द्वारा लिखित :   जैक पूनन
WFTW Body: 

हम न्यायियों के अध्याय 6 में पढ़ते है कि परमेश्वर ने इस्राएलीओं को छुड़ाने के लिए गिदोन को खड़ा किया। “परमेश्वर का आत्मा गिदोन पर उतरा” (न्यायियों 6:34)। गिदोन पर पवित्र-आत्मा पहने हुए कपड़ों की तरह उतरा था। तब गिदोन ने सामर्थ्य प्राप्त की और उसने नरसिंगा फूँका और वह युद्ध के लिए निकला और परमेश्वर ने उसे विजय दी। लेकिन गिदोन परमेश्वर के प्रति विश्वासयोग्यता में बना नहीं रहा। यह कई लोगों की दुखद कहानी है, जिन्होंने अच्छी शुरुआत की - पुरानी वाचा के तहत और आज भी। इस्राएली चाहते थे कि गिदोन उनका राजा बने और उसने कहा, “न तो मैं तुम पर राज करूँगा और न मेरा पुत्र तुम पर राज करेगा, परमेश्वर ही तुम पर शासन करेगा” (न्यायियों 8:22,23)। यह बात कितनी आत्मिक लगती है! लेकिन अपने अगले वाक्य में गिदोन ने जो कहा उसे सुनिए, "कृपया तुम मुझ को अपनी अपनी लूट में की बालियां दो" (न्यायियों 8:24)। तब सारे इस्राएलियों ने उसे अपनी बालियां दे दी और इस तरह गिदोन ने 1700 शेकेल सोना (लगभग 20 किलोग्राम) और अन्य आभूषण और दूसरे क़ीमती कपड़े आदि ले लिए (न्यायियों 8:26)। गिदोन एक ही दिन में करोड़पति बन गया – वैसे ही जैसे बहुत से प्रचारक अपने झुंड के लोगों से दसवांश और अन्य भेंटे लेते हैं और करोड़पति बनकर अपने घर भर लेते हैं! गिदोन ने कुछ सोना लेकर उसका एक एपोद बनवाया और वह एक मूर्ति बन गया जिसकी सारे इस्राएली आराधना करने लगे (न्यायियों 8:27)। इस तरह परमेश्वर का यह महान जन विश्वास से पीछे हट गया। मुख्य बात यह नहीं होती कि एक व्यक्ति ने अपनी शुरुआत कैसे की थी बल्कि यह कि उसका अंत कैसा हुआ। हरेक दौड में ईनाम केवल उनके लिए होता है जो अच्छी तरह दौड़ समाप्त करते है, न की उनके लिए जो अच्छी तरह उसे आरम्भ करते है (1 कुरिन्थियों 9:24)। हमें यह आज्ञा दी गई है कि हम “इस बात पर ध्यान दें कि लोगों ने कैसे अपने जीवन की दौड़ पूरी की" (इब्रानियों 13:7)। ऐसे बहुत से प्रचारक हुए हैं जिन्हें परमेश्वर ने उनकी शुरुआत में बड़ी सामर्थ्य के साथ इस्तेमाल किया, लेकिन बाद में वे गिदोन की तरह विश्वास से भटक गए और अपना जीवन धन और सम्पत्ति के पीछे भागते हुए समाप्त किया! खोए हुए अभिषेक के साथ, अब वे अपने अंत के दिनों को अपने बच्चों के लिए सोना और बालियां इकट्ठे करने में ही पूरा करते हैं! मैं यह बात उनसे कहना चाहता हूँ जिन्होंने अच्छी शुरुआत की थी: गिदोन के जीवन से यह पाठ सीखें, कहीं ऐसा न हो कि आपके साथ भी ऐसा हो जाए। आप परमेश्वर और धन दोनों की सेवा नहीं कर सकते।

