द्वारा लिखित :   जैक पूनन
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इब्रानियों 1: 9 एक ऐसा वचन है जो हमें दर्शाता है कि यीशु ने एक मनुष्य के रूप में पृथ्वी पर कैसे जीवन व्यतीत किया: “तू ने धर्म से प्रेम और अधर्म से बैर रखा; इस कारण तेरे परमेश्वर ने तेरे साथियों से बढ़कर हर्ष रूपी तेल से तेरा अभिषेक किया”

जब यीशु पृथ्वी पर रहा, तो वह एक मनुष्य की सभी सीमाओं के साथ रहा। इसलिए उसका अभिषेक किया जाना आवश्यक था। परमेश्वर पिता का अभिषेक किए जाने की कोई आवश्यकता नहीं है। और जब यीशु स्वर्ग में था तब उसका अभिषेक किए जाने की आवश्यकता नहीं थी। लेकिन जब वह धरती पर था, तो हमारे लिए एक उदाहरण बनने के लिए उसे अभिषिक्‍त होना पड़ा। यहाँ इस वचन में हमें बताया गया है कि क्यों परमेश्वर ने यीशु का उसके साथियों से अधिक आनंद (हर्ष) के तेल से अभिषेक किया। यह मुख्य रूप से एक कारण से था - वह धार्मिकता से प्रेम करता था और अधर्म से घृणा करता था। वह पवित्रता से प्रेम और पाप से घृणा करता था।

धार्मिकता करना और धार्मिकता से प्रेम करने में अंतर है। एक बच्चा अपने पिता की आज्ञा का पालन, आज्ञापालन के प्रति बिना किसी प्रेम से भी कर सकता है। यीशु ने सिर्फ धार्मिकता के काम नहीं किए, लेकिन उसने धार्मिकता से प्रेम किया। उसी तरह, यीशु ने सिर्फ पाप को टाला नहीं। उसने पाप से घृणा की।

एड्स उन घातक बीमारियों में से एक है, जो आजकल लोग यौन पाप के माध्यम से प्राप्त करते हैं। और इसलिए, कई लोग एड्स होने के डर से व्यभिचार नहीं करते हैं। वे यौन पाप से घृणा नहीं करते हैं; वे सिर्फ एड्स होने से डरते हैं। उसी तरह कई लोग चोरी करना नहीं चाहते हैं, क्योंकि वे डरते हैं कि वे पकड़े जा सकते हैं - इसलिए नहीं कि वे चोरी से नफरत करते हैं। उसी तरह, आप पाप से नफरत किए बिना पाप को टाल सकते हैं।

लेकिन अगर आप आनंद के तेल से अभिषिक्त होना चाहते हैं, तो आपको धार्मिकता से प्रेम करना होगा और पाप से नफरत करनी होगी। और यहाँ वचन कहता है कि इसी कारण से यीशु का दूसरों की तुलना में अधिक हर्ष के तेल से अभिषेक किया गया था।

परमेश्वर के साथ कोई पक्षपात नहीं है। एक अच्छा पिता अपने बड़े बेटे के साथ कभी भी अपने अन्य बच्चों की तुलना में अधिक एहसान नहीं करेगा - उसके साथ कोई पक्षपात नहीं होगा। वह पिता जो कुछ अपने बड़े बेटे के लिए करता है, वह अपने सभी बच्चों के लिए भी करेगा। परमेश्वर पिता भी ऐसा ही है। यीशु को कई भाइयों में पहलौठा कहा जाता है। हम जिन्होंने नया जन्म प्राप्त किया हैं, वे उसके छोटे भाई हैं। यीशु सबसे बड़ा बेटा है। क्योंकि परमेश्वर पक्षपात नहीं करता है, वह हमारे लिए वह सब कुछ करेगा जो उसने अपने सबसे बड़े पुत्र, यीशु के लिए किया था। परमेश्वर ने यीशु के लिए जो कुछ भी किया, वह मेरे लिए भी करेगा, अगर मैं उन्हीं शर्तों को पूरा करता हूँ जो यीशु ने पूरी की थीं। यह एक महान सत्य है जिसे हम मसीह की मानवता के बारे में जानने के माध्यम से प्राप्त करते हैं।

यदि यह लिखा गया होता कि यीशु का आनंद के तेल से अभिषेक इसलिए किया गया था क्योंकि वह परमेश्वर का पुत्र था, तो इससे हमें किसी भी तरह से प्रोत्साहन या चुनौती नहीं मिलती। लेकिन जब हम पढ़ते है कि उसका अभिषेक इसलिए किया गया था क्योंकि उसने धार्मिकता से प्रेम किया और अधर्म से घृणा किया, तो इससे हमें यह आशा मिलती है कि हम भी उसी तरह से अभिषिक्‍त हो सकते हैं, यदि हम धार्मिकता से प्रेम करते हैं और पाप से घृणा करते हैं। इसलिए हमें यह प्रार्थना करने की ज़रूरत है, "परमेश्वर, मेरे हृदय में पवित्र आत्मा के माध्यम से काम कर, ताकि मैं न केवल धर्म का काम करूं बल्कि धार्मिकता से प्रेम कर सकूं; और मैं न केवल पाप से बचूँ, बल्कि उससे घृणा करूँ"

जितना अधिक हम धार्मिकता से प्रेम करेंगे और जितना अधिक हम अपने जीवन में पाप से नफरत करेंगे, उतना ही हम पवित्र आत्मा के आनंद से भर जाएंगे। परमेश्‍वर का राज्य, जो पवित्र आत्मा में धार्मिकता और आनंद है, आकर हमारे हृदयों को भर देगा (रोमियों 14:17)। तब हम उस आज्ञा का पालन करने में सक्षम होंगे जो कि हमें "प्रभु में सर्वदा आनन्दित रहने" के लिए कहती है (फिलिप्पियों 4: 4)