदेह है, तो मैं इस महान आज्ञा के दूसरे भाग को पूरा नहीं कर सकता हूँ। मैंने पचास वर्षों की मसीही सेवकाई में पाया है कि यह बहुत निराशाजनक हो सकता है, अगर आप इस बात से आश्वस्त नहीं हैं कि :

- जिसने आपको भेजा है, वही स्वर्ग (स्वर्ग में, दूसरे स्वर्ग में जहाँ दुष्टात्माएं रहती हैं) और पृथ्वी का (पृथ्वी के सभी लोगों पर) सारा अधिकार रखता है। मसीह के पास यह अधिकार है।

- जब मैं महान आज्ञा के इस भाग को पूरा करने की कोशिश करता हूँ, तो मुझे उससे एक विशेष प्रतिज्ञा मिलती है कि वह हमेशा मेरे साथ रहेगा।

इन दो बेहतरीन प्रतिज्ञाओं के संबंध में एक बड़ा खतरा है। मसीहियों की एक बहुत बुरी आदत है कि वे शर्तों को पूरा किए बिना प्रतिज्ञा के दावे करने की कोशिश करते हैं। उदाहरण के लिए, यदि आपसे कहा जाए, "प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास करो और तुम बच जाओगे," और आप कहते हैं, "ठीक है, मैं प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास करने की शर्त को पूरा नहीं करने जा रहा हूँ, लेकिन मैं फिर भी बच जाऊँगा," क्या आपको नहीं लगता कि यह मूर्खता है? या, "यदि हम अपने पापों को स्वीकार करते हैं, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने के लिए विश्वासयोग्य और धर्मी है।" यदि आप अपने पापों को स्वीकार करने की शर्त को पूरा नहीं करते हैं, तो आप कैसे विश्वास कर सकते हैं कि वह आपके पापों को क्षमा करने जा रहा है?

परमेश्वर की प्रतिज्ञाएँ शर्तों के साथ हैं। सांसारिक प्रतिज्ञाएँ हैं, जैसे कि परमेश्वर भले और बुरे पर अपना सूर्य उदित करता है और वह धर्मी और अधर्मी पर मेंह बरसाता है, जिसे वह बिना किसी शर्त के सभी को देता है। लेकिन जब परमेश्वर के आत्मिक प्रतिज्ञाओं की बात आती है, तो उन्हें प्राप्त करने की शर्तें होती हैं। यह पापों की क्षमा से शुरू होता है। पश्चाताप और मसीह में विश्वास के बिना, किसी को भी पापों की क्षमा नहीं मिलती है। धर्मी ठहरना एवं पवित्रता विश्वास के द्वारा ही संभव है। साथ ही, परमेश्वर बिना शर्त के सभी को अपना अनुग्रह नहीं देता है। वह केवल नम्र लोगों को ही अपना अनुग्रह प्रदान करता है। प्रत्येक आत्मिक प्रतिज्ञा के लिए एक शर्त होती है।

इतने सारे मसीही, जो इन सभी अन्य क्षेत्रों में प्रतिज्ञा से जुड़ी शर्त को पूरा करने के महत्व को समझते हैं, जिनका मैंने अभी उल्लेख किया है, इस प्रतिज्ञा पर आते हैं, "देखो मैं सदा सर्वदा तुम्हारे साथ हूँ, यहाँ तक कि युग के अंत तक," और शर्त को पूरा किए बिना इस प्रतिज्ञा का दावा करने की कोशिश करते हैं? यह मुझे हैरान करता है। वे अचंभित होंगे यदि मैं यह प्रचार करता हूँ कि आप पश्चाताप और विश्वास नहीं भी करते हैं, तब भी आपको क्षमा किया जा सकता है। जब मैं कहता हूँ कि अगर आप अपने पापों को स्वीकार नहीं करते हैं, तो भी आपको क्षमा किया जा सकता है, वे इसे भी हास्यास्पद समझेंगे। बाइबल कहती है कि यदि आप अपने पापों को स्वीकार करते हैं, तो वह आपको क्षमा करने के लिए विश्वासयोग्य और धर्मी है, है न? ठीक है, वही बाइबल यह भी कहती है कि यदि आप जाकर शिष्य बनाते हैं, उन्हें बपतिस्मा देते हैं, और वह सब करना सिखाते हैं जो उसने आपको आज्ञा दी है, तो प्रभु हमेशा युग के अंत तक आपके साथ रहेगा। यही प्रभु ने कहा। फिर उसने कहा, "देखो, मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ।"

तो यह प्रतिज्ञा खास तौर पर उन लोगों को दी जाती है जो दूसरों को यीशु की आज्ञाओं को पूरा करना सिखाने के लिए आगे बढ़ते हैं। मैंने इसे सिखाने के लिए 50 साल बिताए हैं, दुनिया के कई हिस्सों में, सीडी, इंटरनेट और लेखन के माध्यम से लोगों को यीशु की आज्ञाओं को पूरा करना सिखाया है। मैं यह प्रमाणित कर सकता हूँ कि मैंने वास्तव में अपने साथ प्रभु की उपस्थिति और अधिकार का अनुभव किया है। इसलिए मैं आपको यह विश्वास करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहता हूँ कि परमेश्वर की प्रतिज्ञाएँ सच्ची हैं। यदि आप लोगों को यीशु की आज्ञाओं को पूरा करना सिखाने के लिए आगे बढ़ते हैं, तो उसका अधिकार आपका समर्थन करेगा, पहले स्वयं ऐसा हमें करना होगा और फिर वह हमेशा आपके साथ रहेगा।

हमेशा हमारे साथ उसकी उपस्थिति का एक परिणाम यह होगा कि वह हमें निराशा, उदासी, बुरे मन और इस तरह की सभी चीजों से बचाएगा। अगर यीशु हर समय मेरे साथ है तो मैं कैसे बुरा मन रख सकता हूँ? अगर यीशु हर समय मेरे साथ है तो मैं कैसे निराश या भयभीत हो सकता हूँ? बहुत से लोग कल्पना करते हैं कि मसीह उनके साथ है, जबकि वह नहीं है। वे वह सब करने की कोशिश नहीं कर रहे हैं जिसकी आज्ञा यीशु ने दी है; वे अन्य लोगों को यह सिखाने की कोशिश नहीं कर रहे हैं कि यीशु ने क्या आज्ञा दी थी। इसलिए यह दावा करने से पहले एक शर्त पूरी करनी होगी और मैं आपको इसे स्पष्ट रूप से देखने के लिए प्रोत्साहित करना चाहता हूँ।