द्वारा लिखित :   जैक पूनन
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जीवन अद्भुत हो जाता है जब हम देखते हैं कि परमेश्वर का उद्देश्य है - एक महिमामय उद्देश्य – उन सारी बातों में जिनको वह हमारे जीवन में आने की अनुमति देता है। जब वह हमारी प्रार्थनाओं के लिए 'ना' कहता है, वह भी एक उत्तर है जो सिद्ध प्रेम से भरे हृदय से आता है।

क्योंकि यहोवा की यह वाणी है, कि जो कल्पनाएं मैं तुम्हारे विषय करता हूँ उन्हें मैं जानता हूँ, वे हानि की नहीं, वरन कुशल ही की हैं, और अन्त में तुम्हारी आशा पूरी करूंगा। (यिर्मयाह 29: 11)। परमेश्वर द्वारा इस संसार को रोगो, बीमारीयों, जहरीले साँप इत्यादि के साथ रहने के लिए एक असहज जगह होने की अनुमति देने का एक कारण यह है कि लोग अपनी दुर्दशा में परमेश्वर की ओर मुड़े ताकि वह उन्हे आशीष दे सके। यहाँ तक की परमेश्वर अपने उद्देश्यों को आगे बढ़ाने के लिए बुराई का (जो शैतान लाता है) भी उपयोग करता है। जब हम अनंत काल में बचे (छुड़ाए) हुए लोगों से मिलेंगे और उनकी कहानियों को सुनेंगे, तो हम पूर्ण रीति से पाएंगे कि कैसे परमेश्वर ने सांप-काटने, आर्थिक कठिनाइयों, कैंसर इत्यादि का इस्तेमाल लोगों को उनके पापों से मुड़कर अपने बच्चों के रूप में बदलने के लिए किया। हम यह भी सुनेंगे कि कैसे परमेश्वर ने अपने बच्चों को पवित्र करने के लिए दुखों का उपयोग किया ताकि वे उसके दिव्य स्वभाव में सहभागी हो सकें। उस दिन हम कई उन चीजों के लिए परमेश्वर का धन्यवाद करेंगे जिन्हें हम अभी पृथ्वी पर समझ नहीं पाते है। लेकिन विश्वास के मनुष्य को उस दिन तक इंतजार नहीं करना पड़ता है। वह वर्तमान में ही परमेश्वर के ज्ञान और प्रेम पर विश्वास करता है और इसलिए वह सब बातों के लिए धन्यवाद देना शुरू कर देता है। हमारे साथ परमेश्वर के इन सभी व्यवहारों का मुख्य उद्देश्य यह है कि हम उसके दिव्य स्वभाव में सहभागी हो सके। परमेश्वर सभी बातों के द्वारा हमारे लिए भलाई उत्पन्न करता है और भली बात यह है कि हम उसके पुत्र की समानता में बदलते जाएँ।

“और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती है; अर्थात उन्हीं के लिये जो उस की इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं। क्योंकि जिन्हें उस ने पहिले से जान लिया है उन्हें पहिले से ठहराया भी है कि उसके पुत्र के स्वरूप में हों ताकि वह बहुत भाइयों में पहिलौठा ठहरे”। (रोमियों 8:28,29)।

परमेश्वर क्यों आकस्मित रीति से पैसे खोने या बेईमान लोगों द्वारा हमें धोखा देने की अनुमति देता है। हम में से कई को भीड़ से भरी ट्रेन और बसों में जेब काटे जाने का अनुभव मिला है। मैंने हमेशा इस अवसर पर चोर या धोखे देनेवाले के लिए प्रार्थना करने का निर्णय किया। लेकिन इसके अलावा परमेश्वर भी हमें पैसो और भौतिक चीज़ों के लिए एक अनोखे लगाव से अलग करना चाहता है। वह नहीं चाहता कि हम इतने हिसाबी हो जाएँ कि हम हर एक उस रुपये की चिंता करे जिसे हम खो देते है या हर एक उस रुपए पर आनंद करे जिसे हम पाते है।वह चाहता है कि हम उसमे अपना आनंद पाएं - एक ऐसा आनंद जो भौतिक लाभ से न तो बढ़ाया जा सकता है और नाही भौतिक हानि से कम किया जा सकता है।

यीशु इस धरती पर इसी रीति से चला और हमें भी इसी तरीके से चलने के लिए बुलाया गया है। बाइबल कहती है, “जैसा मसीह यीशु का स्वभाव था वैसा ही तुम्हारा भी स्वभाव हो”।(फिलिप्पियों 2: 5)। अगर किसी ने यीशु को उसकी सेवा के लिए धन्यवाद स्वरूप दस हजार दीनारी का उपहार दिया होता, तो यह यीशु के आनंद को जरा भी नहीं बढ़ाता। उसका आनंद उसके पिता में पहले से ही पूर्ण और उमड़ता हुआ था। साथ ही यीशु का आनंद किसी भी भौतिक हानि के कारण कम नहीं हो सकता था। यहूदा इस्करियोत अक्सर यीशु के लिए उपहार के रूप में आने वाले धन का अधिकतर भाग ले लेता था। इसके बारे में यीशु को पता था और यदपि यहूदा के लिए उसे खेद था परंतु पैसों की हानि ने यीशु को कभी परेशान नहीं किया।

