द्वारा लिखित :   जैक पूनन श्रेणियाँ :   जवानी
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तीसवां वर्ष लोगों के जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण समय प्रतीत होता है - दोनों ही पुराने एवं नए नियम में।

यूसुफ 30 वर्ष का था जब वह मिस्र का प्रधानमंत्री बना। जब यूसुफ 17 वर्ष का था, तब ही से परमेश्वर ने उस पर इस बात को प्रकाशित कर दिया था कि उसके जीवन के लिए उसका (परमेश्वर) एक उद्देश्य है। यह अद्भुत है कि जब एक जवान परमेश्वर के प्रति इतना संवेदनशील होता है कि जिस उम्र में अधिकांश किशोरों को गंदे स्वप्न आते हैं, उसे परमेश्वर की ओर से स्वप्न आते थे। उन चीजों की ओर देखिये जिसे युसुफ ने सहा – अपने भाइयों से ईर्ष्या, एक दुष्ट स्त्री द्वारा झूठा दोषारोपण और कारावास। उन दिनों में कारावास एक भयानक कालकोठरी की तरह होते थे जहां हर कहीं चूहे, कीड़े और कॉकरोच रेंगते थे। परंतु उत्पत्ति 39:21 में कहता है कि "यहोवा यूसुफ के साथ था"।

दाऊद 30 वर्ष का था जब वह राजा बना। 1 शमूएल, 16 अध्याय में, जब शमूएल ने यिशै से कहा कि अपने पुत्रों को यज्ञ के लिए बुला, तो यिशै ने केवल पहले सात पुत्रों को ही बुलाया। उसने सबसे छोटे बेटे दाऊद को बुलाने के विषय में भी नहीं सोचा – जाहिर है क्योंकि कोई भी दाऊद के बारे में ज्यादा नहीं विचारता था। वह परिवार का सब से छोटा बालक था- शायद वह 15 वर्ष का रहा होगा। जब दाऊद को बुलाया गया, तो उसे पता भी नहीं था कि क्या हो रहा है। लेकिन परमेश्वर उसे देख रहा था और परमेश्वर ने अपने प्रति उसकी भक्ति और प्रेम को देखा था। जैसे ही वह आया, परमेश्वर ने शमूएल से कहा "यही है" और शमूएल ने उसका अभिषेक किया और परमेश्वर का आत्मा सामर्थी रूप से उस जवान किशोर के ऊपर उतर आया।

यिर्मयाह एक युवा व्यक्ति था जब परमेश्वर ने उसे भविष्यद्वाणी करने के लिए बुलाया। परमेश्वर ने यिर्मयाह से कहा, “गर्भ में रचे जाने से पहिले ही मैं ने तुझ पर चित्त लगाया, और उत्पन्न होने से पहिले ही मैं ने तुझे अभिषेक किया; मैं ने तुझे जातियों का भविष्यद्वक्ता ठहराया” (यिर्मयाह 1:5,6)। परमेश्वर की आँखें हम पर तब ही से लगी थी जब हम अपनी माता के गर्भ में सिर्फ एक सूक्ष्म कण थे, जिसने हाल ही में गर्भधारण किया था। हमारे जीवनों के लिए उसके पास एक योजना है ठीक वैसे ही जैसे यिर्मयाह के लिए थी। यह उन सभों के लिए एक महान प्रोत्साहन है जो युवा हैं। यहोवा ने यिर्मयाह से कहा “मत कह कि मैं लड़का हूँ; क्योंकि जिस किसी के पास मैं तुझे भेजूं वहां तू जाएगा, और जो कुछ मैं तुझे आज्ञा दूं वही तू कहेगा” (यिर्मयाह 1:7)। और तब परमेश्वर ने उससे एक शब्द कहा जो वह अक्सर अपने भविष्यवक्ताओं से कहता था: "मत डर, क्योंकि तुझे छुड़ाने के लिये मैं तेरे साथ हूँ" (यिर्मयाह 1:8)।

