द्वारा लिखित :   जैक पूनन
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व्यवस्थाविवरण 6:4 में हम पढ़ते है, “हमारा प्रभु हमारा परमेश्वर है, हमारा परमेश्वर एक ही है! तू अपने परमेश्वर यहोवा से अपने सारे मन, और सारे जीव, और सारी शक्ति के साथ प्रेम रखना”।

हम तीन परमेश्वरों की आराधना नहीं करते। परमेश्वर एक में तीन व्यक्ति है। व्यवस्थाविवरण 6:5 में पहली आज्ञा का वर्णन एक दूसरे ढंग से किया गया है। मत्ती 22:37 में यीशु ने इसका उल्लेख किया है, “तू अपने प्रभु अपने परमेश्वर से अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और अपनी सारी बुद्धि के साथ प्रेम रख”। यह पहली आज्ञा है।

इसका अर्थ है कि हमारे हृदय में परिवार, संपत्ति, नौकरी या धन के लिए कोई जगह नहीं है – क्योंकि हमने अपना सारा हृदय परमेश्वर को दे दिया है। यह “निर्माता के निर्देश” पुस्तक में सबसे पहला निर्देश है। इस आज्ञा का पालन किए बिना मानवीय उपकरण का संचालन न करें।

जब आप अपने सारे हृदय से प्रभु से प्रेम करेंगे, तब उसका परिणाम क्या होगा?
• आप अपनी पत्नी से और भी बेहतर प्रेम कर सकेंगे!
• आप अपने पड़ौसी से बेहतर प्रेम कर सकेंगे।
• आप अपने शत्रुओं से भी प्रेम कर सकेंगे, क्योंकि आपके हृदय में अब कोई नफरत नहीं है।

अपने सारे हृदय से परमेश्वर से प्रेम न करने की वजह से ही दूसरों के प्रति ईर्ष्या, घृणा, कड़वाहट जैसे और भी दूसरे पाप पैदा होते है। आपके हृदय का वह भाग जो परमेश्वर के प्रेम से भरा हुआ होना चाहिए, वह ईर्ष्या से भर जाता है। हम मुख्य रूप से पाप से लड़कर नहीं, बल्कि अपने पूरे हृदय से परमेश्वर से प्रेम करने द्वारा पाप पर जयवंत होते है। जब हम अपने सारे हृदय से परमेश्वर से प्रेम करते है, तब हमारे अंदर से धन व संपत्ति का प्रेम और सभी दुष्ट लालसाएँ निकल जाती है।

एक ऐसी लड़की के विषय में सोचे जो एक श्रीमान से प्रेम करती है, लेकिन वह एक अच्छा व्यक्ति नहीं है। उसके माता-पिता ने उसे प्रेम में आगे बढने से उसे रोकना चाहा। लेकिन वे उसे समझाने में नाकाम रहें। फिर एक दिन यह लड़की एक दूसरे व्यक्ति से मिलती है जो कहीं अधिक सुंदर, अधिक अमीर और अधिक सुशील व्यक्ति है। अचानक ही पहले व्यक्ति के प्रति उसका प्रेम लुप्त हो गया। यह कैसे हो गया? इसे “एक नए प्रेम की निष्कासन शक्ति” कहा जा सकता है। एक नए प्रेम ने एक पुराने प्रेम को बाहर निकाल दिया।

इस बात को मसीही जीवन में लागू करे। आप अपनी बुरी आदते छोडने की कोशिश करते रहते है लेकिन उन्हें छोड़ नहीं पाते क्योंकि आप उन लालसाओं से प्रेम करते है। फिर एक दिन आप यीशु की महिमा को देखते है और आप उससे अपने पूरे हृदय से प्रेम करने लगते है। तब क्या होता है? तब यह नया प्रेम पुराने प्रेम को बाहर निकाल देता है। तब हमें इस संसार की चीजों में कोई दिलचस्पी नहीं रहती। यह “एक नए प्रेम की निष्कासन शक्ति" है। यह पाप पर विजय पाने का रहस्य है। अपने परमेश्वर से अपने सारे हृदय और अपने सारे प्राण से प्रेम कर – जिसका अर्थ अपनी सारी बौद्धिक शक्ति से प्रेम करना है।