न्यायियों 13 में हम पाते है कि, शिमशोन एक ताकतवर छुड़ानेवाला व्यक्ति था, लेकिन वह अपनी ही लालसाओं और मनोवेगों का ग़ुलाम बन गया था। 1 कुरिन्थियों 9:27 में पौलुस कहता है, “परन्तु मैं अपनी देह को मारता कूटता, और वश में लाता हूं; ऐसा न हो कि औरों को प्रचार करके, मैं आप ही किसी रीति से निकम्मा ठहरूं”। लिविंग बाइबल में इस वचन का अनुवाद इस प्रकार है : “अपनी देह से वह करवाना जो उसे करना चाहिए, वह नहीं जो वह करना चाहती है”। इसका अर्थ है कि हमें अपनी देह को वही खिलाना चाहिए जो उसे खाना चाहिए, वह नहीं जो वह खाना चाहती है; उसे उतना ही सुलाना चाहिए जितना उसे सोना चाहिए, उतना नहीं जितना वह सोना चाहती है। हमें अपनी आँखों को वश में रखना चाहिए ताकि वे सिर्फ़ वही देखें जो उन्हें देखना चाहिए, वह नहीं जो वे देखना चाहती है। हमें अपनी जीभ को वश में रखना चाहिए कि वह वही बोले जो उसे बोलना चाहिए, वह नहीं जो वह बोलना चाहती है। अगर हम अपनी शारीरिक अभिलाषाओं को वश में नहीं रखेंगे तो हम अद्भुत प्रचार तो कर सकेंगे, लेकिन फिर भी अंतिम न्याय के दिन परमेश्वर द्वारा निकाल दिए जाएंगे। बहुत कुछ हमारे शारीरिक अभिलाषाओं को अनुशाशित करने पर निर्भर होता है। शिमशोन की कहानी से, जिसकी अद्भुत सेवकाई से बहुत से लोगों ने बड़ी आशीष पाई थी, हम इस पाठ को सीखते है। लेकिन अंत में वही अयोग्य ठहरा था। अनेक महान प्रचारक सुंदर स्त्रियों के फंदे में फँसे हुए है। ऐसे व्यक्तियों के दान-वरदानों से या उनकी बड़ी संस्थाओं से प्रभावित न हो! एक अगुवे का पाप में गिरना एक आम विश्वास के उसी पाप में गिरने से ज़्यादा गंभीर बात होती है। जिसे ज़्यादा दिया गया है, उससे ज़्यादा माँगा जाएगा। अगर आप विपरीत लिंग के व्यक्ति के साथ संबंध में विश्वासयोग्य नहीं है, तो एक प्राचीन या अगुवा बनने की कोशिश करने द्वारा परमेश्वर के नाम का अनादर न करें। जबकि आप पाप में जीवन बिता रहे हैं, तो लोगों के सामने अपने आप को परमेश्वर का एक पवित्र जन दिखाते हुए उन्हें मूर्ख बनाने की कोशिश न करे। अगर आप इसी तरह जीते रहेंगे, तो परमेश्वर एक दिन सबके सामने आपका पर्दाफ़ाश कर देगा। आप यह सोच सकते हैं कि आप इतने चतुर है कि आप अपना पाप छुपा सकते हैं। लेकिन परमेश्वर के सामने आपकी चतुराई नहीं चल सकती। वह आपका ऐसा पर्दाफ़ाश करेगा, जैसा अब तक कभी नहीं हुआ है।

न्यायियों 16 में यह पढ़ते हैं कि कैसे शिमशोन ने अपनी सामर्थ्य को खो दिया और कैसे उसकी आँखों को अंधा किया गया। जब प्रचारक स्त्रियों के पीछे जाते हैं, तब यह होता है: वे अपनी आत्मिक दृष्टि खो देते हैं। फिर वे साफ़ तौर पर नहीं देख पाते। यह हो सकता है कि वे अपने धर्म-सिद्धांतों में सुसमाचारिय बने रहे और एक सुंदर शैली में प्रचार कर सके। लेकिन उनकी आत्मिक दृष्टि जा चुकी होती है। शिमशोन एक ग़ुलाम बन गया था। लेकिन परमेश्वर की स्तुति हो, कि उसमें इतनी समझ बाक़ी बची थी कि अपने जीवन के अंत में उसने अपने पापों का अंगीकार किया। उसने अपना मन फिराया, और अपनी मृत्यु में उसने बहुत से पलिश्तियों का नाश कर दिया (न्यायियों 16:23-31)। शिमशोन की कहानी दो सिंहों की कहानी है – एक बाहर था और दूसरा उसके हृदय के अंदर था। वह बाहरी सिंह को तो हरा सका लेकिन अपने भीतरी सिंह को नहीं हरा सका। यह हमें सिखाता है कि यौन वासना का सिंह किसी भी बाहरी सिंह की तुलना में अधिक मजबूत और भयभीत करनेवाला होता है। अगर आप जंगल में एक सिंह को अपनी तरफ़ दौड़ता हुआ देखें तो आप क्या करेंगे? आप मुड़कर भागेंगे। जब आप वासना के सिंह को अपनी तरफ़ आता हुआ देखते हैं, तब भी आप क्या इसी तरह भागते हैं? बाइबल हमें प्रोत्साहित करते हुए कहता है, “व्यभिचार से भागो” (1 कुरिन्थियों 6:18)। उस पर विजय पाने का यही एकमात्र तरीक़ा है – ऐसे किसी प्रलोभन के पास न जाए। ऐसी किसी स्त्री के पास न जाए जो आपको प्रलोभित करती हो। डोरे डालने वाली स्त्रियों से इसी तरह बचे जैसे आप भूखे सिंहों से बचना चाहेंगे। शिमशोन पुरानी वाचा के समयकाल में था। इसलिए आज कोई भी शिमशोन के उदाहरण को अनैतिकता में गिरने का बहाना नहीं बना सकता। शिमशोन के पास नई वाचा नहीं थी, वह कलवरी क्रूस से पहले के समयकाल में जीया, उसके पास हमारी तरह यीशु जैसा उदाहरण नहीं था और सबसे बढ़कर वह हमारी तरह एक भीतर बसने वाले सहायक के रूप में पवित्र आत्मा को ग्रहण नहीं कर सकता था। उन दिनों पिता के साथ महा-पवित्र स्थान में संगति करने का मार्ग नहीं खुला था। शिमशोन के पास एक ईश्वरीय संगति की आशीष भी नहीं थी। हमारे पास आज यह सब कुछ है। इसलिए हमारे पास पाप में जीवन बिताने का कोई बहाना नहीं है।