यदि आप वास्तव में यीशु के जीवन में सहभागी होने के तीव्र इच्छुक है तो परमेश्वर आपको भौतिक चीज़ों के प्रेम, मनुष्यों से आदर पाने की खोज, आत्मदया और अन्य सभी गैर-मसीही स्वभाव से बचाने के लिए आपके साथ हजारों चीजों को होने की अनुमति देगा। यदि आप ऐसा नहीं चाहते हैं तो वह आपको इस तरह से जाने के लिए मजबूर नहीं करेगा। यदि आप निचले स्तर का पराजित जीवन जीने में संतुष्ट हैं जैसा आपके आस-पास के अधिकांश विश्वासी जीते हैं तो वह आपको अकेला छोड़ देगा। लेकिन यदि आप परमेश्वर के सर्वश्रेष्ठ के लिए प्यासे हैं तो वह आपके साथ कठोरता से व्यवहार करेगा और आपके उस कैंसर को काट डालेगा जो आपको बर्बाद कर रहा है और उन मूर्तियों को नष्ट कर देगा जो आपको भ्रष्ट कर रही हैं। वह आपको स्थिरता के उस स्थान पर लाने के लिए दर्द, निराशा, हानि, बिखरती उम्मीदों, अपमान, अन्यायपूर्ण आलोचना इत्यादि का सामना करने की अनुमति देगा - जहां आप अब और हिलाये नहीं जा सकेंगे।

इसके बाद आपको इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा भले ही आप अमीर हों या गरीब, आलोचना या प्रशंसा, सम्मानित या अपमानित हों। इस संसार के सारी चीजों के लिए मसीह की मृत्यु में जाने के बाद आप यीशु के जीवन के सहभागी होते है जिससे आप इस धरती पर राजा की तरह चलते है। “हम यीशु की मृत्यु को अपनी देह में हर समय लिये फिरते हैं; कि यीशु का जीवन भी हमारी देह में प्रगट हो”। (2 कुरिन्थियों 4:10)। बहुत कम लोग ही मसीह में बहुतायत के जीवन के रास्ते को खोज पाते है क्योंकि बहुत कम लोग ही अपने स्वयं की पूर्ण मृत्यु के लिए कीमत चुकाने के इच्छुक होते हैं। हम विश्वास से नहीं जी सकते अगर हम स्वयं के लिए मर नहीं जाते हैं। अगर हम मसीह के साथ क्रूस पर चढ़ाए जाने के इच्छुक नहीं हैं तो परमेश्वर के पूर्ण प्रेम का हमारा ज्ञान हमेशा किताबी रहेगा। हम यीशु के शिष्य नहीं बन सकते हैं अगर हम इस संसार की सारी चीजों को छोड़ते नहीं हैं, यीशु ने कहा, “तुम में से जो कोई अपना सब कुछ त्याग न दे, तो वह मेरा चेला नहीं हो सकता”। (लूका 14:33)।

हम यूहन्ना 17:23 में पढ़ते हैं: “मैं उन में और तू मुझ में कि वे सिद्ध होकर एक हो जाएं, और जगत जाने कि तू ही ने मुझे भेजा, और जैसा तू ने मुझ से प्रेम रखा, वैसा ही उन से प्रेम रखा”। यीशु संसार के लिए या नामधारी ईसाईयों के लिए प्रार्थना नहीं कर रहा था। वह अपने ग्यारह शिष्यों के लिए प्रार्थना कर रहा था जिन्होंने सब कुछ उसके पीछे आने के लिए त्याग दिया था। वे शिष्य के पिता के प्रेम में सुरक्षा को पा सके जो कि एक शारीरिक ईसाई और सांसारिक व्यक्ति कभी नहीं जान सकता। क्यों कोई मसीही एक शारीरिक मसीही है? क्या ऐसा इसलिए नहीं है क्योंकि शैतान ने उन्हें यह सोचने में धोखा दिया है कि वे पूरी तरह से खुश हो सकते है अगर परमेश्वर पर पूरी तरह से निर्भर होने के बजाय, वह “दोनों दुनिया के सर्वश्रेष्ठ” (जैसे कि वे कहते है) को पाने कि कोशिश करे। लेकिन यह एक धोखा है। अगर हम परमेश्वर के सिद्ध प्रेम में विश्वास करते हैं तो हम खुशी से बिना कुछ रखे उसके लिए सब कुछ छोड़ देंगे। हम तब चिंता से पूरी तरह मुक्त हो जाएंगे। फिलिप्पियों 4: 6,7 हमें आज्ञा देता है: किसी भी बात की चिन्ता मत करो: परन्तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और बिनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख अपस्थित किए जाएं। तब परमेश्वर की शान्ति, जो समझ से बिलकुल परे है, तुम्हारे हृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरिक्षत रखेगी।