द्वारा लिखित :   जैक पूनन
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शैतान भय का लेखक है। यीशु भय के उतने ही विरोध में था जितने की पाप के। कई बार उसने लोगों से कहा, "भयभीत न हो" (मत डर), ठीक उसी तरह जैसे उसने कहा, "पाप न करना"। यीशु भय में जीने वाले लोगों के विरोध में उतना ही था जितना वह पाप में जीने वाले लोगों के विरोध में था। क्योंकि हम परमेश्वर पर भरोसा करते हैं, इसलिए हमें कभी भी डरने की ज़रूरत नहीं है। यदि हम गलती से फिसल जाएँ और किसी चीज के बारे में भयभीत या चिंतित हो जाएँ तो हमे अवश्य तुरंत इससे बाहर निकलना है, परमेश्वर के सामने अपने भय को मान ले और अपनी देखभाल करने के लिए उस पर भरोसा करे।

शैतान कई तरीकों से परमेश्वर के कार्य पर हमला करता है। लेकिन परमेश्वर उसके बच्चो की प्रार्थनाओं का उत्तर देता है। यीशु ने एक बार कहा था कि कुछ दुष्ट आत्माएं केवल प्रार्थना और उपवास के द्वारा ही निकाली जा सकती है। इसका मतलब है कि यदि हम उपवास और प्रार्थना नहीं करते तो ये दुष्ट आत्माएं वहीं रहेंगी जहां उन्होने डेरा डाला हुआ है और परमेश्वर के कार्य में बाधा उत्पन्न करती रहेंगी। परमेश्वर ने पृथ्वी पर उसके कार्य को हम पर अर्थात मसीह की देह पर निर्भर बनाया है। यह एक महान सौभाग्य है लेकिन साथ ही एक बड़ी ज़िम्मेदारी भी है। परमेश्वर ने हमे प्रतिज्ञा दी है कि अंधकार की सामर्थ उसकी कलीसिया के विरोध में प्रबल नहीं होंगी।

संसार में बहुत सारी मसीह-विरोधी सेनाएं कार्य कर रही हैं। परंतु परमेश्वर ने हमें भय की आत्मा नहीं दी है। जो लोग परमेश्वर का आदर करते है वे उसके द्वारा आदर पाएंगे। इसलिए हमें कभी भी स्वयं को भय के द्वारा हिलाये जाने की अनुमति नहीं देनी है। दाऊद के समान जिसने शाऊल के कवच का उपयोग करने से इनकार किया, हमे भी उसी प्रकार ऐसे समय में मनुष्यो या शारीरिक भुजाओं पर निर्भर नहीं होना है। दाऊद आत्मिक हथियार अर्थात परमेश्वर के नाम से गोलियत से लड़ा। हमारे हथियार भी आत्मिक हैं (2 कुरिन्थियों 10: 4)। और हम निश्चित रूप से सदा ही जयवंत होंगे।

यीशु ने कहा कि वह हमें एक दुष्ट संसार में “भेड़ों की नाईं भेडिय़ों के बीच” भेजता है, लेकिन उसी वचन में वह हमे “सांपों की नाईं बुद्धिमान” (मत्ती 10:16) होने के लिए कहता है। परमेश्वर के पास स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार है और उसने प्रतिज्ञा की है कि वह हर समय हमारे साथ रहेगा और हमारी ओर से उस अधिकार का प्रयोग करेगा, यदि हम सभी राष्ट्रो में शिष्य बनाने के लिए आगे जाते है (मत्ती 28:19,20)। यदि वह हमारे साथ है तो यह काफी है। हमारी ओर उसके रहते हुए हम पूरे संसार के विरोधो का भी सामना कर सकते है।

यीशु ने कहा, “खुद को उत्तेजित और व्याकुल होने की अनुमति न दो और खुद को भयभीत और धमकाया हुआ और कायर और परेशान होने की अनुमति न दो”। (यूहन्ना 14:27 एंपलीफाइड बाइबल)।

परमेश्वर का वचन हमें आज्ञा देता है, "बहुतों की तरह घबराओ मत। स्वर्ग के परमेश्वर को छोड़ किसी से भी या किसी भी चीज से मत डरो! यदि आप परमेश्वर से डरते हैं, तो आपको और किसी से भी डरने की जरूरत नहीं है। वह स्वयं आपकी सुरक्षा होगा।" (यशायाह 8:12-14 - लिविंग बाइबिल)।

"परमेश्वर कहता हैं, 'मैं तुम्हें कभी नहीं छोड़ूंगा और कभी नहीं त्यागूंगा”। इसलिए हम दृढ़ता से कह सकते हैं, 'परमेश्वर मेरा सहायक है। मैं न डरूँगा। कोई मनुष्य मेरा क्या कर सकता है? यीशु मसीह कल और आज और युगानुयुग एकसा है" (इब्रानियों 13: 5-8)।

"डर" के संबंध में हमें दो चीजें याद रखनी चाहिए:
1. हमें डर के आधार पर कभी भी निर्णय नहीं लेना चाहिए, लेकिन हमेंशा विश्वास के आधार पर जो परमेश्वर के ऊपर है।
2. डर शैतान का हथियार है। तो वे सभी जो दूसरों को डराने या धमकी देने का प्रयास करते हैं वे वास्तव में शैतान के साथ मिलकर संगति में हैं (भले ही वे यह नहीं जानते)। इसलिए हमें कभी भी इस हथियार का उपयोग किसी पर भी नहीं करना चाहिए (देखें इफिसियों 6:10 और 2 तीमुथियुस 1:7)।

परमेश्वर दूसरों द्वारा की गई बुराई का इस्तेमाल हमे उसके वचन का नया प्रकाशन और उसके अनुग्रह का नया अनुभव देने के लिए करता है जिसे हम अन्यथा प्राप्त नहीं कर पाते।

परमेश्वर का वचन कहता है, "क्योंकि हमारा यह मल्लयुद्ध, लोहू और मांस से नहीं, परन्तु प्रधानों से और अधिकारियों से, और इस संसार के अन्धकार के हाकिमों से, और उस दुष्टता की आत्मिक सेनाओं से है जो आकाश में हैं।" (इफिसियों 6:12 -टीईवी)। परमेश्वर ने मुझे इस वचन से सिखाया कि यदि मैं शैतानिक ताकतों के विरोध में प्रभावी रूप से लड़ना चाहता हूँ तो मुझे मनुष्यों के साथ कभी भी लड़ाई नहीं लड़ना है।

पुरानी वाचा के तहत इस्राएली मनुष्यों के साथ लड़े। लेकिन नई वाचा में हमे मनुष्यों के साथ नहीं, लेकिन केवल शैतान और उसके दुष्ट आत्माओं के साथ लड़ना है। यीशु ने हमें खुद के उदाहरण द्वारा यह दिखाया। बहुत सारे विश्वासि शैतान पर जयवंत होने में सक्षम नहीं हो पाते, क्योंकि वे अपनी पत्नि, अपने पति, अपने पड़ोसियों और दूसरे विश्वासियों के साथ लड़ते हैं।

ठान ले, कि भविष्य में आप कभी भी किसी भी मनुष्य से नहीं लड़ेंगे और तब आप शैतान के खिलाफ अपनी लड़ाई में प्रभावी होंगे। यदि हम परमेश्वर के मार्गो का पालन सम्पूर्ण रीति से करते हैं, तो हम शैतान और उसकी चालो पर हमेंशा जयवंत होंगे और निरंतर जयवंत जीवन जियेंगे।