द्वारा लिखित :   जैक पूनन
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2 कुरिन्थियों 3:18 पूरे नए नियम में एक ऐसा वचन है जो पवित्र-आत्मा की सेवकाई की सबसे अच्छी व्याख्या करता है। जब पवित्र-आत्मा हमारे जीवन में प्रभु बन जाता है, तो वह आज़ादी लेकर आता है (2 कुरिन्थियों 3:17)। वह मुझे आज़ाद करता है। “जहां प्रभु का आत्मा है, वहाँ स्वतंत्रता है”। किस बात से आज़ादी? आज़ादी पाप से, धन के प्रेम से, बाप दादाओं और प्राचीनों की बुरी परम्पराओं से, और लोगों की राय से आज़ादी - कि वे मेरे बारे में अच्छा सोचते है या मेरी आलोचना करते है। यह एक जबरदस्त स्वतंत्रता है। यहाँ परमेश्वर की सेवा करने की स्वतंत्रता है और मनुष्यों की सेवा नहीं। यह वही है जो पवित्र आत्मा लेकर लाता है (2 कुरिन्थियों 3:18)। पवित्र आत्मा मुझे बाइबल में यीशु की महिमा दिखाता है। बाइबल एक दर्पण है। दर्पण में मैं यीशु की महिमा को देखता हूँ। पवित्र आत्मा हमें केवल सिद्धांत और संदेश नहीं दिखाता है - कुछ लोग बाइबल को सिद्धांत और उपदेश पाने के लिए पढ़ते हैं - पवित्र आत्मा हमें बाइबल में यीशु की महिमा भी दिखाता है। नए नियम में सारी बातें मुझे यीशु मसीह की महिमा दिखाती है। जैसे मैं उस महिमा को देखता हूँ, पवित्र आत्मा मुझे यीशु की समानता में बदलने के लिए मेरे हृदय में एक और काम करता है। यह वही है जो पवित्र आत्मा करता है।

लोग कहते हैं, "सेवकाई के बारे में क्या?" मैं देख पाता हूँ कि यीशु ने कैसे सेवा की, और मैं उस तरह से सेवकाई करना आरम्भ करता हूँ। मैं देख पाता हूँ कि यीशु ने स्वयं कैसे बलिदान दिए और यहाँ-वहाँ जाकर प्रचार किया, और मैं उसी तरह बलिदान करता हूँ और यहाँ-वहाँ जाकर प्रचार करता हूँ। आप यह न सोचे कि आपकी सेवकाई कम हो जाएगी। आप अधिक से अधिक बलिदान के साथ सेवकाई करेंगे। जब आप पवित्र आत्मा को 2 कुरिन्थियों 3: 17,18 में वर्णित कार्य करने की अनुमति देंगे तो आपका जीवन और आपकी सेवकाई बदल जाएगी। आप एक नई वाचा के सेवक बन जाएँगे, और ऐसा करने के लिए आपको पूर्णकालिक सेवक होने की ज़रूरत नहीं है। कलीसिया में हर भाई या बहन अवश्य ही नई वाचा के सेवक होने चाहिए।

"हम इस सेवकाई के लिए पर्याप्त नहीं हैं।" (2 कुरिन्थियों 3: 5)। ऐसा नहीं है कि हम इस सेवकाई के लिए आवश्यक सभी बातें कर सकते हैं, लेकिन हमारी पर्याप्तता परमेश्वर से आती है। एक नई वाचा का सेवक परमेश्वर की सेवा करने के लिए अपने भीतर किसी भी चीज़ पर निर्भर नहीं रहता है। यह सब परमेश्वर की ओर से है। “परमेश्वर, तु इसे मुझे दे दे। मैं इसे तुझे दे दूंगा”। यह उस दाखरस बाँटने वाले सेवकों की तरह है। ये सेवक पानी को यीशु के पास ले गए, यीशु ने उसे दाखरस में बदल दिया और उन्होंने उसे बाँटा। चेले यीशु के पास पाँच रोटियाँ ले गए, यीशु ने उसे गुणा किया और उन्होंने उसे बाँटा। उसी तरह हम अपने सीमित स्रोतों को परमेश्वर के पास ले जाते हैं और परमेश्वर उसे अभिषेक करता हैं, आशीषित करता है और उसे गुणा करता हैं। इस तरह से हमें सेवा करनी हैं। परमेश्वर की कई वर्षों तक सेवा करने के बाद, परमेश्वर के कामों में कई लोग हताश, उदास और निराश हो जाते हैं। वे थक गए हैं क्योंकि वे अपनी स्वयं की क्षमता से सेवा करने की कोशिश कर रहे हैं। मेरा मानना है कि हमें परमेश्वर की सेवा करने के लिए परमेश्वर द्वारा शारीरिक स्वास्थ्य दिए जाने की आवश्यकता है। आप किसी कठिन क्षेत्र में परमेश्वर की सेवा करने के लिए बाहर जा सकते हैं और इसे करने के लिए आपको शारीरिक स्वास्थ्य की आवश्यकता होती है। उस प्रतिज्ञा के बारे में सोचो, “जो लोग प्रभु की प्रतीक्षा करते हैं, वे अपने बल का आदान-प्रदान करेंगे। यहां तक कि जवान भी थक जाएंगे, लेकिन हम उक़ाब के समान उड़ेंगे" (यशायाह 40:30,31)। हमारी पर्याप्तता परमेश्वर से है। जब आप आर्थिक कठिनाई में होते हैं, तो आपके पास वह वचन होता है, "हमारी पर्याप्तता परमेश्वर से है”। नई वाचा में आपकी जो भी आवश्यकता हो, हमारी पर्याप्तता परमेश्वर से है।

