द्वारा लिखित :   जैक पूनन
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यहेजकेल के दूसरे अध्याय में हम उस व्यक्ति को पाते है जो पूर्ण रूप से परमेश्वर के अधिकार के आधीन था। परमेश्वर ने उससे कहा, ''हे मनुष्य के सन्तान, अपने पांवों के बल खड़ा हो, और मैं तुझ से बाते करूंगा।'' जैसे ही परमेश्वर ने उससे यह कहा, त्योंही आत्मा ने उस में समाकर उसे पांवों के बल खड़ा कर दिया; और जो उस से बातें करता था उस ने उसकी सुनी।

परमेश्वर ने उससे कहा, ''ध्यान से सुन, मैं तुझे इस्राएलियों के पास भेजता हूं।''

जब हम परमेश्वर की बाट जोहते है तब चाहे हम यहेजकेल की नाई वाणी न सुने परंतु, हमें स्पष्ट रूप से परमेश्वर की बुलाहट का प्रगटीकरण होता है। बुलाहट का यह प्रगटीकरण होने को कुछ समय अवश्य लग सकता है।

जब मैंने अपनी सेवकाई शुरू की तब मुझे पता नहीं था कि मेरी सेवकाई क्या होगी। परंतु, कुछ वर्ष बितने के बाद मुझे मेरी सेवकाई मालूम हुई। जब मैं बिते वर्षों की ओर देखता हूं तब सेवकाई पूर्ण होते हुए देखता हूं। परमेश्वर ने जिस सेवकाई के लिये मुझे बुलाया उस सेवकाई से मुझे दूर करने के लिये कई लोगों ने प्रयास भी किए।

प्रभु कहता है, 'ट्टैं तुझे एक विशिष्ट सेवकाई देकर भेज रहा हूं।'' परमेश्वर की बाट जोहना, उसकी बात सुनना और बुलाहट को जानना अति महत्वपूर्ण है। ऐसा न हो कि परमेश्वर की दृष्टि में जो दुय्यम उसे आप चुन ले।

मुझे याद है कि तीस वर्ष पहले मैं आर्थिक कठिनाई में था। मेरे पास पैसे नहीं थे। एक मसीही संस्था ने उस संस्था का संचालक होने का अवसर मुझे दिया। वे मुझे बड़ा वेतन, कार, टेलीफोन तथा घर भी देना चाह रहे थे। यह संस्था पाश्चात्त्य थी परंतु भारत में सेवकाई कर रही थी। मैने उन्हें इन्कार किया। उस समय मुझे पैसों की आवश्यकता थी परंतु, किसी संस्था का व्यवस्थापन कुर्सी पर बैठकर करने की बुलाहट परमेश्वर ने मुझे नहीं दी थी। परमेश्वर ने मुझे उसके वचन का प्रचार करने की बुलाहट दी थी। उस समय परमेश्वर ने मुझे योग्य मार्गदर्शन किया इस कारण मैं परमेश्वर का आभारी हूं। मानो वह एक परीक्षा थी। पाप करने की परीक्षा नहीं परंतु, परमेश्वर ने जो करने को नहीं कहा वह करने का चुनाव करने की परीक्षा थी। मैं सोचता हूं कि यदि मैं उस संस्था का अधिकारी बन जाता तो वह पाप नहीं होता और मैं परमेश्वर की सेवकाई भी कर रहा होता। परंतु, परमेश्वर ने जो योजना मेरे सेवकाई के विषय में तैयार की थी उस योजना के अनुसार मैं सेवकाई नहीं किया होता।

मैं चाहता हूं कि आप यह जान ले कि परमेश्वर ने आपको विशिष्ट सेवकाई दी है। जवानी के दिनों में इस सत्य को जानना बहुत अच्छी बात है। परमेश्वर की बाट जोह कर कहे, '्य्रभु, मुझे तेरी परिपूर्ण योजना दिखा।'' आपके लिये परमेश्वर की जो योजना है वह एक दिन में स्पष्ट नहीं होंगी। कुछ सालों में वह स्पष्ट होती जाएगी। यह योजना स्पष्ट होने के बाद हर हालत और परिस्थिति में आप उसे धरे रहे। यदि आप परमेश्वर ने दी हुई सेवकाई को धरे रहेंगे तो परमेश्वर के सामने जब आप खड़े होंगे उस दिन आप लज्जीत नहीं होंगे।