द्वारा लिखित :   जैक पूनन
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हबक्कूक एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जिसके अंदर बहुत सवाल थे, लेकिन जिसने अपनी यात्रा को संदेह से शुरू करते हुए निश्चितिता पर अंत किया। उसने संदेह के साथ शुरुआत की, “हे यहोवा मैं कब तक तेरी दोहाई देता रहूंगा, और तू न सुनेगा? मैं कब तक तेरे सम्मुख चिल्लाता रहूंगा? क्या तू उद्धार नहीं करेगा?” (हबक्कूक 1:2)। लेकिन वह अंत निश्चितता के साथ करता है: “फिर भी मैं प्रभु में आनंदित रहूँगा। परमेश्वर मेरा बलमूल है, वह मेरे पांव हरिणों के समान बना देता है, वह मुझ को मेरे ऊंचे स्थानों पर चलाता है" (हबक्कूक 3:19)

जब हबक्कूक ने प्रभु को देखा, तो उसका हृदय स्तुति से भर गया: “परमेश्वर अपने पवित्र मंदिर में है। सारी पृथ्वी उसके सामने शांत रहें” (हबक्कूक 2:20)। उसके विश्वास का संघर्ष विश्वास की विजय के साथ समाप्त हो गया। वह कहता है, “प्रभु, मैं तेरी प्रतापी महिमा के आगे शांत खड़ा हूँ। मेरा और कोई सवाल नहीं है”। अय्यूब ने भी परमेश्वर की महिमा देखने के बाद यही कहा, “अब मैंने तुझे अपनी आँखों से देख लिया है। अब मैं अपना हाथ अपने मुँह पर रखता हूँ (अय्यूब 42:5, 40:4,5)। प्रभु को देख लेने के बाद अय्यूब के पास फिर और कोई सवाल नहीं था। परमेश्वर आपके सभी 10,000 सवालों का जवाब नहीं देगा क्योंकि अगर वह देगा, तो फिर आपके पास दूसरे 10,000 सवाल तैयार हो जाएंगे! और उत्तर (जैसा कि अय्यूब और हबक्कूक के मामले में) स्वयं प्रभु को देखना है। प्रभु अपने पवित्र मंदिर में है। क्या आपने उसे देखा है? तब आपका प्राण उसके सामने शांत रहेगा, और आपके पास और कोई सवाल नहीं होगा।

जब हबक्कूक ने परमेश्वर को देखा, तब उसे विश्वास का जीवन जीने का प्रतिफल नज़र आ गया। एक जीवन जो परमेश्वर-केंद्रित है, वह एक विजयी जीवन है। हबक्कूक जिसने सोचा था कि परमेश्वर दुष्ट लोगों को दंडित करने के लिए कुछ नहीं कर रहा हैं अब प्रार्थना करता हैं कि परमेश्वर उसके क्रोध के बीच दया करना न छोड़े (हबक्कूक 3:2)। वह जिसने यह सोच लिया था कि परमेश्वर ने उसके लोगों को त्याग दिया है, अब एक स्तुति का गीत गाता है। वह कहता है, “मैं तेरे कामों को देखकर विस्मित हूँ। जब मैं परमेश्वर को देखता हूँ जो पवित्र है, और तेरे अदभुत वैभव से सारा आकाशमंडल भरा हुआ है। पृथ्वी तेरी स्तुति से भरपूर है। तू कितना अद्भुत परमेश्वर है। तू अपनी अदभुत सामर्थ में आनंदित रहता है। जब तू देखता है तो देश थरथराने लगते हैं। तू अपने चुने हुए को, अपने अभिषिक्तो को छुड़ाने के लिए निकलता है। तूने दुष्टता के घराने के प्रधान को कुचला है" (हबक्कूक 3: 2-14)