उसने हमें नई वाचा का सेवक बनाया है। नई वाचा में हम शब्द के नहीं, बल्कि आत्मा के सेवक हैं (2 कुरिन्थियों 3: 6)। यहां दो सेवकाइयों का उल्लेख किया गया है, दोष लगानेवाली सेवकाई और धार्मिकता की सेवकाई। दोष लगानेवाली सेवकाई क्या है? दोषी ठहरानेवाली सेवकाई वह है जहाँ लोग आपके प्रचार करते समय दोषित महसूस करते हैं, और वे चले जाते हैं। आप सोच सकते हैं कि यह एक अद्भुत सेवकाई है क्योंकि आपने उनको उनके पाप का बोध दिलाया। वह पुराना नियम है। व्यवस्था लोगों को दोषित ठहराती है - "आप पर्याप्त अच्छे नहीं हैं, आप कभी भी अच्छे नहीं थे"। मसीही समाज में आज बहुत प्रचार हो रहा है, जिसे जागृति (रिवाइवल) सभा कहा जाता है, जहां सिर्फ लोगों को यह बताया जा रहा है कि, "आप अच्छे नहीं हैं, आपसे यह कभी नहीं बन पाएगा। आप ऐसे हैं और आप वैसे हैं”। वे सभी दोष की भावना के साथ वहां बैठते हैं। वह मसीही उपदेश नहीं है। मसीही उपदेश लोगों को धार्मिकता और महिमा की ओर ले जाता है। उन्हें उनके पाप का बोध होता हैं, लेकिन वे सभा के अंत तक अपनी आत्मा में ऊँचा उठा हुआ, चंगाई और छुटकारा महसूस करते हैं, और वे आशा के साथ जाते हैं। यदि आपका उपदेश कभी भी लोगों को बंधन में लाता है, तो आप यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि आप एक नए नियम के सेवक नहीं हैं। यदि आपके उपदेश के परिणामस्वरूप, लोग ऊँचे उठने/प्रोत्साहित होने की बजाय दोषित महसूस करते हैं, तो यह पुरानी वाचा का उपदेश है। यदि आप लोगों को ऊपर उठाने के बजाय लोगों को नीचे धकेलते हैं, तो यह पुरानी वाचा का उपदेश है। नई वाचा का प्रचार उन्हें ऊपर उठाता है और उन्हें आशा देता है।

2 कुरिन्थियों 4: 1 में, पौलुस अपनी सेवकाई का वर्णन करना जारी रखता है। “इसलिये जब हम पर ऐसी दया हुई, कि हमें यह सेवा मिली, तो हम हियाव नहीं छोड़ते”“हियाव छोड़ने” का अर्थ है निराश होना। यहाँ तक कि प्रेरित पौलुस भी निराश होने के प्रलोभन में पड़ा था। इसलिए अगर आप निराश होने की परीक्षा में पड़ते हैं, तो यह सेवकाई में कोई अजीब बात नहीं है। मैं निराश होने के परीक्षण में कई बार पड़ा हूँ। लेकिन पौलुस कहता हैं, "हम निराश नहीं होते। हम निराश होने से इंकार करते हैं क्योंकि हम यीशु पर नज़र रखते हैं और हम उस अदभूत सेवकाई के बारे में सोचते है जो परमेश्वर ने हमें दी है” (2 कुरिन्थियों 4: 1)