द्वारा लिखित :   जैक पूनन
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परीक्षाओं का उद्देश्य आपके विश्वास के खरेपन को साबित करना है - जैसे "आग में सोना ताया जाता है" (1 पतरस 1:7)। जब सोना धरती की गहराई से खोद कर निकाला जाता है तब वह शुद्ध नहीं होता है। इसे शुद्ध करने का एकमात्र तरीका आग में डालना है। आप सोने को साबुन और पानी से साफ़ करके शुद्ध नहीं कर सकते। यह केवल गंदगी को ही दूर कर सकता है। लेकिन सोने में मिश्रित धातुओं को निकालने के लिए इसे आग में डालना पड़ता है। फिर इसमें से सभी मिश्रित धातुएँ पिघल कर अलग हो जाती हैं और शुद्ध सोना निकलता है। जिन परीक्षाओं से आप गुजरते हैं वे प्रचंड हो सकते हैं। यह जरूर दर्द पहुंचाती है और आपको ऐसा महसूस होता है जैसे की आप आग में हैं। इसका एकमात्र उद्देश्य आपके जीवन में से उन चीजों को दूर करना है जो अशुद्ध हैं। उदाहरण स्वरूप, उन देशों में जहाँ मसीहियों को सताया गया था और उनकी संपत्ति छीन ली गई थी, तब इसका परिणाम क्या हुआ? वे बेहतर यात्री बन गए। वे अपनी संपत्ति से ज्यादा लगाव नहीं रखते थे क्योंकि अब उनके पास कुछ भी नहीं था। लेकिन जहां सताव नहीं होता है, ऐसे स्थानों में सबसे अच्छे विश्वासियों को भी उनकी अपनी संपत्ति और जायदाद से बहुत अधिक लगाव हो सकता है। हम कल्पना कर सकते हैं कि हम इन चीजों से लगाव नहीं रखते हैं, लेकिन हम स्वयं को धोखा दे रहे हैं। और इसलिए परमेश्वर एक दिन हमारी भूमि में सताव की अनुमति दे सकता हैं और फिर हमें शुद्ध किया जाएगा।

मैंने ऐसा सुना है कि जब साम्यवादी (कम्युनिस्ट) ने रूस पर शासन किया तो मसीही लोग कॉलेज की शिक्षा या अच्छी नौकरी नहीं पा सकते थे। वे केवल सड़कों की सफाई जैसी निम्न कक्षा की नौकरियां ही प्राप्त कर सकते थे। ऐसी परिस्थियों में, हम आसानी से सम्मान और महत्व की भावना से अलग हो जाते हैं जो उच्च पदों और बड़ी नौकरियों से आता है। सोने में मिला हुआ सारा मैल जल जाता है और हम वास्तव में शुद्ध हो जाते हैं। यही कारण है कि ऐसी जगहों पर जहाँ आज भी सताव हो रहा है, आपको दुनिया के कुछ बेहतरीन मसीही लोग मिलेंगे। और इसलिए मैं कभी यह प्रार्थना नहीं करता कि मसीही लोगों का सताव नहीं होना चाहिए क्योंकि तब मैं कलीसिया के शुद्धिकरण के विरोध में प्रार्थना करूंगा। मैं सताव के लिए प्रार्थना नहीं करता, लेकिन मैं इसके विरोध मे भी प्रार्थना नहीं करता। प्रभु जानता है कि किसी भी समय मे हमारे लिए सबसे अच्छा क्या है। इसलिए मैं इसे परमेश्वर को तय करने के लिए छोड़ देता हूं। यह दोनों ही तरीके मेरे लिए एक समान रूप से उचित है। हमारा यही स्वभाव होगा, जब हम परमेश्वर का सच्चा अनुग्रह प्राप्त करेंगे।

