द्वारा लिखित :   जैक पूनन श्रेणियाँ :   घर कलीसिया परमेश्वर को जानना
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मसीह की देह की तुलना एक अस्पताल से की जा सकती है। जब कोई व्यक्ति बीमार होता है और अस्पताल जाता है, तो अस्पताल में उसकी मदद करने के लिए कई विभाग होते हैं। शायद उसे इंजेक्शन, या फिजियोथेरेपी, या सर्जरी की ज़रूरत हो। उसे आँखों के डॉक्टर या कान के डॉक्टर के पास जाने की ज़रूरत हो सकती है। इसलिए अस्पताल में कई विभाग होते हैं। आँखों का डॉक्टर अपना सारा समय सिर्फ़ लोगों की आँखों का इलाज करने में बिताता है और इसके अतिरिक्त कुछ नहीं। ऐसा इसलिए नहीं है क्योंकि उसे लगता है कि मानव शरीर के दूसरे अंग महत्वहीन हैं, बल्कि इसलिए क्योंकि वह आँख का ही विशेषज्ञ है।

मसीह की देह में भी, प्रत्येक विश्वासी के पास एक अलग वरदान और बुलाहट है और उनमें से कोई अपने आप में सिद्ध नहीं है। इस धरती पर चलने वाला एकमात्र पूर्ण रीति से संतुलित व्यक्ति प्रभु यीशु मसीह था। हममें से बाकी सभी - यहाँ तक कि हममें से सबसे अच्छे लोग भी – असिद्ध हैं। हम अपना संतुलन तभी पा सकते हैं जब हम परमेश्वर के अस्पताल के अन्य विभागों के साथ यानी दूसरे भाइयों और बहनों के साथ मिलकर काम करें। इसलिए इस अस्पताल में व्यक्तिवाद के लिए कोई स्थान नहीं है।

एक अच्छे अस्पताल में लोगों की विभिन्न ज़रूरतों को पूरा करने के लिए कई विभाग होंगे। उसी तरह, मसीह की देह में भी लोगों की सहायता करने के लिए कई तरह की सेवकाई और कई आत्मिक वरदान हैं। किसी भी कलीसिया या समूह में आत्मा के सभी वरदान नहीं होते। लेकिन मसीह की सम्पूर्ण देह में, वे सभी मौजूद हैं।

हमें पता होना चाहिए कि देह में हमारी अपनी विशिष्ट बुलाहट क्या है?

संसार आत्मिक रूप से बीमार लोगों से भरा पड़ा है। और किसी की भी हालत निराशाजनक नहीं है। हर कोई प्रभु द्वारा पूरी तरह से चंगा हो सकता है। यह सुसमाचार की अच्छी खबर है जिसका हम प्रचार करते हैं। सबसे बड़ा पापी और सबसे बिगड़ा हुआ व्यक्ति भी प्रभु के अस्पताल में उपचार पा सकता है। एक अच्छा अस्पताल कभी भी गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति को नहीं लौटाएगा। निचले स्तर के अस्पताल ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि वे गंभीर मामलों को संभालने के लिए व्यवस्थित नहीं हैं। उसी प्रकार, एक अच्छी कलीसिया संसार के सबसे बड़े पापी को भी कभी नहीं बताएगी कि उसका मामला निराशाजनक है! अगर एक पापी दिया गया उपचार लेने के लिए तैयार है तो एक अच्छी कलीसिया सबसे बुरे पापी को भी सबसे महान संत में बदलने में सक्षम होगी ।

हम कलीसिया की तुलना एक मानव शरीर से भी कर सकते हैं। मानव शरीर में, प्रत्येक भाग का एक कार्य होता है; और वह भाग अकेले अपने कार्य को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित करता है। लेकिन यह उन अन्य भागों का आदर करता है, उन्हें महत्व देता है और उनके साथ सहयोग करता है जिनके अलग-अलग कार्य हैं। जब हम मसीह की देह में अन्य सेवकाई के साथ भी मिलकर कार्य करते हैं, तो ऐसा ही होना चाहिए।

1 कुरिन्थियों 12 में, पवित्र आत्मा मसीह की देह में आत्मा के वरदानों का उपयोग करने के तरीके को चित्रित करने के लिए आँखों, कानों, हाथों और पैरों का उदाहरण देता है।

पेट हाथ को बहुत महत्व देता है, लेकिन वह कभी भी वह करने की कोशिश नहीं करता जो हाथ करता है। उदाहरण के लिए, वह कभी भी प्लेट से भोजन उठाने की कोशिश नहीं करता। वह हाथ को ऐसा करने देता है और फिर हाथ द्वारा उठाए गए भोजन को पचाने का अपना काम करता है और उसे नीचे की ओर भेजता है। यह एक तस्वीर है कि हम मसीह की देह में एक दूसरे के पूरक कैसे हैं।

अधिकांश विश्वासियों ने देह में सेवकाई की विविधता के इस सत्य को नहीं देखा है। लेकिन अगर आप इस सत्य को नहीं देखते हैं, तो आप कभी भी वह सब पूरा नहीं कर पाएंगे जो परमेश्वर पूरा करना चाहता है।

पुराने नियम में कोई भी भविष्यवक्ता अपनी सेवकाई में कभी भी संतुलित नहीं था। केवल नम्र प्रचारक ही "सिद्ध" होना चाहते हैं। सभी भविष्यवक्ता असंतुलित थे। वे बार-बार एक ही बात पर जोर देते रहे - क्योंकि उनकी पीढ़ी में इस्राएल या यहूदा की यही ज़रूरत थी - और यही बात परमेश्वर ने उनके दिलों पर बोझ के रूप में डाल दी थी।

हम सभी के लिए यह अच्छा है कि हम अपने मन में स्पष्ट रहें कि परमेश्वर ने हमें किस काम के लिए बुलाया है।

प्रभु हमारे दिलों में जो बोझ डालते हैं, वह आमतौर पर उनकी देह में हमारे लिए उनकी सेवकाई का संकेत होता है।

मैं यह नहीं कह रहा हूँ कि जैसे ही हम प्रभु की सेवा करना शुरू करते हैं, हम सभी यह जान सकते हैं कि हमारा वरदान और बुलाहट क्या है। मुझे नया जन्म लेने के बाद भी लगभग 15 साल लग गए और इससे पहले कि मैं स्पष्ट हो पाता कि मेरी सेवकाई क्या है। हो सकता है कि आपको इतना समय न लगे। हो सकता है कि इसमें बहुत कम समय लगे। आपको समय का फैसला परमेश्वर पर छोड़ना होगा। लेकिन आपको यह स्पष्ट रूप से समझना चाहिए कि मसीह की देह में आपकी एक अलग और अनोखी सेवकाई है जिसे कोई और पूरा नहीं कर सकता और यह सेवकाई कभी भी संतुलित नहीं होगी। यह असंतुलित रहेगी। आपको देह में अलग-अलग सेवकाई करने वाले अन्य लोगों के साथ संगति में काम करके अपना संतुलन खोजना होगा। इसी तरह से परमेश्वर हमें दूसरों पर निर्भर बनाकर नम्र रखता है । प्रभु की स्तुति हो!