द्वारा लिखित :   जैक पूनन श्रेणियाँ :   परमेश्वर को जानना आदमी
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“गलील की झील के किनारे किनारे जाते हुए, उसने शमौन और उसके भाई अन्द्रियास को झील में जाल डालते देखा; क्योंकि वे मछुवे थे। और यीशु ने उन से कहा; मेरे पीछे चले आओ; मैं तुम को मनुष्यों के मछुवे बनाऊंगा” (मरकुस 1:16,17)। गलील के तटों पर सैकड़ों मछुआरें थे। उन्होंने उन सभी को नहीं बुलाया। उन्होंने केवल चार ही को बुलाया - पतरस, अन्द्रियास, याकूब और युहन्ना। हम सभी मसीह के गवाही होने के लिए बुलाए गए है। लेकिन परमेश्वर के पूर्ण सेवकाई में प्रवेश करने के लिए, आपको परमेश्वर के द्वारा एक विशेष रूप से बुलावा पाना चाहिए। आप यह नहीं कह सकते हैं, "मैं एक सुसमाचार सुनाने वाला या एक उपदेशक बनना चाहता हूँ।" परमेश्वर को आपको उस सेवकाई के लिए बुलाकर और आपको उसके लिए सामर्थ करना है। परमेश्वर आज भी प्रभुत्व तरीके से अपने कर्मचारियों को बुलाते है। मसीह के शरीर में हर सेवकाई महत्वपूर्ण है, जिस प्रकार मानव के शरीर का हर हिस्सा। कुछ भाग जैसे चेहरे देखे जा सकते है, जबकि गुर्दे और कलेजा के समान दूसरे अनदेखे हैं। मसीह के शरीर में भी, कुछ सेवकाई दूसरों की तुलना में अधिक दिखाई देते है।

मत्ती 11:29 में, यीशु ने कहा, "मुझ से सीखो।" यहां उन्होंने कहा, "मेरे पीछे आओ।" ये दो चीज़ है जिन्हें एक शिष्य को करना हैं। एक शिष्य एक विद्यार्थी और अनुयायी है। अपने जीवनभर उसे यीशु से सीखना है और उनका अनुसरण करना है। सेना में यह कहकर मार्च किया जाता है, "दाया, बाया, दाया, बाया।" मसीह के आने तक हमें यह कहते जाना हैं, "सीखो, अनुसरण करो, सीखो, अनुसरण करो"। यदि आप केवल सीखने वाले व्यक्ति हैं लेकिन पालन करने वाले नहीं तो आप उस आदमी के समान है जो केवल बाएं पैर के साथ ही चलने का प्रयास करता है और इस आदेश पर आगे बढ़ते जाता है, "बाए,बाए,बाए,बाए"!! लेकिन यीशु का सच्चा शिष्य पहले सीखता है और फिर अपनी सीखे गई बातों का अभ्यास करता है। यदि आप अपने सीखे गए बातों का अभ्यास नहीं करते है, आप केवल अपने जैसे लोगों का उत्पादन करेंगे - जो एक ही पैर पर मार्च करते है। हम कभी यह नहीं कह सकते हैं कि हमनें काफी कुछ सीख लिया है। हमारे जीवन के अंत तक हमें यीशु से सीखना है।

इस पद का दूसरा भाग एक प्रतिज्ञा है।"यदि तुम मेरे पीछे चलोगे ... मैं तुम्हें....."। इस अभिव्यक्ति के बारे में सोचिए, "मैं तुम्हें बनाउंगा।" यह एक कुम्हार के समान है जो एक पतीला बनाता है। कुम्हार सभी पतीलों को एक ही आकार में नहीं बनाता है। परमेश्वर भी हमें अलग-अलग आकार में बनाते है। कभी परमेश्वर से यह न मांगें कि वे आपके सेवकाई को किसी अन्य भाई के सेवकाई के आकार में बना दे। परमेश्वर ऐसा कभी नहीं करेंगे क्योंकि वे हर एक पतीलें को एक अद्वितीय आकार में बनाते है। यदि आप किसी और के सेवकाई की चाह करते हैं, तो जिस आकृति में परमेश्वर आपको बनाना चाहते है, उस कार्य में आप बाधा होगें।

मैंनें बार-बार अपनी कलीसया में लोगों से यह कहा है, "कभी भी मेरे सेवकाई की नकल करने का प्रयास न करे - क्योंकि परमेश्वर चाहते है कि आप अद्वितीय रहे। वे चाहते है कि आप स्वयं आप ही रहे। परमेश्वर अपनी कलीसिया में मेरे जैसा एक ही व्यक्ति चाहता है - और आपके जैसे भी एक ही व्यक्ति को चाहते है।

यदि आप प्रभु का पालन करते हैं, तो वे आपको ऐसा बना देंगे जैसा आपको होना चाहिए। यह परमेश्वर की जिम्मेदारी है। इन लोगों के विषय में, उनको मनुष्यों के मछुओं के आकार को पाना था। आपकी स्थिति में कुछ ओर हो सकता है - कदाचित् कलीसिया में सहायता। कुछ प्रेरितों, कुछ भविष्यद्वक्ता और कुछ सुसमाचार सुनाने वालों के रूप में बुलाए जाते है। सुसमाचार सुनाने वालें मनुष्यों के मछुवे है। कुछ पौलुस के समान, सब कुछ हैं: प्रेरित, भविष्यद्वक्ता, शिक्षक, चरवाहा और सुसमाचार सुनाने वाला। लेकिन कदाचित ऐसा होता है कि परमेश्वर इन सभी विशेष वरदानों को एक ही व्यक्ति को दे। हम में से अधिकांश के पास मुख्य रूप से केवल एक ही वरदान होता है। आरंभ के दिनों में प्रेरितों के पास इतने सारे वरदान इसलिए थे क्योंकि तब कलीसियों में इतने प्रतिभाशाली लोग नहीं थे। लेकिन कलीसिया के विस्तार के साथ, परमेश्वर ने इन वरदानों को अधिक व्यापक रूप से वितरित किया है। लेकिन जो भी वरदान आपका क्यों न हो, सिद्धांत अभी भी यह है: "मैं तुम्हें बनाऊंगा"। हमें प्रभु को यह अनुमति देना चाहिए कि वे हमें ऐसा बनाए जैसा वे चाहते है।