पतरस आगे कहता है कि यह सब मसीह के लौटने पर उसके लिए अत्यंत स्तुति और महिमा और आदर उत्पन्न करेगा (1 पतरस 1:7)। इन परीक्षाओं के बीच में भले ही हम यीशु को नहीं देखते हैं, फिर भी हम उससे प्रेम करते हैं और उस पर भरोसा रखते हैं और बहुत हर्ष के साथ आनन्द मनाते हैं। पतरस ने यीशु को शारीरिक रूप से देखा था। लेकिन यीशु ने कहा, "धन्य है वे जिन्होंने बिना देखे विश्वास किया" (यूहन्ना 20:29)। मुझे नहीं पता कि आप में से कितने लोग इस वचन पर विश्वास करते हैं कि, जिन लोगों ने यीशु को शारीरिक रूप से नहीं देखा है वे उन पतरस जैसे लोगों से अधिक धन्य हैं, जिन्होंने उसे शारीरिक रूप से देखा था। मैं अपने पूरे ह्रदय से इस पर विश्वास करता हूँ, क्योंकि यीशु ने ऐसा कहा। पतरस आगे कहता है कि परीक्षाओं मे विश्वासयोग्यता से गुजरने के परिणामस्वरूप, हम "हमारी आत्माओं का उद्धार" प्राप्त करते हैं” (1 पतरस 1: 9)। प्रेरितों ने नरक से मुक्ति से अधिक हमारी आत्माओं के उद्धार के विषय में बात की।

हमारी आत्मा को आदम से स्वार्थ और घमंड और कई अन्य बुराइयाँ विरासत में मिली हैं। हमें उन सभी बुराईयों से उद्धार पाना होगा जो हमें आदम से विरासत में मिली हैं - जैसे कि भौतिक वस्तुओं के प्रति हमारा लगाव, आदर पाने की हमारी लालसा और हमारी आत्म-केंद्रित जीवनशैली। अग्निमय परीक्षाएं और सताव हमें कई बुराइयों से मुक्ति दिलाने में बहुत सहायता करते हैं।

आपका मानसिक रुप से विकलांग बच्चा होने की परीक्षा के बारे में सोचें। कुछ लोग इसे बहुत बड़ा दुर्भाग्य मानते हैं। हम में से कोई भी ऐसे बच्चे होने के लिए प्रार्थना नहीं करेगा। लेकिन अगर परमेश्‍वर एक ऐसे बच्चे को किसी ऐसे परिवार में जो परमेश्वर से प्रेम करता हो, पैदा होने की अनुमति देता है तो हम निश्चित रूप से यह कह सकते है कि परमेश्‍वर उसे उनकी भलाई के लिए काम में लाएगा। मैंने ऐसे परिवारों पर ध्यान दिया है, जिनमें ऐसे विकलांग बच्चे होते हैं, वहाँ अन्य परिवारों की तुलना में उनके बच्चों के मध्य में त्याग और सेवा की भावना अधिक होती है। बहुत बार अनजाने में उन माता-पिता के हृदय में घमंड आ जाता है जिनके सभी बच्चे होशियार और सक्षम होते हैं। घमंड स्वर्ग से नहीं ,परंतु नरक से संबंधित है। लेकिन दुर्भाग्य से घमंड कई विश्वासियों के परिवारों में पाया जाता है।

परमेश्वर अपने सभी बच्चों को परीक्षाओं का सामना करने की अनुमति देता है। परमेश्वर अपनी महान बुद्धि में जानता है कि उन परीक्षाओ को कब भेजना है। जब हम प्रभु के सामने खड़े होंगे, तब हम यह पाएंगे कि परमेश्वर ने हमारे जीवन में किसी भी परीक्षा की अनुमति देने में एक भी गलती नहीं की। उस दिन हमें पता चलेगा कि हर एक परीक्षा जिसकी अनुमति परमेश्वर ने हमारे जीवन में दी, वह हमें सोने की तरह शुद्ध करने के लिए थी। यदि आप ऐसा विश्वास करते हैं, तो आप हर समय प्रभु की स्तुति करेंगे।