द्वारा लिखित :   जैक पूनन
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1. परमेश्वर के लिए आग से भरे रहने को खोजे:
पौलुस ने तीमुथियुस को लिखा: “इसी कारण मैं तुझे सुधि दिलाता हूं, कि तू परमेश्वर के उस वरदान को जो मेरे हाथ रखने के द्वारा तुझे मिला है प्रज्वलित कर दे। पवित्र आत्मा भय का आत्मा नहीं है” (2 तीमुथियुस 1: 6)। पौलूस ने उसे उत्साहित करते हुए कहा कि उस आग को जलते रहने के लिए वह उसे चमका कर फिर से प्रज्वलित करता रहें। इससे हम सीखते है कि हालांकि यीशु हमें पवित्र आत्मा और आग से बपतिस्मा देता है (मत्ती 3:11), फिर भी उस आग को हमेशा प्रज्वलित रखने के लिए हमें कुछ करना पड़ता है। परमेश्वर आग लगाता है। हमारा काम उसमे ईंधन डालते रहना है अर्थात हमारा पूरी तरह समर्पित वह जीवन, जो हर समय परमेश्वर की इच्छा पूरी करता है। यह न सोचे कि परमेश्वर ने क्योंकि आपका एक बार अभिषेक किया था इसलिए अब आप आराम से यह कह सकते है, “एक बार अभिषिक्त, हमेशा के लिए अभिषिक्त”। यह इतनी ही बड़ी भूल करना है जैसे यह कहना, “एक बार उद्धार, हमेशा के लिए उद्धार”। मैंने ऐसे लोग देखे है जिनका वास्तव में परमेश्वर ने अभिषेक किया था, लेकिन एक साल बाद वे आत्मिक तौर पर मर हुए थे। आग बुझ गई थी। सांसारिक दिलचस्पियों और घमंड ने आकर आग को बुझा दिया था। अब वे धन और एक सुख सुविधा भरे जीवन के पीछे भाग रहे थे और उनके अंदर से परमेश्वर की आग बुझ गई थी। यह एक दुखद बात है और परमेश्वर के राज्य के लिए बड़ी हानि है। इसलिए पौलूस ने तिमुथियूस से कहा, “जो आग तुझ पर उतरी थी, उसे दहकने दे, उसे जलाए रख। अब ये तुझ पर निर्भर है यदि तू उसे जलाए न रखेगा तो वह बुझ जाएगी। उसे अच्छे विवेक द्वारा, परमेश्वर के वचन के अध्ययन द्वारा, लगातार स्वयं को नम्र व दीन करने द्वारा, पूरे हृदय से परमेश्वर को खोजने द्वारा, धन के प्रेम से दूर रहने द्वारा, दूसरे लोगों से वादविवाद न करने द्वारा और उसे बुझा सकने वाली ऐसी हर एक बात से दूर रहने द्वारा उस आग को जलाए रख”।

2. पूर्ण हृदय से समर्पित विश्वासियों के साथ संगति को खोजे:
पौलूस ने 2 तिमुथियूस 2:22 में कहा “जवानी की अभिलाषाओं से भाग और जो शुद्ध मन से प्रभु का नाम लेते है उनके साथ धार्मिकता का पीछा कर”। दूसरे शब्दों में, हमें सबसे पहले उनके साथ ही संगति करनी चाहिए जो शुद्धता की खोज में रहते है। इससे हमें पाप से भागने में मदद मिलेगी। हमारे सबसे अच्छे मित्र वही होने चाहिए जो अपने पूरे हृदय से शुद्धता की खोज में रहते है। बहुत से विश्वासियों के स्तर नीचे होते है और उनकी ईश्वरीय भक्ति में कोई दिलचस्पी नहीं होती लेकिन हम अपना ज्यादातर समय ऐसे ही लोगों के साथ बिताएँ जो एक पवित्र जीवन जीने की खोज करते है। हम यह कैसे जान सकते है कि एक व्यक्ति का हृदय पवित्र है? यीशु ने कहा कि लोग वही बातें बोलते है जो उनके हृदय में भरा होता है (मत्ती 12:34)। एक व्यक्ति के हृदय में क्या भरा है यह हमें उसकी पसंदीदा बातों से पता चल जाता है। अगर वह हमेशा रुपयो – पैसो और भौतिक वस्तुओं के बारे में ही बोलता रहता है, तो इससे हम जान लेते है कि उसका हृदय पैसो के विचारों से भरा हुआ है। दूसरी ओर, अगर एक व्यक्ति ज्यादातर प्रभु के बारे में बात करना चाहता है, तो हम जान लेंगे कि उसके हृदय में क्या है। मैं उन लोगों के साथ संगति करना चाहता हूँ जो यीशु जैसा बनना चाहते है। जब हम प्रभु से प्रेम करते है तो हम उसके बारे में बात करना पसंद करते है। इसी बात में प्रभु की प्रभावी सेवा का भेद है।

3. परमेश्वर के स्तरों को ऊंचा उठाए रखने की खोज करें:
पौलूस ने तीमुथियुस को प्रोत्साहित करते हुए कहा: "कभी भी परमेश्वर के मानक मापदंड के स्तर को नीचा न करना” (2 तीमुथियुस 1:13)। आज के इस समय में, सभी मसीही प्रचारको के लिए इस उपदेश की कितनी ज्यादा जरूरत है। अपनी कलीसिया में ज्यादा लोगों को लाने के लिए पवित्र शास्त्र में पाए जाने वाले मापदंड को नीचा न करे। नीचले स्तर वाले ज्यादा लोगो के बजाय अगर आप के पास ऊंचे स्तर वाले कम लोग होंगे, तो प्रभु की नजर में आपकी कलीसिया ज्यादा अच्छी होगी। 3 शिष्यों की एक कलीसिया, समझौता करने वाले 300 लोगों की कलीसिया से अच्छी है। एक पूरे गाँव को मसीह के लिए जिस तरह पूर्ण हृदय से समर्पित 3 शिष्य प्रभावित कर सकते है, वैसा प्रभाव समझौता कर लेने वाले 300 विश्वासियों का नहीं हो सकता। यह बोझ आने वाली पीढ़ी के लिए परमेश्वर के हर एक सच्चे सेवक के अंदर होना चाहिए। मसीही इतिहास में, हम अक्सर यह पाते है कि आंदोंलन की दूसरी पीढ़ी उसके मानक मापदंड का स्तर नीचा कर देती है, क्योंकि उसके पास वही दर्शन नहीं होता जो उसके संस्थापको के पास था। आज की बड़ी धर्म-मतीय कलीसियाएं जैसी उनके संस्थापको के समय में थी, उसकी तुलना उनकी आज की दशा से कर के देखे। अगर इन धर्म- मतो के संस्थापक आज पृथ्वी पर आ जाए, तो स्वयं ही अपनी स्थापित की हुई कलीसियाओं के सदस्य बनना न चाहेंगे –क्योंकि उसका वह स्तर जो उसके संस्थापको ने ऊंचा उठाया हुआ था, और जिसका उन्होने प्रचार किया था, अब नीचा कर दिया गया है। यह हो सकता है कि उनके धर्म-सिद्धान्त का बाहरी रूप अभी भी वैसा ही हो, लेकिन वह सामर्थ और अभिषेक जा चुका है। जीवन खत्म हो गया है और परमेश्वर का ज्ञान खत्म हो गया है। हममे वास करने वाली पवित्र आत्मा द्वारा हमें इस मानक मापदंड की रक्षा करनी चाहिए क्योंकि यह एक पुण्य धरोहर है।