द्वारा लिखित :   जैक पूनन श्रेणियाँ :   कलीसिया नेता
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“धार्मिक शासक यीशु पर परिहासशील थे…….सैनिक भी उनका मज़ाक उड़ा रहे थे ...... जो कुकर्मी लटकाए गए थे, उन में से एक उनकी निन्दा कर रहा था…………इस पर दूसरे ने उसे डांटकर कहा, ‘पर इस ने कोई अनुचित काम नहीं किया’ ” (लूका 23:35:51)। यह वास्तव में आश्चर्य की बात है कि जहाँ इस्राएल के बुजुर्ग बाइबल विद्वान, और चतुर, शिक्षित रोमन सैनिक यह विचार नहीं कर सके कि यीशु कौन थे, एक चोर-सह-हत्यारा जो बाइबिल के विषय में कुछ नहीं जानता था, लेकिन पृथ्वी पर अपने अंतिम क्षणों में ऐसा कर पाया। ऐसा क्यों ?

प्रभेद बुद्धि, बाइबल ज्ञान या अनुभव के माध्यम से नहीं आती है। यह परमेश्वर द्वारा उन्हें दिया जाता है, जो हृदय के ईमानदार है। क्रूस पर चढ़ा चोर हमें यह सिखाता है कि कैसे हमे प्रभेद प्राप्त हो सकता है। बिशपों, शास्त्रियों और पुरनियों का पूरा समूह उस दिन एक या अन्य बात पर क्रूस के पैरों में यीशु पर, आरोप लगाते हुए वहाँ थे (मत्ती 27:41)। उस देश के कई प्रमुख नागरिक भी, जो वहां से गुजर रहे थे, निर्दयता के साथ यीशु को कोस रहे थे और आरोप लगा रहे थे कि यीशु ने कहां वे मंदिर को नष्ट कर देंगे (यह एक झूठा आरोप था, क्योंकि यीशु ने कभी इस तरह से नहीं कहां था) (मत्ती 27:39)।

ये दोनों चोर इन आरोपों से इतने आश्वस्त थे कि वे भी यीशु के विरोद्ध बोलने में शामिल हो गए (मत्ती 27:44)। लेकिन अचानक, उनमें से एक रुक गया, और यीशु के विषय में यह कहने लगा, "इस व्यक्ति ने एक भी पाप नहीं किया है" (लूका 23:41)। उसे यह कैसे पता चला? उसे कैसे यह विचार आया कि यीशु मसीहा है जैसे उन्होनें दावा किया था? कैसे उसने लोगों के सभी आरोपों को अस्वीकार करके उन्हें झूठा ठहराया - ऐसे समय में जब कोई भी यीशु के लिए नहीं ले रहा था। आख़िरकार, " बिना आग के धुआं नहीं आ सकता है " क्या ऐसे हो सकता है ? उस कहावत के सांसारिक ज्ञान में जाकर, वह चोर यह सोच सकता था कि यीशु में, वहाँ कुछ आधार होना चाहिए, हालांकि छोटा, इन सभी सैकड़ों लोगों के उन पर दोष लगाने के लिए। फिर भी चोर ने यह कहा है कि यीशु ने कुछ भी गलत नहीं किया था !!

कैसे उस चोर ने इतने आध्यात्मिक तरीके से उन बातों को अस्वीकार किया जिसे "उसकी कानों ने सुना" (यशायाह 11:30)? क्योंकि उसने यीशु को यह कहते हुए सुना, “हे पिता, इन्हें क्षमा कर, क्योंकि ये नहीं जानते कि क्या कर रहें हैं” (लूका 23:34)। एक तरफ, उस चोर ने अशांति, आंदोलन, कड़वाहट और उन बाइबल विद्वानों के द्वेष को देखा। और दूसरी ओर, उसने क्षमा भावना, आत्म-औचित्य का अभाव, और विश्राम को देखा, जो यीशु में था। इस प्रकार उसे पता चला कौन सही था और कौन गलत।

कलीसिया में भी, इसी तरह हमें अपने प्रभेद का उपयोग करना चाहिए। जब दो भाइयों या बहनों में विवाद होता है, अगर आप इस चोर के मानदण्ड का उपयोग करते हैं, तो आप जल्दी ही खोज करने में सक्षम हो जाएगें कि कौन सही है और कौन गलत।" परन्तु दुष्ट तो लहराते समुद्र के समान है जो स्थिर नहीं रह सकता; और उसका जल मैल और कीच उछालता है। दुष्टों के लिये शान्ति नहीं है, मेरे परमेश्वर का यही वचन है (यशायाह 57:20,21) । जो परमेश्वर के आँखों में गलत हैं, उनका जीवन एक लगातार आंदोलन और अशांति का है, जिसमें वे अपने मुंह से (गपशप, आरोपों, शिकायतों और गाली) ऐसे व्यर्थ और कीचड़ फेंकने वाले बाते, धर्मी भाइयों और बहनों के विरोद्ध में करते है। जब आप इस तरह के एक भाई या बहन से मिले, तो आप बिना किसी झिझक के, उसे एक दुष्ट व्यक्ति के रूप में वर्गीकृत कर सकते हैं। क्योंकि परमेश्वर उन्हें यशायाह 57:20,21 में यही कहकर पुकारते है। और सबूतों की या विषय के तथ्यों पर गौर करने की कोई जरूरत नहीं है। उस व्यक्ति में अशांति और आंदोलन, सभी का स्पष्ट सबूत हैं। सांसारिक अदालत मामलों में, न्यायाधीश कभी कभी एक निर्णय पर पहुंचने से पहले सभी सबूतों को झारने के लिए, कई साल लगाते है। और फिर भी वे गलत हो सकता है। यदि हम कलीसिया के विवादों में इस विधि को अपनाए, तो एक निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले हमारा पूरा जीवन केवल एक पक्ष को और अन्य पक्ष को सुनने में लग जाएगी। और तब भी हम गलत हो सकते है!

लेकिन परमेश्वर ने हमें एक बेहतर रास्ता दिया है: इसे जाँचें कि कौन विश्राम में है और कौन अशांति में। इसे जाँचें, जो खुद को औचित्य साबित करने के लिए मना कर रहा है और कौन शिकायतों से भरा है। आपको सीधे-तुरंत उत्तर मिल जाएगा कि कौन धर्मी है और कौन नहीं। क्रूस पर इस चोर ने हमें प्रभेद के रहस्य को दिखाया है।