द्वारा लिखित :   जैक पूनन
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यिर्मयाह 15:16-21 में हम तीन शर्त पढ़ते है जो परमेश्वर का प्रवक्ता होने के लिये आवश्यक है।

पहली शर्त : ''जब तेरे वचन मेरे पास पहुंचे, तब मैंने उन्हें मानो खा लिया, और तेरे वचन मेरे मन के हर्ष और आनन्द का कारण हुए; क्योंकि, हे सेनाओं के परमेश्वर यहोवा, मैं तेरा कहलाता हूं'' (यिर्मयाह 15:16)। परमेश्वर का वचन हमारे हृदय के लिये आनन्द का कारण हो। उद्योजक पैसा कमाने में आनन्द पाता है। आपको परमेश्वर के वचन में आनन्द प्राप्त हो। आज कई लोग प्रचारक होना चाहते हैं परन्तु परमेश्वर के वचन का अध्ययन नहीं करते। उन्हें परमेश्वर के वचन में हर्ष और आनन्द नहीं होता।

दूसरी शर्त : ''तेरी छाया मुझ पर हुई; मैं मन बहलानेवालों के बीच बैठकर प्रसन्न नहीं हुआ'' (यिर्मयाह 15:17)। जब यहूदा के लोग खुशियां मना रहे थे तथा मन बहला रहे थे तब यिर्मया अकेले में परमेश्वर के साथ था। यदि आप स्वयं को इस दुनिया के बहलानेवालों से दूर रखकर अनुशासित नहीं करेंगे तो आप परमेश्वर के प्रवक्ता नहीं हो सकते। मैं यह नहीं कहता कि हास्यविनोद गलत है, परन्तु कई लोग हास्यविनोद की सीमा नहीं जानते। वे हर समय विनोद करते रहते है। यिर्मयाह ने ठान लिया कि वह ऐसे लोगों की संगति नहीं करेगा।

तिसरी शर्त : 18 वे वचन में यिर्मयाह ने परमेश्वर से एक शिकायत की, 'ट्टेरी पीड़ा क्यों लगातार बनी रहती है? मेरी चोट की क्यों कोई औषधि नहीं है? क्या तू सचमूच मेरे लिये धोखा देनेवाली नदी और सूखनेवाले जल के समान होगा?'' तब परमेश्वर ने उसे उसके विचारों के लिये डांटा। परमेश्वर हमसे धोखाधड़ी नहीं करता। वह धोखा देनेवाली नदी नहीं है। यिर्मयाह अपनी भावनाओं पर निर्भर था और अपनी परिस्थितियों को देख रहा था। परमेश्वर ने उससे कहा, ''यदि तू फिरे, तो मैं फिरसे तुझे अपने सामने खड़ा करूंगा। यदि तू अनमोल को कहे और निकम्मे को न कहे, तब तू मेरे मुख के समान होगा। वे लोग तेरी ओर फिरेंगे, परन्तु तू उनकी ओर न फिरना'' (यिर्मयाह 15:19)।

आपमें से कितने लोग परमेश्वर का प्रवक्ता होना चाहते है? मृत संदेश सुनाने वाले प्रवक्ता के विषय में मैं नहीं कहता जो किताबें पढ़कर संदेश सुनाते है। वे परमेश्वर के प्रवक्ता नहीं होते। यदि आप परमेश्वर के प्रवक्ता होना चाहते हो तो निरर्थक संगती न रखे; परन्तु समय बचाकर परमेश्वर के वचन का अध्ययन करे। आप परमेश्वर के वचन से हर्षित और आनन्दित हो। निरर्थक बातें छोड़कर सत्य का वचन बोलते रहे। आपके वार्तालाप में अच्छे

शब्द हो। तब परमेश्वर आपको उसका प्रवक्ता बनाएगा। परमेश्वर भेदभाव नहीं करता।