द्वारा लिखित :   जैक पूनन श्रेणियाँ :   कलीसिया
WFTW Body: 

कुरिन्थ की कलीसिया को, पौलुस ने लिखा, “तुम सब मिलकर मसीह की देह हो, और अलग अलग उसके अंग हो” (1 कुरिन्थियों 12:27)। इफिसियों के मसीहियों को लिखी पौलूस की पत्री विश्वासियों के मसीह में एक देह होने के महान सत्य पर केन्द्रित है। मसीह कलीसिया का सिर है, और कलीसिया उसकी देह है (इफिसियों 1:22,23)। हरेक विश्वासी इस देह का अंग है। हम इफिसियों 4:1-2 में पढ़ते हैं “इसलिये मैं जो प्रभु में बन्दी हूँ तुम से विनती करता हूँ कि जिस बुलाहट से तुम बुलाए गए थे, उसके योग्य चाल चलो, अर्थात् सारी दीनता और नम्रता सहित, और धीरज धरकर प्रेम से एक दूसरे की सह लो।” परमेश्वर नम्रता, दीनता और धीरज खोजता है। इफिसियों 4:2 (एल. बी.) कहता है “अपने प्रेम की वजह से एक-दूसरे की गलतियों को छूट दो।” किसी भी कलीसिया में कोई भी सिद्ध नहीं है. सभी गलतियाँ करते है. इसलिए कलीसिया में हमें एक-दूसरे की गलतियाँ सहनी होंगी. हमें एक-दूसरे की गलतियों के प्रति सहनशील होना होगा, क्योंकि हम एक-दूसरे से प्रेम करते हैं. "अगर तुम गलती करते हो तो मैं उसे ढांप दूंगा. अगर तुम कुछ अधूरा छोड़ देते हो तो मैं उसे पूरा कर दूंगा." मसीह की देह को इस तरह काम करना चाहिए. हम इफिसियों 4:3 में पढ़ते हैं “मेल के बन्धन में आत्मा की एकता रखने का यत्न करो।” पौलुस की अनेक पत्रियों में एकता मुख्य विषय-वस्तुओं में से एक हैं। और यही वह बोझ हैं जो प्रभु का अपनी कलीसिया के लिए हैं। मसीह के शरीर में, प्रत्येक सदस्य सबसे पहले आंतरिक रूप से सिर से जुड़ा होता है और फिर आंतरिक रूप से और अविभाज्य रूप से अन्य सदस्यों से जुड़ा होता है। इन सदस्यों को एकता में तब तक बढ़ना चाहिए जब तक कि उनकी एकता पिता और पुत्र की एकता के समान न हो जाए (यूहन्ना 17:21-23)

इफिसियों 4:16 में, पौलुस "सारी देह, हर एक जोड़ की सहायता से एक साथ मिलकर और एक साथ गठकर, उस प्रभाव के अनुसार जो हर एक अंग के ठीक-ठीक कार्य करने के द्वारा उस में होता है, अपने आप को बढ़ाती है कि वह प्रेम में उन्नति करने" की बात करता है। यहाँ जोड़ संगति की बात करते हैं। ज़रा सोचें कि सिर्फ आपकी एक बाह (भुजा) में ही कितने जोड़ हैं। एक जोड़ कंधे में है, एक कोहनी में है, एक कलाई में है, फिर हरेक अंगुली में तीन-तीन जोड़ हैं - इस तरह कम-से-कम 17 जोड़ है। आपकी बाँह के जोड़ों की वजह से ही आपकी भुजा पूरी आज़ादी से काम कर पाती है। अगर आपकी बाँह का ऊपरी हिस्सा शक्तिशाली होता, और निचला हिस्सा भी शक्तिशाली होता, लेकिन अगर आपकी कोहनी अकड़ी हुई होती तो आप अपनी बाँह से क्या कर पाते? कुछ भी नहीं। आपकी बाँह सिर्फ शक्ति से ही काम करने वाली नहीं बन जाती। वह सक्रिय जोड़ों से भी काम करने वाली बनती है। अब इसका लागू करण मसीह की देह के विषय में सोचे। एक अच्छा भाई है - एक मजबूत ऊपरी बाँह। और एक और अच्छा भाई है - एक मजबूत निचली बाँह। लेकिन वे एक-दूसरे के साथ संगति नहीं कर पाते। आज मसीह की देह की ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण दशा है। मानवीय देह में इसे गठिया का रोग (आर्थ्राइटिस) कहते हैं और यह बहुत पीड़ादायक होता है। बहुत सी स्थानीय कलीसियाओं को गठिया का रोग (आर्थ्राइटिस) हो गया है। जब हमारे जोड़ सही तरह काम कर रहे होते हैं, तो कोई आवाज/शोर नहीं होता। लेकिन जब एक देह में गठिया हो जाता है, तो वह चरमराने लगती है और उसके हिलने-डुलने से भी कई तरह की अस्वस्थ आवाज निकलती हैं। कुछ विश्वासियों के बीच जिसे "संगति" कहा जाता है, वह बिल्कुल ऐसा ही है। वह चरमराती है। लेकिन जब सारे जोड़ सही तरह काम करते हैं, तो उसमें से कोई आवाज नहीं निकलती। हमारी एक-दूसरे के साथ संगति ऐसी ही होनी चाहिए। अगर आपकी ऐसी संगति नहीं है, तो आपको गठिया के रोग के लिए कोई दवा लेनी पड़ेगी: अपने "स्वयं-के-जीवन" के प्रति मरे। तब आप चंगे हो जाएंगे और दूसरों के साथ आपकी संगति भी महिमामय होगी। मसीह की देह में परमेश्वर की यही इच्छा है।

