द्वारा लिखित :   जैक पूनन
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न्यायियों की पुस्तक 13 वें अध्याय में हम मानोह के परिवार के विषय पढ़ते है। उसे कोई संतान नहीं थी। एक दिन परमेश्वर के दूत ने उनके आगे पग्र ट हाके र कहा कि उन्हें पत्रु हागे ा तथा वह जन्म ही से परमश्े वर का नाज़ी र हागे ा। बाद में शिमशाने का जन्म हअु ा। परमश्े वर ने उसे आशीष दी तथा परमश्े वर का आत्मा उसको उभारने लगा (न्यायियों 13:25)। उसका अभिषके किया गया। परमश्े वर के सभी अगवु ों के सामर्थ का रहस्य यहीं ह।ै परतं ,ु दख्ु ा की बात यह है कि शिमशाने के जीवन के शरूु वात में ही शिमशाने का पतन हअु ा। जब जब वह सदुं र स्त्री को दख्े ाता था तब तब वह अपनी लालसा को राके नहीं पाता था। परमश्े वर की सवे ा के लिये परमश्े वर की बलु ाहट को वह भलू जाता था आरै वह उस स्त्री के पीछे चला जाता था। फिर वह यहदू ी हा या अन्य जाति की हो उसे कछु फर्क नहीं पडत़ ा था। उसके जीवन में इस बात की कमी थी तथा दबु र्ल ता थी। इस बात में कछु भी सदं हे नहीं है कि परमश्े वर ने उसका उपयागे किया। परन्त,ु सदुं र स्त्री का वह बहतु लाभ्े ाी था। यह उसकी बहतु बड़ी कमी थी। आज बहतु से पच्र ारकों में इस बात की कमतरता ह।ै शिमशाने के व्यवहार में तथा यसु फू के व्यवहार में बड़ी भिन्नता ह।ै नियम मिलने के पहले यसु फू का नैि तक जीवन अच्छा था। शिमशाने की तरह उसे परमश्े वर के मार्ग का पग्र टीकरण कम ही पम्र ाण में हअु ा था। फिर भी वह परमश्े वर के साथ इर्म ानदार रहा तथा हजारों साल तक जवानों के लिये वह अच्छा उदाहरण बना है। इसके विपरीत हजारों साल तक शिमशाने के अनैि तक जीवन से हमें चते ावनी मिलती ह।

न्यायियों 14:5-6 में हम पढ़ते है, ''तब शिमशोन अपने माता पिता को संग ले तिम्ना को चलकर तिम्ना की दाख की बारी के पास पहुंचा, वहां उसके साम्हने एक जवान सिंह गरजने लगा। तब यहोवा का आत्मा उस पर बल से उतरा, और यद्यपि उसके हाथ में कुछ न था, तौभी उस ने उसको ऐसा फाड डाला जैसा कोई बकरी का बच्चा फाडे। अपना यह काम उसने अपने पिता वा माता को न बतलाया।'' कागद फाडने की तरह शिमशोन ने उस सिंह को फाड डाला। वह इतना नम्र था कि उसने यह बात किसी को भी नहीं बताई - स्वयं के मातापिता को भी नहीं बताई। शिमशोन जानता था कि केवल पवित्र आत्मा की सामर्थ से ही वह यह कर पाया। न्यायियों 14:10 में हम पढ़ते है कि उसके पिता उस पलिश्ती स्त्री से मिलने गए जिसे शिमशोन ने पसंद किया था। उन्होंने शिमशोन का विवाह उसके साथ कर दिया। यहां पर उन्होंने परमेश्वर के नियमों का स्पष्टरूप से उल्लंघन किया। क्योंकि परमेश्वर ने उन्हें यह आज्ञा दी थी कि इस्राएली लोग अन्य जाति के लोगों से विवाह न करें। शिमशोन के जीवन में बहुत से चढ़ उतार आए। वह बहुत कम समय अच्छा जीवन जीया परन्तु अधिकतर वह गिरी हुई स्थिति में रहा। न्यायियों 16:1 में हम पढ़ते है कि वह अज्जा को गया। वहां पर उसने वेश्या को देखा। वह उसे अच्छी लगी। वह उसके साथ रहा। जब अज्जा के लोगों को इस बात का पता चला तब शिमशोन ने नगर के फाटक के दोनो पल्लों और दोनों बाजुओं को पकड़कर बेंड़ों समेत उखाड़ लिया, और अपने कन्धों पर रखकर उन्हें उस पहाड़ की चोटी पर ले गया। कुछ दिनों बाद उसकी मुलाकात पलिश्ती स्त्री दलीला के साथ हुई। वह उससे प्रेम करने लगा (न्यायियों 16:4)। परमेश्वर ने बहुत बार उसकी गलती को उसे दिखाया परन्तु उसने परमश्े वरकी आरे ध्यान नहीं दिया। वह खश्ु ा था कि परमश्े वर उसका उपयागे कर रहा ह।ै आज भी बहतु से लागे ों को आनन्द हाते ा है कि परमश्े वर उनका उपयागे कर रहा ह।ै आखरी दिनों में बहतु से लागे परमश्े वर के पास आएगं े आरै परमश्े वर से कहगें े कि उन्हानें े अनक पक्र ार की सवे ा की है तथा परमश्े वर ने उनको उपयागे में लाया ह।ै परन्तु पभ्र् ाु इन सभों को आग के समदुं र में डालगे ा क्यांिे क व्यक्तिगत तारै पर वे अनैि तक जीवन जीए (मत्ती 7:22,23)। यदि हम परमश्े वर के शातं चते ावनी की आरे ध्यान नहीं दते े तो हमारा भी उन सवे कों की नाई नाश हागे ा।