यहेजकेल 30 वर्ष का था जब उसने अपनी सेवकाई आरंभ किया। यहेजकेल एक याजक का बेटा था जो एक याजक बनने के लिए प्रशिक्षण ले रहा था (यहेजकेल 1:3)। लेकिन जब वह 30 वर्ष का था, परमेश्वर ने उसे अचानक से एक भविष्यवक्ता होने के लिए बुलाया (यहेजकेल 1:1)। यहेजकेल अवश्य ही अपनी जवानी के दिनों में यिर्मयाह के आधीन रहा होगा। उसने यिर्मयाह की भविष्यवाणियों को सुना होगा और एक युवा के रूप में उनका अध्ययन किया होगा। परमेश्वर जिसने इस युवक की विश्वासयोग्यता को देखा, निर्णय लिया कि यहेजकेल एक भविष्यद्वक्ता होगा न कि याजक। एक दिन परमेश्वर ने यहेजकेल के ऊपर स्वर्ग को खोल दिया और उसे स्वयं का दर्शन दिया और अपने लोगों के लिए एक संदेश दिया।

दानिय्येल कभी नहीं जानता था, कि जब उसने बिना समझौते के एक विश्वासयोग्य युवा के रूप में शुरुआत की, तो कैसी एक अद्भुत सेवकाई उसके पास आनेवाली थी। वह बस छोटी और बड़ी बातों में परमेश्वर के प्रति विश्वासयोग्य रहा और परमेश्वर ने उसके द्वारा बड़ी सेकवाई को पूरा किया। वह संभवतः 17 वर्ष का था, जब दानिय्येल की पुस्तक आरंभ होती है और लगभग 90 वर्ष का जब यह पुस्तक समाप्त होती है। वह पूरे 70 वर्षों की बंधुवाई के दौरान रहा और इस पूरे समयकाल में वह विश्वासयोग्य रहा। यही कारण है कि परमेश्वर बेबीलोन से यरूशलेम तक जाने के आंदोलन की शुरूआत करने के लिए उसका इस्तेमाल कर सका। आज भी, परमेश्वर एक 17 वर्षीय युवक को चुन सकता है और उसे एक भविष्यवक्ता बना सकता है और उसे अपने लिए खड़ा होने के लिए सशक्त बना सकता है।

जकर्याह एक युवक था जिसने हाग्गै के साथ-साथ भविष्यवाणी की। यधपि जकर्याह हाग्गै से छोटा था, परमेश्‍वर ने उसे भविष्यद्वाणी करने के लिए बहुत कुछ दिया। परमेश्वर उम्र का कोई सम्मान नहीं करता। जब वह बहुत ही जवान था तब ही से परमेश्वर ने जकर्याह को दर्शन और भविष्यवाणि के संदेश देना आरंभ कर दिया था (जकर्याह 2:4)। जब आप जवान ही है तो परमेश्वर आपको चुन सकता हैं, अपने पवित्र आत्मा से आपको अभिषिक्त कर सकता हैं, आपको हाग्गै जैसे उम्रदराज, ईश्वरीय भाई के साथ जोड़कर उसका सहकर्मी बना सकता है और अंततः आपको उससे भी बड़ी सेवकाई दे सकता है। जकर्याह के पास निराश लोगों को प्रोत्साहित करने की एक आशीषित सेवकाई थी।

यीशु 30 वर्ष का था जब उसने अपनी सांसारिक सेवकाई को आरंभ किया। यहां तक कि यीशु को भी 30 वर्ष तक यूसुफ और मरियम की अधीनता में रहकर प्रशिक्षित होने की आवश्यकता थी, इससे पहले की वह अपनी सेवकाई में प्रवेश करता। तो हमें और भी कितनी अधिक आवश्यकता होगी?

अधिकांश प्रेरित 30 वर्ष की आयु के लगभग थे, जब उन्होने अपनी सेवकाई आरंभ किया। आज भी, संभवत: उसी उम्र के आसपास परमेश्वर अपने बच्चों की एक विशेष सेवकाई में अगुवाई करने की शुरुआत करना चाहता है। लेकिन उस तारीख से पहले, परमेश्वर को उस विशेष सेवकाई के लिए हमें तैयार करने में अनेक वर्ष बिताने पड़ते है। यदि आप पूरी तरह से परमेश्वर को अपना समर्पण करते हैं और उसे अपनी किशोरावस्था और युवा अवस्था के दौरान अपने को तैयार करने की अनुमति देते हैं, तो आप 30 (या 35 वर्ष) की आयु तक, उस विशेष सेवकाई के लिए जिसकी परमेश्वर ने आपके लिए योजना बनाई है, आप तैयार हो सकते हैं।