पुराने नियम में, परमेश्वर के लोग, यहूदियों के लिए एक देह बन पाना असंभव था। यह तभी संभव हुआ जब यीशु ने स्वर्ग में जाने के बाद मनुष्य में वास करने के लिए पवित्र आत्मा को उँड़ेला। अब दो, एक हो सकते है। पुरानी वाचा में इस्राएल एक मंडली थी। राष्ट्र आकार में बड़ा हुआ, लेकिन फिर भी वह एक मंडली ही थी। नए नियम में, मगर, कलीसिया को एक देह होना है, न की एक मंडली। यदि दो एक नहीं होते, तो फिर आपके पास जो भी है सिर्फ एक मंडली है। मसीह की देह में महत्वपूर्ण बात उसकी विशालता (आकार) नहीं बल्कि एकता है। और इस मापदंड के अनुसार एक ऐसी “कलीसिया” पाना मुश्किल है जो एक मंडली नहीं हो। हर जगह हम ऐसी मंडलियाँ पाते है जो आकार (विशालता) में तो बढ़ रही है - लेकिन एकता में नहीं। अगुवों के स्तर पर भी झगड़े, ईर्ष्या और प्रति स्पर्धा पाई जाती है।परमेश्वर की इच्छा यह है कि सारे जगत में विभिन्न स्थानों में मसीह की देह की एक अभिव्यक्ति हो।

मसीह की देह में, प्रत्येक व्यक्ति को मूल्य दिया जाता है, भले ही उसे कोई वरदान प्राप्त न हो। उसको मूल्य इस वजह से दिया जाता है क्योंकि वह देह का एक अंग है। वास्तव में, यह लिखा है कि परमेश्वर ऐसे सदस्य को ज्यादा आदर देता है जिसे वरदानों की कमी है, जिससे देह में एकता बनी रहे (1 कुरिंथियों 12:24, 25)। कलीसिया में, हमें परमेश्वर के उदाहरण का अनुसरण करना चाहिए और उन लोगों का भी आदर करना चाहिए जिनके पास कोई वरदान नहीं है, यदि वे परमेश्वर से डरते हैं और नम्र हैं। बेबीलोन में प्रतिभाशाली प्रचारक, प्रतिभाशाली गायक और मन फिराया हुआ अन्तरिक्ष यात्री सम्मान पाता है। लेकिन कलीसिया (परमेश्वर के तम्बू) में, हम उनका आदर करते है जो परमेश्वर का भय मानते है (देखे, भजन 15:1,4)। एक बडा अन्तर हैं बेबीलोन और यरूशलेम के बीच। आज परमेश्वर हमे बुलाता है कि बेबीलोन से निकल कर यरूशलेम का निर्माण करें (प्रकाशितवाक्य १८:४)