शिमशोन ने अपना सिर दलीला के गोद में रखा और तब उसने उसकी शक्ती का रहस्य उसे बताया। उसे पता चलते ही उसने शिमशोन के बाल काटे और शिमशोन के सेवकाई का अंत हुआ। कितने दुःख की बात है यह! ऐसा व्यक्ति जो बड़ी सामर्थ से लोगों को मुक्त करता था वह स्वयं की लालसाओं तथा इच्छाओं के कारण बंदि हुआ। 1 कुरिन्थियों 9:27 में पौलुस कहता है, ''परन्तु मैं अपनी देह को मारता कूटता, और वश में लाता हूं; सा न हो कि औरों को प्रचार करके मैं आप ही किसी रीति से निकम्मा ठहरूं।'' इसका अर्थ ऐसा है कि हमे हमारे शरीर को वश में रखना चाहिये। इसलिये हम वही खाए जो शरीर के लिये अच्छा हो, शरीर जो चाहता है वह हम न खाए। शरीर के लिये आवश्यक है उतना ही हम सोए, आलसी बनकर हम न सोते रहे। जो बाते अच्छी नहीं है वह हम न देखे, अपनी आंखों का सही उपयोग करें। जो बाते बुरी है वह हम न बोले, परन्तु जो बाते आवश्यक है वहीं हम बोले और अपनी जीभ को हम नियंत्रण में रखे।

यदि हम अपनी शरीर की अभिलाषाओं तथा इच्छाओं को नियंत्रण में नहीं रखते और हमने कितने भी अच्छे संदेश दिये हो तौभी प्रभु हमें अंतीम दिन अग्नीकुंड में डालेगा। अपनी शरीर की अभिलाषाओं तथा इच्छाओं पर नियंत्रण रखके अपने शरीर को अनुशासन में रखना महत्वपूर्ण है। शिमशोन की कहानी से हमें यह चेतावनी मिलती है। उसने अद्भुत रीति से सेवा की तथा बहुतों के लिये वह आशीष का कारण हुआ फिर भी वह स्वयं अपात्र था। बहुतसे प्रचारक सुंदर स्त्रियों के मोह में गिरे हुए है। ऐसे प्रचारकों के गुणों से तथा दानों से प्रभावीत न हो। सामान्य व्यक्ति ने यह पाप करना इससे अधिक अगुवे ने यह पाप करना यह बहुत गंभीर बात है। जिन्हें ज्यादा दिया गया है उनसे ज्यादा मिलने की अपेक्षा की जाएगी।

विरुद्ध लिंग के मनुष्य के साथ यदि आप नैतिक संबंध नहीं रख सकते है तो अगुवे होकर परमेश्वर के नाम की निंदा न करे। जब आप पाप में जीवन जी रहे है तब आप लोगों को मूर्ख न बनाए कि आप परमेश्वर के जन है। यदि आप पाप में ही जीवन जी रहे है तो एक दिन परमेश्वर आपका पाप सभी लोगों के साम्हने प्रकट करेगा। आप सोच सकते हैं कि आपका पाप छुपाने में आप बहुत होशियार है। परन्तु परमेश्वर के आगे आप अपनी होशियारी नहीं दिखा सकते। आप सोच भी नहीं सकते ऐसी तरह से वह आपको लोगों के साम्हने प्रकट करेगा।