द्वारा लिखित :   जैक पूनन
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यहेजकेल 7:9 में हम परमेश्वर का एक ऐसा शीर्षक पाते है जो हममें से ज़्यादातर लोगों को पसंद नहीं आएगा। “घात करने वाला प्रभु” – वह जो न्याय द्वारा दंड देता है। यहेजकेल 8 में परमेश्वर ने यहेजकेल को मंदिर के अंदर चल रही वह मूर्तिपूजा दिखाई जिसकी वजह से उसने यहूदा को त्याग दिया था। परमेश्वर ने यहेजकेल को वह अंतर्दृष्टि प्रदान की जिससे वह परमेश्वर के लोगों के बीच में हो रहे गुप्त पापों को देख सका। परमेश्वर एक सच्चे नबी को ऐसे शब्द देता है जिससे वह लोगों के बीच में हो रहे उन गुप्त पापों का पर्दाफाश कर सके जिनके बारे में दूसरों को कुछ पता नहीं होता।

1 कुरिन्थियों 14: 24,25 में हम एक ऐसी कलीसियाई सभा के बारे में पढ़ते है जिसमें जब लोग नबूबत करते थे, तो उसमें पहली बार आने वाले अजनबी व्यक्ति भी उनके भीतर छिपे गुप्त पापों को उन पर प्रकट होते हुए पाते थे। और वे मुँह के बल गिर कर यह स्वीकार करते थे कि परमेश्वर उनके बीच में है। हमारी हर एक कलीसियाई सभा ऐसी ही होनी चाहिए। और हममें से हर एक के अंदर इस तरह नबूवत करने की लालसा होनी चाहिए।

लोग मूर्तियों की पूजा कर रहे थे और स्त्रियाँ तम्मुज की मूर्ति के आगे बैठकर विलाप कर रही थी, वे अन्य मूर्तिपूजकों के साथ मिलकर और भी घिनौने और भोग-विलासिता के काम करते थे (यहेजकेल 8:14)। और यह सब मंदिर में हो रहा था। ये सारी मूर्तिपूजा और घिनौने काम लोगों को बाहरी तौर पर नजर नहीं आते थे। बहुत से लोग जो बाहरी तौर पर बड़े पवित्र नजर आते है, भीतर से बहुत घिनौने होते है। प्रभु कह रहा था, “वैसे तो यह मेरा मंदिर माना जाता है, लेकिन देख इसके अंदर क्या चल रहा है”। वे पूर्व की ओर मुख फेरकर सूर्य की आराधना कर रहे थे। जैसे आज भी बहुत से मसीह पूर्व की ओर अपने मुख फेरकर प्रार्थना करते है (यहेजकेल 8:16)यहेजकेल 9:3, परमेश्वर के घर में इस सारे पापों के कारण, परमेश्वर की महिमा धीरे-धीरे मंदिर से दूर होने लगी थी।

जब परमेश्वर की महिमा किसी व्यक्ति या कलीसिया में से हटने लगती है, और उसका अभिषेक, ताज़गी और आग नहीं रहती, तो उसका एक कारण होता है। ऐसे बहुत से प्रचारक है जिन पर 20 साल पहले अभिषेक था, लेकिन अब उन्होने उसे खो दिया है। हम जैसे जैसे उम्र में बढ़ते है, हमारे जीवन में अभिषेक भी बढ़ना चाहिए। लेकिन जितने प्रचारको से मैं मिला हूँ, मैंने उनका अभिषेक घटते हुए देखा है। यह अक्सर इसलिए होता है क्योंकि लोगों ने पैसों के पीछे भागने या किसी तरह का कोई दूसरा समझौता करने या लोगों को खुश करने के लिए बोलने द्वारा अपने आप को भ्रष्ट कर लिया है। यह हो सकता है कि परमेश्वर ने आप में से बहुत लोगों को उसकी सेवा के लिए बुलाया हो। अगर ऐसा है, तो विश्वासयोग्य रहें और अपनी सेवकाई में से महिमा को न जाने दे।

यहेजकेल 9:4, यह एक ऐसा वचन है जिसे हम इस तरह कलीसिया में लागू कर सकते है: “कलिसियाओ के बीच में से होकर जा और उन सबके माथे पर चिन्ह लगा जो उसमें किए जा रहें पापों के लिए आहें भरते और कराहते है”। अगर परमेश्वर एक स्वर्गदूत को इसलिए भेजे (जैसे उसने उस समय भेजा था) कि वह कलीसिया में उन सबके माथे पर एक चिन्ह लगा दे जो यीशु के नाम का अनादर होने की वजह से विलाप कर रहे हैं, तो कितने लोगों को चिन्ह लगाया जाएगा? आप इस बात के लिए कितने चिंतित है कि मसीहों द्वारा यीशु का नाम बदनाम किया जा रहा है? इस पवित्र नाम का अधिकांश कलीसियाओं में अनादर किया जा रहा है - सभी धर्म मतों वाली कलीसियाओं में। क्या हमें इसकी चिंता है? जिन्हें इसकी चिंता है परमेश्वर उन लोगों पर चिन्ह लगाता है। और यहाँ परमेश्वर ने कहा, “जिनके ऊपर मेरा चिन्ह नहीं लगा, उन्हें घात करों”। आज भी जिनके अंदर प्रभु के लिए जलन नहीं है, वे आत्मिक रीति से मर जाएंगे। प्रभु ने हमें सबसे पहले यही प्रार्थना सिखाई – “तेरा नाम पवित्र माना जाए”। यदि आपको परमेश्वर के नाम के लिए चिंता है, तो परमेश्वर आपको उसके उद्देश्यों को पूरा करने के लिए उपयोग कर सकता है।

जब स्वर्गदूत ने लोगों को घात करना शुरू किया, तो 70 प्राचीन सबसे पहले मारे गए! वे प्राचीन जिन्हे परमेश्वर के लोगों का अगुवा होना चाहिए था, वे ही सबसे कम चिंतित थे। जिसे ज्यादा दिया गया है, उससे ज्यादा मांगा भी जाएगा। इसलिए जब भी न्याय की शुरुआत होगी, वह हमेशा कलीसिया के अगुवो से ही होगी। परमेश्वर की महिमा इसलिए दूर हो रही थी क्योंकि परमेश्वर के अगुवे निष्फल हुए थे। आज भी ऐसा ही है।