अगर हम सिर्फ मसीह की देह को देख पाते, तो ईर्ष्या के लिए कोई जगह न रहती। मानवीय देह में पैर को सिर्फ पैर होने में कोई मुश्किल नहीं होती। उसमे पैर के अलावा कुछ ओर होने की कोई अभिलाषा नहीं होती और वह कभी हाथ बन जाने का सपना नहीं देखता है। वह पैर होने से ही काफी संतुष्ट रहता है। वह जानता है कि परमेश्वर ने उसे पैर बनाकर कोई गलती नहीं की है। वह पैर होने में आनंदित रहता है और वह हाथ द्वारा किए जानेवाले कामों को देख कर भी वह समान रूप से आनंदित होता है, हालांकि वह जानता है कि वह कभी उस तरह का कोई काम नहीं कर सकेगा। ऐसा ही उन सबके साथ भी होगा जिन्होने मसीह की देह को “देख” लिया है। जब आप किसी दूसरे से ईर्ष्या करते है या जब आप परमेश्वर द्वारा किसी दूसरे अंग को बहुतायत से इस्तेमाल करते हुए देख कर पूरे हृदय से आनंदित नहीं होते, तो यह स्पष्ट है कि आपने इस सत्य को बिलकुल भी नहीं समझा है। जो अंग सिर के साथ एक नजदीकी सहभागिता में रहता है, वह मसीह की देह के दूसरे अंग को सम्मानित होता देख कर आनंदित और प्रसन्न होता है (1 कुरिन्थियों 12:26)

1 शमूएल 18:1-8 मे हम पढते है कि किस प्रकार से योनातान ने दाऊद से वाचा बाँधी। यह एक सुंदर चित्र है कि मसीह की देह में वाचा का संबंध कैसा होना चाहिए। यहाँ बताया गया है कि योनातान का प्राण दाऊद के प्राण से जुड़ा हुआ था। प्रभु की देह मे हमारी भी यही बुलाहट है - कि हम एक होकर इस तरह मिल जाएं कि हमारे बीच मे कोई अंतर न हो (गलत फहमी, जलन, संदेह, इत्यादि का कोई अंतर न हो) जिससे शत्रु प्रवेश कर सके और एक विभाजन ला सके। इस तरह की वाचा में प्रवेश करना असंभव है बिना स्वयं को लगातार मरे।

मसीह की देह में परमेश्वर द्वारा नियुक्त की गई विविधता है। परमेश्वर हमारे विभिन्न मन-मिजाजों और दान-वरदानों का इस्तेमाल करता है ताकि जगत के सामने मसीह की देह का एक संतुलित चित्र प्रस्तुत किया जा सके। आपके पास मसीह की देह में एक विशिष्ट और अद्वितीय सेवकाई है जिसे कोई और पूरा नहीं कर सकता। और वह सेवकाई कभी भी संतुलित नहीं होगी। वह असंतुलित होगी। आपको अन्य लोगों के साथ संगति में काम करके अपना संतुलन खोजना होगा, जिनके शरीर में अलग-अलग सेवकाईयाँ हैं। इसी तरह परमेश्वर हमें नम्र रखता है - हमें दूसरों पर निर्भर बनाकर। प्रभु की स्तुति हो!

यीशु अपनी आय का केवल 10% पिता को देने के लिए नहीं आया। वह एक नई वाचा की स्थापना करने और एक नई-वाचा की कलीसिया बनाने के लिए आया था। और इसलिए उसने अपने पिता को 100% दिया। और अब वह हमसे कहता है, "मेरे पीछे हो लो।" हमें मसीह की देह का निर्माण करने के लिए तैयार रहना चाहिए, चाहे हमें कोई भी कीमत क्यों न चुकानी पड़े - चाहे वह कीमत हमारा पैसा हो, हमारा सम्मान, हमारी सुविधा, हमारी शारीरिक ताकत, हमारी प्रतिष्ठा, हमारी नौकरी, या कुछ और। प्रभु के लिए हम जो बलिदान करने को तैयार हैं उसकी कोई सीमा नहीं होनी चाहिए। हमें किसी भी चीज़ में अपनी सुविधा या अपने आराम की तलाश नहीं करनी है। हम जो कुछ भी करते हैं वह मसीह की देह के निर्माण से संबंधित होना चाहिए। यहां तक ​​​​कि हमारा सांसारिक व्यवसाय भी केवल हमारे जीवन यापन का एक माध्यम होना चाहिए ताकि हम अपनी आर्थिक सहायता के लिए कलीसिया में दूसरों पर बोझ न बनें।