हबक्कूक ने अब पहले परमेश्वर को देखा था, न कि बेबीलोन के लोगों को। जिनके हृदय शुद्ध है, वे हर समय और हर जगह परमेश्वर को देखेंगे (मत्ती 5:8)। अभी तक मुश्किल यह थी कि हबक्कूक को सिर्फ़ वे दुष्ट बेबीलोनी ही फलते-फूलते नज़र आ रहे थे। लेकिन अब उसने यह देखा कि परमेश्वर सारी बातों पर नियंत्रण रखता है। “दुष्टता के घराने का प्रधान” शैतान के लिए भी इस्तेमाल हो सकता है जिसे यीशु ने क्रूस पर कुचल दिया है। जब हबक्कूक ने परमेश्वर को उसकी महिमा और महानता में देख लिया, तब उसके सारे सवालों के जवाब उसे मिल गए। परमेश्वर का दर्शन पाकर वह भीतर ही भीतर काँप उठा और बोला, “मैं बड़े धीरज से उस संकट के दिन की प्रतीक्षा करूँगा जो हम पर चढ़ाई करने वालों पर आएगा” (हबक्कूक 3:16)। जब भी आपको संदेह हो तो मनुष्य से नहीं परमेश्वर से बात करे। हबक्कूक के लिए, और हमारे लिए भी, परमेश्वर का अंतिम शब्द है “प्रतीक्षा कर!”। जब हबक्कूक ने प्रतीक्षा की और बात सुनी, तब उसकी शिकायत एक स्तुति का गीत बन गई। यही हमारे लिए भी सच होगा। लेकिन सबसे मुश्किल काम प्रतीक्षा करना होता है।

हबक्कूक की स्तुति का अदभुत गीत पुराने नियम में विश्वास के गीतों में सबसे सुंदर गीतों में से एक है। वह यहाँ एक नई वाचा के संत की तरह गाता है, “चाहे अंजीर के वृक्षों में फूल न लगें, और न दाखलताओं में फल लगें, जलपाई के वृक्ष से केवल धोखा पाया जाए और खेतों में अन्न न उपजे, भेड़शालाओं में भेड़-बकरियां न रहें, और न थानों में गाय बैल हों, तौभी मैं यहोवा के कारण आनन्दित और मगन रहूंगा, और अपने उद्धारकर्त्ता परमेश्वर के द्वारा अति प्रसन्न रहूंगा” (हबक्कूक 3: 17,18)। अय्यूब की तरह चाहे हबक्कूक का भी सारा व्यवसाय बर्बाद हो जाए और सबकुछ खो जाएँ, लेकिन वह फिर भी प्रभु में आनंदित रहेगा, क्योंकि उसका आनंद पृथ्वी की किसी भी बात में नहीं बल्कि प्रभु में पाया जाता है। हमारे आस पास अगर सब कुछ ख़त्म भी हो जाए, फिर भी हम अपने उद्धारकर्ता परमेश्वर में आनन्दित रह सकते हैं। स्तुति का एक गीत हमारे विश्वास के आंतरिक विजय की बाहरी अभिव्यक्ति है। “उन्होंने उसके वचनों पर विश्वास किया, और उसकी स्तुति के गीत गाए (भजन 106:12)। हबक्कूक फिर आगे कहता है “यहोवा परमेश्वर मेरा बलमूल है, वह मेरे पांव हरिणों के समान बना देता है, वह मुझ को मेरे ऊंचे स्थानों पर चलाता है” (हबक्कूक 3: 19)। यह नबी, जिसके अंदर। शुरू में बहुत से संदेह और डर थे, अब कहता है कि परमेश्वर उसे संदेह रूपी हरेक पहाड़ के ऊपर से सुरक्षित ले चलेगा, और उन पर उसके पैरों को एक हिरनी की तरह ही स्थिर व दृढ़ करेगा जो चट्टानी शिखरों में अपना संतुलन नहीं खोती है। अंत में हबक्कूक ने एक बड़ी दिलचस्प टिप्पणी भी लिखी है: “(संगीत निर्देशक के लिए, इस प्रार्थना को तारदार साजों के साथ गाया जाएँ (हबक्कूक 3: 19)”। वह असल में यह कह रहा है कि चाहे सब कुछ ख़त्म हो जाए, फिर भी इस गीत को एक शोकित स्वर में न गाया जाए – और इसे हर्षित धुन के साथ गाया जाएँ और कई संगीत वाद्ययंत्रों का भी भरपूर उपयोग किया जाए! हमें अपने पूरे हृदय से प्रभु की स्तुति करनी सीखनी चाहिए। कभी किसी स्तुति के गीतों को बोझिल और नीरस स्वर में न गाए। सारे आकाश और पृथ्वी में चाहे जो भी होता रहे, लेकिन प्रभु अपने सिंहासन पर विराजमान है और यीशु ने जय प्राप्त कर ली है। इसलिए परमेश्वर ने जो भी आवाज़ें और संगीत के साज़ हमें दिए हैं, हम उनका इस्तेमाल उसकी स्तुति करने और उसके नाम को ऊँचा उठाने के लिए करें। आमीन।