द्वारा लिखित :   जैक पूनन
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प्रकाशितवाक्य 3 में हम पढ़ते है कि फ़िलदिलफिया की कलीसिया एक विश्वासयोग्य कलीसिया थी। उसका प्राचीन विश्वासयोग्य था और इसलिए वो कलीसिया भी विश्वासयोग्य थी। प्रभु ने उनसे कहा, “मैंने तेरे लिए एक द्वार खोल रखा है जिसे कोई बंद नहीं कर सकता” (प्रकाशितवाक्य 3:8)।

जब प्रभु हमारे लिए कोई द्वार खोलता है, तो उसे कोई बंद नहीं कर सकता। वह कहता है, “मेरे पास कुंजिया है। जब मैं खोलता हूँ तो कोई मनुष्य बंद नहीं कर सकता” (प्रकाशितवाक्य 3:7)। हमें किसी भी द्वार को खटखटाने की जरूरत नहीं होती। हमारे उन्हें छूए बिना ही, हमारा प्रभु हमारे लिए सही द्वार खोलता है। वे द्वार हवाई अड्डों पर लगे ऐसे स्वचालित दरवाजों की तरह होते हैं जो उनके नजदीक जाते ही खुल जाते है। क्या आप अपने लिए सेवकाई के दरवाजे खोज रहे है? क्या आप उस द्वार को खुद ही खोलने का प्रयास कर रहे हैं या इस इंतजार में है कि कोई प्रभावशाली व्यक्ति आपके लिए उस द्वार को खोले? क्या आप किसी दूसरे की सेवकाई का लालच कर रहें है? ऐसा करना दुष्टता होगी।

छोटी-छोटी बातों में परमेश्वर के प्रति विश्वासयोग्य रहें और वह सही समय पर आपके लिए सेवकाई के सही द्वार खोलेगा। फिर आप बहुत से गलत द्वारों में से गुजरने से अपना समय और जीवन बर्बाद नहीं करेंगे। परमेश्वर में भरोसा रखें और आपके लिए केवल उसे ही द्वार खोलने दे, और वह आपकी उन स्थानो पर कदम दर कदम अगुवाई करेगा, जिनकी योजना उसने आपके लिए बना रखी है।

मुझे याद है कि जब मैं एक बार एक देश में जाने की तैयारी कर रहा था तो प्रभु ने मुझसे कहा, “वहाँ अपने जाननेवालों मे से किसी को भी अपने वहाँ जाने के बारे में सूचित न करना। बस, चला जा”। मैं चला गया, और वहाँ कहीं कोई सेवकाई किए बिना ही वापिस लौट आया। प्रभु ने मुझे परखा कि मैं आज्ञापालन करता हूँ या नहीं। फिर अगली बार जब मैं उस देश में गया, तो प्रभु ने मेरे लिए ऐसे कई लोगों के लिए द्वार खोल दिए जिन्हें मैं जानता भी नहीं था। ये वे जगहें थी जहां प्रभु मुझे ले जाना चाहता था। तब मैंने देखा कि अपनी सर्वसत्ता में परमेश्वर सही द्वार खोलता है। पिछली बार यदि अपने लिए कुछ सेवकाई तैयार करने के लिए, मैं स्वयं कुछ द्वार खोलने की कोशिश करता, तो मैं अपने लिए परमेश्वर की इच्छा पूरी तरह से खो देता। इसलिए किसी जगह में जबरदस्ती प्रवेश करने की कोशिश न करें। परमेश्वर की प्रतीक्षा करें और अपने लिए उसे ही सही द्वार खोलने दे। फ़िलदिलफिया के उन लोगों की तरह, आपका बल भी थोड़ा ही हो सकता है। लेकिन अगर आप परमेश्वर के वचन का पालन करेंगे और उसके नाम का इनकार नहीं करेंगे, तो प्रभु ऐसा होने देगा कि आपके शत्रु भी यह जान लेंगे की वह आपसे प्रेम करता है (प्रकाशितवाक्य 3:8,9)।

फिर प्रभु ने इस कलीसिया से कहा, “मैं शीघ्र आने वाला हूँ। जो कुछ तेरे पास है, उसे थामे रह कि कोई तेरा मुकुट छीन न ले” (प्रकाशितवाक्य 3:11)। जब प्रभु हमें एक सेवकाई दे, तो उसे पूरा करने में हमें विश्वासयोग्य रहना चाहिए। अन्यथा प्रभु हमारी वह सेवकाई लेकर किसी और को दे देगा, और उस व्यक्ति को फिर वह मुकुट मिल जाएगा जो आपके लिए था! उसे अपना और आपका दोनों का मुकुट मिल जाएगा। इसलिए विश्वासयोग्य रहें। जो जय पाएंगे, उन्हें प्रभु “अपने मंदिर में स्तंभ बनाएगा” (प्रकाशितवाक्य 3:12)। स्तंभ ही एक भवन को थामे रखता है। जब शिमशोन ने दो स्तंभ बलपूर्वक धकेल दिए थे तो पूरा भवन धराशाई हो गया था। कई बार सिर्फ दो प्राचीन ही एक कलीसिया को संभाले रहते है। जब उनकी मृत्यु हो जाती है, तो कलीसिया भी मर जाती है। परमेश्वर अपनी कलिसिया में बहुत से स्तंभ चाहता है। अगर आप अपने विचारों में और अपने निजी जीवन में पाप पर जय पाने की खोज करते है, तो आप भी एक स्तंभ बन सकते है।