द्वारा लिखित :   जैक पूनन
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पौलुस के साथ काम करने वाले कुछ करीबी सहकर्मी, जैसे तितुस, यहूदी नहीं थे। पौलुस स्वयं एक कट्टर यहूदी था - फरीसियों का फरीसी। लेकिन उसके साथ लगातार यात्राएं करने वाला उसका साथी लूका एक यूनानी डॉक्टर था, जिसने लूका रचित सुसमाचार और प्रेरितों के काम की पुस्तकें लिखी।एक अन्य व्यक्ति जिसके साथ पौलुस ने नज़दीकी से काम किया, वह तिमुथियुस था। उसके पिता के यूनानी होने की वजह से वह अर्ध-यूनानी था। तितुस भी यूनानी था। इस तरह, अलग-अलग समुदायों के ये चारों लोग - पौलुस, तिमुथियुस, तितुस और लूका - नई वाचा के सुसमाचार के एक जीवंत उदाहरण थे, जिसमें विभिन्न जातियों और राष्ट्रीयताओं के लोग एक होकर काम कर सकते थे।

अगर आप सिर्फ़ अपनी ही संस्कृति और राष्ट्रीयता के लोगों के साथ मिलकर काम कर सकते हैं, तो आपकी मसीहियत में कुछ ग़लत है। अगर आप एक मलयाली है और आप मलयाली लोगों के साथ ही काम कर सकते हैं, तो आपने सुसमाचार को नहीं समझा है। सुसमाचार के कारण पौलुस ने भिन्न भाषाओं और भिन्न संस्कृतियों के लोगों के साथ काम किया। हमें हरेक देश और मनोवृति वाले व्यक्ति के साथ काम करने के लिए तैयार रहना चाहिए, अगर वे यीशु मसीह के शिष्य हो – चाहे वे चीनी, अफ़्रीकी, रूसी, दक्षिण अमेरिका वासी या उत्तर अमेरिका वासी हो, अंतर्मुखी हो या बहिर्मुखी हो। उनके स्वभाव और राष्ट्रीयता सब अलग हो सकते हैं, लेकिन वे फिर भी करीबी सहकर्मी हो सकते हैं। हमें अपने पंथ और सांप्रदायिक जात की संकीर्ण सोच में से बाहर निकलने की ज़रूरत है जिसमें हम सिर्फ़ अपने देश/समाज और मनोभाव के लोगों के साथ ही सुविधापूर्ण महसूस करते हैं और हमें उन सब लोगों के साथ मिलकर काम करना सीखना चाहिए जो मसीह की देह में हैं।

विभिन्न जातियों व समुदायों के लोगों की कुछ ख़ास आदतें व तौर-तरीक़े होते हैं। लेकिन मसीह में आने के बाद वे अपनी उन आदतों और तौर-तरीक़ों से छुटकारा पा सकते हैं। जब तीतूस क्रेते में था तब पौलुस ने उससे कहा कि क्रेते के किसी धार्मिक प्रचारक ने कहा था, “क्रेती लोग सदा झूठे, दुष्ट पशु, और आलसी पेटू होते हैं” (तितुस 1:12)। हो सकता है कि यह बात सही हो। लेकिन जब एक ऐसा क्रेतेवासी मसीह के पास आएगा और पवित्र-आत्मा से भर जाएगा तो वह झूठा और दुष्ट नहीं रहेगा, वह एक पशु-समान व्यवहार नहीं करेगा, वह आलसी भी नहीं रहेगा और न ही वह पेटू होगा। इसलिए हमें कभी जाति या समाज के अनुसार किसी व्यक्ति का न्याय नहीं करना चाहिए। अगर हम जाति व समाज के आधार पर किसी मसीही के प्रति पूर्वाग्रह रखेंगे, तो हम आत्मिक तौर पर गरीब रहेंगे।

परमेश्वर ने मुझे विभिन्न देशों व जातियों के लोगों – चीनी, अफ़्रीकी, विभिन्न नस्लों के भारतीय, यूरोपीय और अमेरिकी आदि लोगों के साथ संगति करने द्वारा आत्मिक तौर पर बहुत धनी बनाया है। मेरा हृदय हमेशा सभी जातियों व देशों में से परमेश्वर के लोगों के लिए खुला रहा है, क्योंकि मैं जानता हूँ कि ईश्वरीयता किसी एक ख़ास देश/जाति में नहीं पाई जाती। मैंने देखा है कुछ धनवान देशों के लोग बहुत अहंकारी होते हैं। लेकिन उन्हीं देशों के सच्चे विश्वासी बहुत नम्र होते हैं। इसलिए क्रेतेवासी झूठे हो सकते हैं, लेकिन क्रेते के मसीही झूठे नहीं होंगे। कुछ समाजों के पारिवारिक मूल्य बहुत ख़राब होते हैं। लेकिन उन समाजों के मसीही भी वैसे हो, यह कोई ज़रूरी नहीं है। इसलिए हमें एक मसीही का न्याय वह जिस समाज से आता है, उसके अनुसार नहीं करना चाहिए। वह एक नई सृष्टि है। इस वजह से ही पौलुस को दूसरे समुदायों के लोगों को अपने सबसे नज़दीकी सहकर्मी बनाने में कोई कठिनाई नहीं हुई थी।

अगर आप ऐसे लोगों के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार नहीं है जो मसीह की देह में आपसे भिन्न है, तो आप अपने जीवन के लिए परमेश्वर के सम्पूर्ण उद्देश्य को पूरा नहीं कर पाएँगे। तब परमेश्वर आपको यह नहीं दिखाएगा कि आपके सहकर्मी कौन होने चाहिए, क्योंकि उसकी योजना में उसने आपके लिए किसी दूसरे देश के व्यक्ति, या भारत के किसी दूसरे हिस्से के व्यक्ति के साथ मिलकर काम करना तय किया होगा, और वह यह देखता है कि आप उसकी योजना को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है।

हमारे अंदर बहुत से ग़लत मनोभाव होते हैं और इससे पहले कि हम मसीह की देह में कोई भेदभाव किए बिना दूसरों के साथ मिलकर काम करे, उन मनोभावों का टूटना ज़रूरी है। अगर हम सिर्फ़ अपनी ही तरह के लोगों के साथ काम करना पसंद करते हैं, तो परमेश्वर हमारा मार्गदर्शन नहीं करेगा। हम अपने सहकर्मी ख़ुद ही चुनकर यह कह सकते हैं कि प्रभु हमें उनकी ओर ले गया - लेकिन यह सच नहीं होगा। हमने अपने ही शारीरिक पसंद के अनुसार वह किया होगा। हमने उन्हें इसलिए चुना क्योंकि उनका बौद्धिक स्तर हमारे जैसा था, या हम एक ही समाज के थे, या हमारे स्वभाव एक समान थे। इस तरह का जुड़ना विवाह के लिए सही हो सकता है। लेकिन हम जब परमेश्वर के लिए काम करते हैं तो हमें ऐसे हर एक व्यक्ति को अपने सहकर्मी के रूप में स्वीकार करने के लिए तैयार रहना चाहिए जिसका चुनाव परमेश्वर ने किया है।